नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय की नई अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में भर्ती होने वाले 'अग्निवीरों' के करियर की भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (एमओई) ऐसे रक्षा कर्मियों के लिए कौशल आधारित तीन-वर्षीय स्नातक डिग्री कार्यक्रम शुरू करेगा, जो रक्षा प्रतिष्ठानों में उनके कार्यकाल के दौरान प्राप्त कौशल प्रशिक्षण को मान्यता देगा.
अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) द्वारा पेश किए जाने वाले डिग्री प्रोग्राम को रोजगार एवं शिक्षा के लिए भारत और विदेशों दोनों में मान्यता दी जाएगी. उन्होंने कहा कि सेना, नौसेना और वायुसेना इस योजना के कार्यान्वयन के लिए इग्नू के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेंगे.
केंद्र ने मंगलवार को सेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती के लिए अल्पकालिक अनुबंध के आधार पर 'अग्निपथ' नामक योजना की शुरुआत की, ताकि बड़े पैमाने पर वेतन और पेंशन बिल में कटौती करने तथा सशस्त्र बलों के युवा प्रोफाइल को सक्षम बनाया जा सके. 'अग्निपथ' योजना के तहत, भारतीय युवाओं को सशस्त्र बलों में 'अग्निवीर' के रूप में सेवा करने का अवसर प्रदान किया जाएगा.
IGNOU) द्वारा पेश किया जाने वाला प्रोग्राम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत अनिवार्य रूप से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क और राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के मानदंडों के अनुरूप है. इसकी रूपरेखा को संबंधित नियामक निकायों - अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी) और यूजीसी द्वारा विधिवत मान्यता दी गई है.
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अधिकारी ने कहा, इस प्रोग्राम को छोड़ने के कई उपाय दिये गये हैं उनमें - प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रमों के सफल समापन पर अवर-स्नातक सर्टिफिकेट, प्रथम और द्वितीय वर्ष के पाठ्यक्रमों के सफल समापन पर अवर-स्नातक डिप्लोमा और तीन साल की समय सीमा में सभी पाठ्यक्रमों के पूरा होने पर डिग्री प्रदान की जाएगी.