कोलकाता : पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे के बीच तीव्र वैचारिक मतभेद विशेष रूप से सीपीआई (एम) व सीपीआई (एमएल) के नेताओं के कारण बंगाल में बिहार जैसा महागठबंधन संभव नहीं हुआ. कुछ हद तक कांग्रेस-वाम गठबंधन पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का विरोध कर रहे हैं.
भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत को बताया कि बिहार में महागठबंधन इसलिए संभव था, क्योंकि महागठबंधन में सभी ताकतें बिहार में भाजपा और उसके सहयोगियों का विरोध कर रहीं थीं. बिहार में भाजपा और उसके सहयोगी जद (यू) सत्ता में थे और इसलिए महागठबंधन की गुंजाइश थी, लेकिन पश्चिम बंगाल में बात वैसी नहीं है. इसलिए ऐसी स्थिति में हमें लगा कि बंगाल में इस तरह के गठबंधन का हिस्सा बनना बुद्धिमानी नहीं होगी. इसके बजाय हमने आगामी बंगाल चुनावों में अकेले उतरने का फैसला किया.
'खतरनाक है भाजपा'
यह पूछे जाने पर कि क्या सीपीआई (एमएल) तृणमूल कांग्रेस को भाजपा के समान दुश्मन नहीं मानता. भट्टाचार्य ने कहा कि वे ऐसा नहीं करते हैं. वर्तमान स्थिति में कोई अन्य पार्टी उतनी खतरनाक और हानिकारक नहीं है जितनी कि भाजपा है. वर्तमान स्थिति में सीपीआई (एम) कांग्रेस को बीजेपी की तरह समान रूप से हानिकारक नहीं मान रही है. बावजूद इसके कि सिद्धार्थ शंकर रॉय शासन के दौरान बंगाल में आपातकाल और काले दिनों के रिकॉर्ड कांग्रेस के समय के थे. उन्होंने कहा कि वर्तमान में पश्चिम बंगाल एक महत्वपूर्ण राजनीतिक दौर से गुजर रहा है. हम नहीं चाहते कि बीजेपी बंगाल की सत्ता में आए. वाम मोर्चा- कांग्रेस गठबंधन अभी पश्चिम बंगाल में सत्ता हथियाने की स्थिति में नहीं है.
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जिस ईमानदारी के साथ सीपीआई (एमएल) बीजेपी का विरोध कर रही है वही वाम मोर्चा- कांग्रेस गठबंधन के मामले में परिलक्षित नहीं होता है. इसलिए जानबूझकर हमने महागठबंधन का हिस्सा बनने से परहेज किया. भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि 8 फरवरी को CPI (ML) कोलकाता में एक नागरिक सम्मेलन आयोजित करेगी, जहां से पश्चिम बंगाल के लिए पार्टी का चार्टर जारी किया जाएगा.