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UPSC CSE क्रैक करने वाले डॉ सैय्यद मुस्तफा हाशमी का फलसफा, जिंदगी छोटी है, इसका पूरा उपयोग करो - डॉ सैय्यद मुस्तफा हाशमी

संघ लोकसभा आयोग (UPSC) ने सोमवार को सिविल सर्विसेज सर्विस के नतीजे घोषित किए. इस एग्जाम में कुल 685 कैंडिडेट्स परीक्षा में पास हुए हैं. इनमें 162वीं रैकिंग हैदराबाद के डॉ. सैय्यद मुस्तफा हाशमी की है. उन्होंने अस्पताल में गरीबों की हालत देखकर अपने लिए एक फलसफा गढ़ा, जिंदगी छोटी है, इसका पूरा उपयोग करने की जरूरत है. सैय्यद मुस्तफा की इस कामयाबी से मुस्लिम समुदाय के छात्रों को प्रेरणा मिलेगी.

Dr Mustafa Ansari qualifies civil services examination
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Published : May 30, 2022, 9:02 PM IST

हैदराबाद : संघ लोक सेवा आयो‍ग (UPSC) सिविल सर्विस एग्‍जाम (CSE) 2021 का फाइनल रिजल्‍ट सोमवार को आ गया. हैदराबाद के डॉ. सैय्यद मुस्तफा हाशमी ने 162वां रैंक हासिल कर अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय का नाम रोशन किया है. डॉ. सैय्यद मुस्तफा हाशमी उस्मानिया मेडिकल कॉलेज के एलुमनी रह चुके हैं और अभी सर्जन के तौर पर प्रैक्टिस करते हैं. अपनी सफलता के बाद डॉ. सैय्यद मुस्तफा हाशमी ने बताया कि उन्होंने अस्पतालों में गरीब लोगों की दुर्दशा को करीब से देखते हैं. इस हालात ने उन्हें बड़े कैनवास पर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया.

पुराने हैदराबाद के फर्स्ट लांसर मसाब टैंक क्षेत्र में रहने वाले डॉ. मुस्तफा ने अपने अकैडमिक करियर के दौरान हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया क्योंकि उन्होंने शिक्षा और किताबों से रिश्ता जोड़ लिया. उन्होंने कहा कि यूपीएससी परीक्षा में सफलता कोई आसान काम नहीं है क्योंकि इसके लिए तैयारी को बहुत गंभीरता से लेने की आवश्यकता होती है. अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देते हुए डॉ. सैय्यद मुस्तफा हाशमी ने कहा कि उन्होंने केवल एग्जाम में लिखा है लेकिन असली सफलता उनके माता-पिता की है, जिन्होंने पिछले 25 से 30 वर्षों में उनका पालन-पोषण करते हुए मार्गदर्शन किया.

डॉ. सैय्यद मुस्तफा हाशमी उस्मानिया मेडिकल कॉलेज के एलुमनी रह चुके हैं और अभी सर्जन के तौर पर प्रैक्टिस करते हैं

हाशमी ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान जिला अस्पताल में ड्यूटी के दौरान उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी भी की और सफल भी हुए. हाशमी वर्तमान में एक सर्जन हैं लेकिन नॉलेज से उनका गहरा संबंध है. अपने करियर के बारे में मुस्तफा ने बताया कि वह वर्तमान में पेशे से सर्जन हैं, उन्होंने उस्मानिया मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और एमएस किया है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा खाड़ी देशों में हुई क्योंकि उनके पिता सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में काम करते थे. बाद में जब परिवार हैदराबाद लौटा तो उन्होंने एबिड्स हाई स्कूल में दाखिला लिया. इसी स्कूल से उन्होंने 10वीं की पढ़ाई पूरी की. चेतनिया स्कूल से बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद वह स्टेट मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में शामिल हुए. तब संयुक्त आंध्रप्रदेश में 10वां स्थान हासिल किया था. उनका नाम अल्पसंख्यक उम्मीदवारों में सबसे ऊपर था.

मुस्तफा ने कहा कि हालांकि उनकी निजी इच्छा डॉक्टर बनने की थी, लेकिन उनके दादा चाहते थे कि वह एक आईएएस अधिकारी बनें. उनके दादा जल निर्माण विभाग में डिप्युटी जनरल मैनेजर थे. एक डॉक्टर के रूप में काम करते हुए उन्होंने महसूस किया कि लोगों की समस्याएं केवल दवा और स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि गरीबी और पिछड़ेपन की समस्याएं कहीं अधिक गंभीर हैं. फिर वह इस नतीजे पर पहुंचे कि बड़े पैमाने पर लोगों की सेवा करने के लिए सिविल सेवा परीक्षा पास करना आवश्यक है. इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए उन्होंने एक फलसफा गढ़ा, जिंदगी छोटी है, इसका पूरा उपयोग करने की जरूरत है.

डॉ. सैय्यद मुस्तफा हाशमी ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा में सफलता के लिए बहुत मेहनत, तैयारी और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है. अपनी पिछली उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उडॉ. सैय्यद मुस्तफा हाशमी ने बताया कि 2010 में उन्होंने वर्ल्ड बायलोजी ओलंपियाड (World Biology Olympiad ) के लिए क्वॉलिफाई किया था. दक्षिण कोरिया में आयोजित कॉम्पिटिशन में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था. सोनी टीवी पर प्रसारित लोकप्रिय शो में उन्होंने अमिताभ बच्चन के सामने भी अच्छा प्रदर्शन किया. इसके अलावा भाषण और निबंध प्रतियोगिताओं में कई बार टॉपर रह चुके हैं.

पढ़ें : UPSC Topper श्रुति शर्मा का मंत्र, निरंतरता ही सफलता की सीढ़ी

हैदराबाद : संघ लोक सेवा आयो‍ग (UPSC) सिविल सर्विस एग्‍जाम (CSE) 2021 का फाइनल रिजल्‍ट सोमवार को आ गया. हैदराबाद के डॉ. सैय्यद मुस्तफा हाशमी ने 162वां रैंक हासिल कर अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय का नाम रोशन किया है. डॉ. सैय्यद मुस्तफा हाशमी उस्मानिया मेडिकल कॉलेज के एलुमनी रह चुके हैं और अभी सर्जन के तौर पर प्रैक्टिस करते हैं. अपनी सफलता के बाद डॉ. सैय्यद मुस्तफा हाशमी ने बताया कि उन्होंने अस्पतालों में गरीब लोगों की दुर्दशा को करीब से देखते हैं. इस हालात ने उन्हें बड़े कैनवास पर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया.

पुराने हैदराबाद के फर्स्ट लांसर मसाब टैंक क्षेत्र में रहने वाले डॉ. मुस्तफा ने अपने अकैडमिक करियर के दौरान हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया क्योंकि उन्होंने शिक्षा और किताबों से रिश्ता जोड़ लिया. उन्होंने कहा कि यूपीएससी परीक्षा में सफलता कोई आसान काम नहीं है क्योंकि इसके लिए तैयारी को बहुत गंभीरता से लेने की आवश्यकता होती है. अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देते हुए डॉ. सैय्यद मुस्तफा हाशमी ने कहा कि उन्होंने केवल एग्जाम में लिखा है लेकिन असली सफलता उनके माता-पिता की है, जिन्होंने पिछले 25 से 30 वर्षों में उनका पालन-पोषण करते हुए मार्गदर्शन किया.

डॉ. सैय्यद मुस्तफा हाशमी उस्मानिया मेडिकल कॉलेज के एलुमनी रह चुके हैं और अभी सर्जन के तौर पर प्रैक्टिस करते हैं

हाशमी ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान जिला अस्पताल में ड्यूटी के दौरान उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी भी की और सफल भी हुए. हाशमी वर्तमान में एक सर्जन हैं लेकिन नॉलेज से उनका गहरा संबंध है. अपने करियर के बारे में मुस्तफा ने बताया कि वह वर्तमान में पेशे से सर्जन हैं, उन्होंने उस्मानिया मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और एमएस किया है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा खाड़ी देशों में हुई क्योंकि उनके पिता सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में काम करते थे. बाद में जब परिवार हैदराबाद लौटा तो उन्होंने एबिड्स हाई स्कूल में दाखिला लिया. इसी स्कूल से उन्होंने 10वीं की पढ़ाई पूरी की. चेतनिया स्कूल से बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद वह स्टेट मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में शामिल हुए. तब संयुक्त आंध्रप्रदेश में 10वां स्थान हासिल किया था. उनका नाम अल्पसंख्यक उम्मीदवारों में सबसे ऊपर था.

मुस्तफा ने कहा कि हालांकि उनकी निजी इच्छा डॉक्टर बनने की थी, लेकिन उनके दादा चाहते थे कि वह एक आईएएस अधिकारी बनें. उनके दादा जल निर्माण विभाग में डिप्युटी जनरल मैनेजर थे. एक डॉक्टर के रूप में काम करते हुए उन्होंने महसूस किया कि लोगों की समस्याएं केवल दवा और स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि गरीबी और पिछड़ेपन की समस्याएं कहीं अधिक गंभीर हैं. फिर वह इस नतीजे पर पहुंचे कि बड़े पैमाने पर लोगों की सेवा करने के लिए सिविल सेवा परीक्षा पास करना आवश्यक है. इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए उन्होंने एक फलसफा गढ़ा, जिंदगी छोटी है, इसका पूरा उपयोग करने की जरूरत है.

डॉ. सैय्यद मुस्तफा हाशमी ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा में सफलता के लिए बहुत मेहनत, तैयारी और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है. अपनी पिछली उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उडॉ. सैय्यद मुस्तफा हाशमी ने बताया कि 2010 में उन्होंने वर्ल्ड बायलोजी ओलंपियाड (World Biology Olympiad ) के लिए क्वॉलिफाई किया था. दक्षिण कोरिया में आयोजित कॉम्पिटिशन में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था. सोनी टीवी पर प्रसारित लोकप्रिय शो में उन्होंने अमिताभ बच्चन के सामने भी अच्छा प्रदर्शन किया. इसके अलावा भाषण और निबंध प्रतियोगिताओं में कई बार टॉपर रह चुके हैं.

पढ़ें : UPSC Topper श्रुति शर्मा का मंत्र, निरंतरता ही सफलता की सीढ़ी

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