नई दिल्ली : भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. विदेश मंत्रालय से संबद्ध भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) 23-25 फरवरी के बीच शिल्प मेले का आयोजन कर रहा है जिसमें विभिन्न राज्यों की स्थानीय कला एवं शिल्प का प्रदर्शन किया जाएगा.
राज्यसभा सांसद और आईसीसीआर के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने कहा, 'भारत दुनिया को 'वसुधैव कुटुम्बकम' का शाश्वत संदेश दे रहा है, इसी के तहत हम कोशिश कर रहे हैं देश की संस्कृति परिवार के रूप में और मजबूत हो.'
उन्होंने कहा कि यह आईसीसीआर के इतिहास में पहली बार है, विशेष रूप से राजनयिक समुदाय के लिए प्रसिद्ध भारतीय शिल्पकारों के शिल्प प्रदर्शन और प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. 100 से अधिक राजनयिक और उनके परिवार आने के लिए सहमत हुए हैं.
सहस्रबुद्धे ने कहा कि संस्कृति समाधान का एक हिस्सा है. अन्य सभी चीजें टकराव को बढ़ावा देतीं हैं, लेकिन संस्कृति जोड़ती है. जब हम अपनी संस्कृति को दुनिया के सामने प्रदर्शित करते हैं, तो कनेक्टिविटी और अधिक रेखांकित होती है. उन्होंने कहा 23-25 फरवरी तक 3 दिवसीय लंबा शिल्प मेला दिल्ली के चांदनी बाग स्थित बीकानेर हाउस में आयोजित किया जाएगा.
इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी, राज्यसभा सांसद डॉ. विनय सहस्रबुद्धे करेंगे. उद्घाटन में भारत में विदेशी मिशनों के लगभग 70-75 प्रमुखों और कुछ भारतीय गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति होगी.
सहस्त्रबुद्धे के मुताबिक शिल्प मेले में 11 राज्यों के 22 शिल्पकार पांच प्रकार की भारतीय पारंपरिक कला का प्रदर्शन करेंगे. इसमें बांस पर आधारित कला, कपड़ा, पारंपरिक लोक कला, पुन:चक्रीय उत्पाद आदि शामिल हैं.
उन्होंने बताया कि इस समारोह में मध्यप्रदेश की गौंड कला, राजस्थान की स्थानीय कला, दिल्ली से बांस से जुड़े उत्पाद, तेलंगाना से कलमकारी कला, उत्तर प्रदेश से मूंज के बास्केट, महाराष्ट्र से वर्ली कला, गुजरात से स्थानीय कलाओं का प्रदर्शन किया जाएगा. कोई भी काम स्वच्छ हवा, अच्छी मिट्टी, हरियाली, जंगल और पौधों, स्वच्छ जल और सभी तत्वों पर निर्भर करता है इन्हीं कारणों से भारतीय संस्कृति पेड़ों, नदियों, पहाड़ों, जंगलों, पौधों और जानवरों को मनाती है.
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सभी को पवित्र माना जाता है और किसी न किसी देवता से जोड़कर देखा जाता है ताकि मनुष्य यह समझे कि उनके अस्तित्व के लिए उन्हें सम्मानित, संरक्षित और पोषित किया जाना चाहिए. यह इस शिल्प मेले में भाग लेने वाले सभी शिल्पकारों और कारीगरों के रचनात्मक कार्यों में सूक्ष्मता और दृढ़ता से सामने आता है. शिल्प मेले का संचालन दस्तकारी हाट समिति की जया जेटली करेंगी.