श्रीनगर : हैदरपोरा मुठभेड़ के बाद से इलाके में मृतकों के शव की मांग को लेकर तनाव बरकरार है. रामबन जिला विकास परिषद (डीडीसी) की अध्यक्ष शमशाद शान ने शनिवार को चेतावनी दी कि यदि हैदरपोरा मुठभेड़ में मारे गए तीसरे व्यक्ति आमिर माग्रे का शव उसके परिवार के सदस्यों को नहीं सौंपा गया तो विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. माग्रे के परिजनों का दावा है कि वह निर्दोष था.
हालांकि शान ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के उस आदेश का स्वागत किया, जिसमें सोमवार की शाम को श्रीनगर में हुई मुठभेड़ की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए थे. हैदरपोरा मुठभेड़ में मारे गए दो नागरिकों के शव उनके परिवारों को लौटाए जाने के बाद से आमिर माग्रे के शव को भी उसके परिवार को सौंपने की मांग तेज हो गई है.
शान ने रामबन में संवाददाताओं से कहा कि हम निराश नहीं हैं. हमें उपराज्यपाल पर पूरा भरोसा है. हम उनके फैसले की प्रतीक्षा कर रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि वह आज (शनिवार) शाम तक फैसला कर लेंगे और माग्रे के शव को परिवार को सौंप दिया जाएगा ताकि परिजन अंतिम संस्कार कर सके. लेकिन यदि मृतक का शव परिवार वालों को नहीं सौपा गया तो हमें विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
स्थानीय पुलिस के अनुसार माग्रे एक आतंकवादी था और अपने पाकिस्तानी सहयोगी और दो अन्य लोगों के साथ मुठभेड़ में मारा गया. हालांकि माग्रे के पिता अब्दुल लतीफ ने पुलिस के दावे का खंडन किया और उपराज्यपाल से न्याय करने की अपील की है. लतीफ ने शुक्रवार को रामबन के उपायुक्त से मुलाकात कर अपने बेटे का शव लौटाने की मांग की.
ये पढ़ें: घाटी में ओवर ग्राउंड वर्कर्स की बढ़ी गतिविधियां, एनआईए सतर्क
हैदरपोरा मुठभेड़ में मारे गए दो लोगों मोहम्मद अल्ताफ भट और मुदासिर गुल के शवों को बृहस्पतिवार की रात उनके परिजनों को सौंप दिया गया था. परिवार के सदस्यों द्वारा विरोध प्रदर्शन के बाद शवों को निकाला गया. पुलिस ने मुठभेड़ के बाद में शवों को उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा इलाके में दफना दिया था.
शान ने कहा कि हम मुठभेड़ की जांच के आदेश देने और दो अन्य नागरिकों के शव उनके परिवारों को लौटाने के लिए उपराज्यपाल के आभारी हैं. सरकार को सच्चाई का खुलासा करने के लिए अपना काम करने देना चाहिए. लेकिन प्रशासन को माग्रे का शव भी वापस करना चाहिए. कानून सभी नागरिकों के लिए समान है.
(पीटीआई-भाषा)