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आईआईएमए छात्रावास पर विवाद, आर्किटेक्ट के परिवार ने कहा- फैसले पर पुनर्विचार करें

अमेरिकी आर्किटेक्ट लुइस काहन के डिजाइन किए आईआईएम अहमदाबाद में किए जा रहे बदलाव को लेकर उनके बच्चों ने प्रशासन को पत्र लिखा है. ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने की मांग की है. जानिए क्या है पूरा मामला...

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Published : Dec 29, 2020, 2:59 PM IST

अहमदाबाद : अमेरिकी आर्किटेक्ट लुइस काहन (Louis Kahan) की दो बेटियों और एक बेटे ने आईआईएम (IIM) अहमदाबाद की ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने की मांग की है.

इस संस्था के परिसर को इमारतों की वास्तुकला के संदर्भ में बहुत प्रतिष्ठित माना जाता है. अब आईआईएमए छात्रों के शयनगृह को ध्वस्त करने का निर्णय लिया गया है, जिसपर लुइस काहन के बच्चों ने विरोध जताया है. लुइस काहन के तीन बच्चों ने इस संबंध में आईआईएम (IIM) अहमदाबाद के निदेशक एरोल डिसूजा को एक पत्र लिखा है. पत्र में अनुरोध किया गया है कि वे लुइस काहन द्वारा डिजाइन किए हॉस्टल के ध्वस्तीकरण पर पुनर्विचार करें.

उनका कहना है कि ऐसा करने से आधुनिक वास्तुकला की विरासत नष्ट हो जाएगी, इसे ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही कहा है कि उन्हें संगठन की बोर्ड बैठक में इस बारे में बोलने का मौका दिया जाना चाहिए. लुइस काहन के बच्चों, सुई एन काहन, एलेक्जेंड्रा तियांग और नाथनियल काहन ने पत्र में लिखा है कि हमारे साथ बैठक के दौरान आपने हमें आश्वासन दिया था कि आप आईआईएमए छात्रावास भवन के भविष्य और संरक्षण से सहमत हैं.

उन्होंने छात्रावासों को तोड़े जाने के निर्णय को 'आपदा' बताया. लुइस काहन के बच्चों और डिसूजा ने मई 2018 में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय का दौरा किया था और कुछ रिपोर्टों के अनुसार इस मुद्दे पर चर्चा की थी.

महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के आग्रह पर आए थे लुइस

भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद गुजरात ही नहीं दुनिया भर में अपनी पहचान रखता है. IIMA देश के महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का भी सपना था. 1961 में विक्रम साराभाई के आग्रह पर प्रसिद्ध अमेरिकी वास्तुकार लुइस काहन ने भारत आकर इस संस्थान के निर्माण के काम को देखा था जिसके बाद विश्व प्रसिद्ध संस्थानों में आईआईएमए का सपना पूरा हुआ.

पुस्तकालय भी तोड़ा गया था

यह पहला मौका नहीं है जब ऐतिहासिक धरोहर में बदलाव किया जा रहा है. परिसर के पुस्तकालय को भी ध्वस्त कर पुनर्निर्माण किया जा चुका है. IIMA कैंपस की लाइब्रेरी भी आर्किटेक्चर की एक उत्कृष्ट कृति थी. 2014 में जब पुस्तकालय और प्रबंधन कार्यालय ब्लॉक की मरम्मत की जानी थी, तो यह देखने के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की गई थी कि संगठन की ऐतिहासिकता को संरक्षित करते हुए कौन बेहतर काम कर सकता है.

मुंबई की एक कंपनी सोमाया और कलप्पा कंसल्टेंट्स-एसएनके को कैंपस की मरम्मत के लिए चुना गया था. आपको बता दें कि इस कंपनी को इस काम के लिए 2019 में यूनेस्को का पुरस्कार भी मिला है.


शयनगृह को गिराने का फैसला क्यों लिया गया?

आईआईएमए के छात्रों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में सीईओ बनने के लिए ऑन-कैंपस की व्यवस्था है, जिसे शॉर्ट के लिए डॉर्म के रूप में जाना जाता है. ऐसे छात्रों को समायोजित करने के लिए एक या दो नहीं लुइस काहन की कड़ी मेहनत से कुल 18 इमारतें बनीं. ये शयनगृह (डॉर्मिटरी) अद्भुत हैं.

साठ के दशक के अंत में बनी इन इमारतों को ध्वस्त करने का निर्णय संगठन के प्रशासकों के लिए भी आसान नहीं है क्योंकि, यह एक बहुत ही प्रतिष्ठित इमारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हर कोई जानता है कि इसका महत्व क्या है. लेकिन संस्थान के प्रशासन का कहना है कि इमारतें पिछले कुछ वर्षों में ढह गई हैं और उनमें से स्लैब गिर रहे हैं. भवन की संरचना 2001 के भूकंप के बाद से बिगड़ गई है. दूसरा कारण यह है कि मौजूदा 18 इमारतें कुल 500 छात्रों के लिए ही पर्याप्त हैं, जबकि नए परिसर में 800 छात्र रह सकेंगे.

पढ़ें- गुजरात : 17 वर्षीय लड़की के दिल ने बचाई 20 वर्षीय लड़के की जान

मरम्मत कर चलाया जा सकता है काम

IIMA परिसर की वास्तुकला को इसका प्रशासन ऐतिहासिक धरोहर मानता है, फिर उसकी पहचान को मिटाने का मतलब अपनी भव्यता को भूल जाना भी है. परिसर के पुस्तकालय और प्रधान कार्यालय की मरम्मत के समय अगर भवन की पहचान बनाए रखी जा रही है, तो उसी तरह से छात्रावास की ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए मरम्मत का सहारा क्यों नहीं लिया जाता? यह कार्य एसएसके कंपनी द्वारा किया जा रहा है, जो मानते हैं कि छात्रावास को ध्वस्त करने के निर्णय पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. ऐसे में आर्किटेक्ट, संकाय और छात्र सभी नहीं चाहते कि छात्रावास को ध्वस्त किया जाए.

IIMA के निदेशक ने पूर्व छात्रों को लिखा पत्र

आईआईएमए के निदेशक एरोल डिसूजा ने छात्रावासों को तोड़ने के फैसले पर भारी विवाद के बाद IIMA के पूर्व छात्रों को 11 पन्नों का पत्र लिखा है. उन्होंने कहा, 'अभी छात्रावासों में रहना मुश्किल है और छात्रों का जीवन खतरे में पड़ सकता है.'

अहमदाबाद : अमेरिकी आर्किटेक्ट लुइस काहन (Louis Kahan) की दो बेटियों और एक बेटे ने आईआईएम (IIM) अहमदाबाद की ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने की मांग की है.

इस संस्था के परिसर को इमारतों की वास्तुकला के संदर्भ में बहुत प्रतिष्ठित माना जाता है. अब आईआईएमए छात्रों के शयनगृह को ध्वस्त करने का निर्णय लिया गया है, जिसपर लुइस काहन के बच्चों ने विरोध जताया है. लुइस काहन के तीन बच्चों ने इस संबंध में आईआईएम (IIM) अहमदाबाद के निदेशक एरोल डिसूजा को एक पत्र लिखा है. पत्र में अनुरोध किया गया है कि वे लुइस काहन द्वारा डिजाइन किए हॉस्टल के ध्वस्तीकरण पर पुनर्विचार करें.

उनका कहना है कि ऐसा करने से आधुनिक वास्तुकला की विरासत नष्ट हो जाएगी, इसे ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही कहा है कि उन्हें संगठन की बोर्ड बैठक में इस बारे में बोलने का मौका दिया जाना चाहिए. लुइस काहन के बच्चों, सुई एन काहन, एलेक्जेंड्रा तियांग और नाथनियल काहन ने पत्र में लिखा है कि हमारे साथ बैठक के दौरान आपने हमें आश्वासन दिया था कि आप आईआईएमए छात्रावास भवन के भविष्य और संरक्षण से सहमत हैं.

उन्होंने छात्रावासों को तोड़े जाने के निर्णय को 'आपदा' बताया. लुइस काहन के बच्चों और डिसूजा ने मई 2018 में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय का दौरा किया था और कुछ रिपोर्टों के अनुसार इस मुद्दे पर चर्चा की थी.

महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के आग्रह पर आए थे लुइस

भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद गुजरात ही नहीं दुनिया भर में अपनी पहचान रखता है. IIMA देश के महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का भी सपना था. 1961 में विक्रम साराभाई के आग्रह पर प्रसिद्ध अमेरिकी वास्तुकार लुइस काहन ने भारत आकर इस संस्थान के निर्माण के काम को देखा था जिसके बाद विश्व प्रसिद्ध संस्थानों में आईआईएमए का सपना पूरा हुआ.

पुस्तकालय भी तोड़ा गया था

यह पहला मौका नहीं है जब ऐतिहासिक धरोहर में बदलाव किया जा रहा है. परिसर के पुस्तकालय को भी ध्वस्त कर पुनर्निर्माण किया जा चुका है. IIMA कैंपस की लाइब्रेरी भी आर्किटेक्चर की एक उत्कृष्ट कृति थी. 2014 में जब पुस्तकालय और प्रबंधन कार्यालय ब्लॉक की मरम्मत की जानी थी, तो यह देखने के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की गई थी कि संगठन की ऐतिहासिकता को संरक्षित करते हुए कौन बेहतर काम कर सकता है.

मुंबई की एक कंपनी सोमाया और कलप्पा कंसल्टेंट्स-एसएनके को कैंपस की मरम्मत के लिए चुना गया था. आपको बता दें कि इस कंपनी को इस काम के लिए 2019 में यूनेस्को का पुरस्कार भी मिला है.


शयनगृह को गिराने का फैसला क्यों लिया गया?

आईआईएमए के छात्रों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में सीईओ बनने के लिए ऑन-कैंपस की व्यवस्था है, जिसे शॉर्ट के लिए डॉर्म के रूप में जाना जाता है. ऐसे छात्रों को समायोजित करने के लिए एक या दो नहीं लुइस काहन की कड़ी मेहनत से कुल 18 इमारतें बनीं. ये शयनगृह (डॉर्मिटरी) अद्भुत हैं.

साठ के दशक के अंत में बनी इन इमारतों को ध्वस्त करने का निर्णय संगठन के प्रशासकों के लिए भी आसान नहीं है क्योंकि, यह एक बहुत ही प्रतिष्ठित इमारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हर कोई जानता है कि इसका महत्व क्या है. लेकिन संस्थान के प्रशासन का कहना है कि इमारतें पिछले कुछ वर्षों में ढह गई हैं और उनमें से स्लैब गिर रहे हैं. भवन की संरचना 2001 के भूकंप के बाद से बिगड़ गई है. दूसरा कारण यह है कि मौजूदा 18 इमारतें कुल 500 छात्रों के लिए ही पर्याप्त हैं, जबकि नए परिसर में 800 छात्र रह सकेंगे.

पढ़ें- गुजरात : 17 वर्षीय लड़की के दिल ने बचाई 20 वर्षीय लड़के की जान

मरम्मत कर चलाया जा सकता है काम

IIMA परिसर की वास्तुकला को इसका प्रशासन ऐतिहासिक धरोहर मानता है, फिर उसकी पहचान को मिटाने का मतलब अपनी भव्यता को भूल जाना भी है. परिसर के पुस्तकालय और प्रधान कार्यालय की मरम्मत के समय अगर भवन की पहचान बनाए रखी जा रही है, तो उसी तरह से छात्रावास की ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए मरम्मत का सहारा क्यों नहीं लिया जाता? यह कार्य एसएसके कंपनी द्वारा किया जा रहा है, जो मानते हैं कि छात्रावास को ध्वस्त करने के निर्णय पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. ऐसे में आर्किटेक्ट, संकाय और छात्र सभी नहीं चाहते कि छात्रावास को ध्वस्त किया जाए.

IIMA के निदेशक ने पूर्व छात्रों को लिखा पत्र

आईआईएमए के निदेशक एरोल डिसूजा ने छात्रावासों को तोड़ने के फैसले पर भारी विवाद के बाद IIMA के पूर्व छात्रों को 11 पन्नों का पत्र लिखा है. उन्होंने कहा, 'अभी छात्रावासों में रहना मुश्किल है और छात्रों का जीवन खतरे में पड़ सकता है.'

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