मुंबई : आईसीआईसीआई बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर (Former ICICI Bank CEO and MD Chanda Kochhar) और उनके पति दीपक कोचर को बॉम्बे हाई कोर्ट ने राहत नहीं दी है. बॉम्बे हाई कोर्ट की अवकाश पीठ ने गिरफ्तारी के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. पीठ ने उन्हें छुट्टी के बाद अदालत के फिर से खुलने पर नियमित बेंच से संपर्क करने के लिए कहा है.
दरअसल आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर ने मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कर्ज धोखाधड़ी मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताया. हालांकि, अदालत ने तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कोचर को निर्देश दिया कि वे छुट्टी के बाद फिर से शुरू होने पर नियमित पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख करें.
कोचर परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने कहा कि सीबीआई ने उनकी गिरफ्तारी से पहले कोई पूर्व अनुमति नहीं ली थी, जैसा कि कानून के तहत आवश्यक है. जांच एजेंसी ने कोचर परिवार से संक्षिप्त पूछताछ के बाद शुक्रवार रात को उन्हें गिरफ्तार कर लिया. एजेंसी ने आरोप लगाया कि वे अपनी प्रतिक्रियाओं में टालमटोल कर रहे थे और जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे.
सीबीआई ने दीपक कोचर, सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल), वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (वीआईईएल) और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा प्रबंधित नूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल) के साथ कोचर और वीडियोकॉन समूह के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत को नामजद किया था. इसकी प्राथमिकी 2019 में आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत दर्ज की गई थी.
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि आईसीआईसीआई बैंक ने बैंकिंग नियमन अधिनियम, आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन करते हुए धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को 3,250 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया था. जांच एजेंसी ने मामले के सिलसिले में सोमवार को 71 वर्षीय धूत को गिरफ्तार किया था.
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(PTI)