वाराणसी : जिले में पूरे साल विदेशी सैलानी घूमने-फिरने के लिए आते रहते हैं. इसके अलावा कई राज्यों से भी पर्यटक विश्वनाथ धाम में दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं. परेशानी से बचने के लिए लोग यहां आने से पहले ही ऑनलाइन होटल और वाहनों की बुकिंंग कर लेते हैं. साइबर ठग इसका फायदा उठाने में लगे हैं. उन्होंने कई फर्जी वेबसाइट बना रखी है. इनके जरिए वे लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं. ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं. पहले से बुकिंग के बावजूद लोगों को होटल और वाहन की सुविधा नहीं मिल पाती है. बनारस के अलग-अलग थानों में ऐसे कई मामले दर्ज किए जा चुके हैं. पुलिस की ओर से लगातार पर्यटकों को सचेत किया जा रहा है.
दरअसल श्री काशी विश्वनाथ धाम में सबसे ज्यादा पर्यटक वीकेंड यानी शनिवार और रविवार को आते हैं. 2 दिनों में वे दर्शन-पूजन करके अपने घर लौट जाते हैं. इन दो दिनों में भीड़ काफी ज्यादा होती है. एडिशनल पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह का कहना है कि ज्यादातर शनिवार और रविवार काे आने वाले पर्यटक साइबर ठगों के निशाने पर रहते हैं. रविवार काे बैंक बंद रहते हैं. शनिवार को बैंकों में काम कम हो पाता है. चूंकि लोगों को फर्जीवाड़े की जानकारी 72 घंटे में ही पुलिस को देनी होती है. इससे रिकवरी करना आसान रहता है.
बंदी होने की स्थिति का ठग फायदा उठाते हैं. एडिशनल पुलिस कमिश्नर ने बताया कि परेशानी से बचने के लिए लोग पहले ही होटल और वाहन की बुकिंग कर लेते हैं. अमाउंट का भुगतान ऑनलाइन पहले ही कर देते हैं. साइबर ठग ऐसे लोगों के लिए साइबर सर्चिंग प्लेटफार्म पर कई तरह के फर्जी अकाउंट बना रखे हैं. इन पर अच्छे कमरों की तस्वीरें, अच्छे वाहनों की फोटा लगा देते हैं. इसके बाद पर्यटकों काे ऑफर देते हैं. लोग इनके झांसे में आ जाते हैं. 2 दिनों के लिए कमरे की बुकिंग 18000 की जगह 10000 में ही करके उनसे पेमेंट करवा लेते हैं. पर्यटकों को भरोसा रहता है कि उनके होटल और वाहन पहले से बुक हैं. इससे वे कंफर्मेशन के लिए कोई बातचीत भी नहीं करते. वाराणसी पहुंचने पर उन्हें अपने साथ हुई ठगी के बारे में जानकारी हो पाती है.
एडिशनल पुलिस कमिश्नर ने बताया कि लगभग 22 से 23 मामले बनारस के अलग-अलग थानों में दर्ज हो चुके हैं. गाजियाबाद के रंजन के साथ भी ऐसा ही हुआ. उन्होंने वाराणसी के एक गेस्ट हाउस में कमरा बुक करवाया. ऑनलाइन कमरे के लिए उन्होंने 19 हजार का पेमेंट भी कर दिया. जब वाराणसी पहुंचे तो उनको कमरा बुक न होने की जानकारी मिली. जब उन्होंने दिए गए मोबाइल नंबर और अपने ई-मेल पर भेजे गए कंफर्मेशन मेल को दिखाया तो पता चला यह फर्जी है. ऐसा ही कुछ कोलकाता से आए दास दंपत्ति के साथ भी हुआ. उन्होंने वाराणसी के दशाश्वमेध क्षेत्र में एक होटल की बुकिंग की थी. कंफर्मेशन मेल पहुंचा और इन्होंने 23,700 का पेमेंट भी कर दिया. दो कमरों की बुकिंग 3 दिनों के लिए की थी. दंपत्ति जब वाराणसी घूमने के लिए आए तो होटल में कमरा लेने पहुंचे. यहां पता चला कि इनका यहां पर कोई कमरा ही बुक नहीं है. जिस नंबर से इन्हें मेल और कंफर्मेशन मैसेज भेजा गया था, वह भी बंद मिला.
इन बातों का रखें ध्यान : जिस होटल या गेस्ट हाउस या टूर एंड ट्रैवेल के जरिए कमरे या गाड़ी की बुकिंग करें उस वेबसाइट की पहले अपने स्तर पर पड़ताल जरूर कर लें. वेबसाइट देखने में हूबहू हो सकती है लेकिन उसमें कोई न कोई एक अंतर जरूर होता है, उस अंतर को तलाशने की कोशिश करें. मोबाइल फोन की जगह लैंडलाइन फोन से बातचीत करें और ऑनलाइन पेमेंट करने से बचें. कुछ एडिशनल अमाउंट ही एक्स्ट्रा एडवांस के रूप में पे करें. ऑनलाइन वेबसाइट की जगह मोबाइल पर एप्लीकेशन के जरिए बुकिंग ज्यादा सुरक्षित मानी जाती है. वेरीफाइड एप्लीकेशन को चेक करके उसे डाउनलोड कर लें और उसका इस्तेमाल करें.
होटल बुकिंग करते वक्त अपने किसी लोकल संपर्क की जानकारी लेने की पूरी कोशिश करें. संबंधित होटल से भी संपर्क हो सके, यह प्रयास भी जारी रखें.
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