रामपुर: हिमाचल प्रदेश के रामपुर महात्मा गांधी चिकित्सा परिसर में महिला के यूट्रस में हाइडेटिड सिस्ट बीमारी पाई गई. जो प्रदेश में पहला मामला बताया जा रहा है. विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार हाइडेटिड सिस्ट अक्सर लंग्स, लिवर, ब्रेन और हड्डियों में पाया जाता है, लेकिन यूट्रस में हाइडेटिड सिस्ट देश में भी रेयर है. खनेरी चिकित्सा सेवा परिसर के स्त्री रोग विशेषज्ञ ने जांच के दौरान 42 वर्षीय महिला के पेट में इस की संभावना जताई. उसके बाद विशेषज्ञ चिकित्सकों के दल ने गहनता से अध्ययन किया और फिर सफलतापूर्वक ऑपरेशन भी किया. (Hydatid Cyst in Female Uterus in Rampur) (Hydatid Cyst Successful operation in Rampur)
इंसानों में हाइडेटिड रोग दुर्लभ- ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर संजय के मुताबिक ये हाइडेटिड (hydatid disease) बीमारी मूल रूप से कुत्तों, भेड़ और बकरियों में पाई जाती है, लेकिन इंसानों में ऐसे मामले मिलना दुर्लभ है. जो मुख्य रूप से पेट, फेफड़े, ब्रेन या हड्डियों में पाया जाता है. स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर दिनेश शर्मा ने बताया जब उनके पास मरीज आया तो जांच के बाद इस बीमारी का पता चला. जिसके बाद सर्जन और अन्य विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किया. अल्ट्रासाउंड के बाद 42 वर्षीय महिला का ऑपरेशन किया. उन्होंने बताया कि यूट्रस में हाइडेटिड सिस्ट बहुत ही दुर्लभ है. देश में भी इस तरह के मामले बहुत कम सामने आए हैं. और हिमाचल में तो ऐसा मामला अब तक सामने नहीं आया है. (Hydatid Cyst case in Rampur) (Hydatid Cyst case in Himachal)
डेढ़ साल से समस्या थी- वहीं, डॉ. संजय ने बताया वीरवार को उनके द्वारा एमजी एमएससी खनेरी में एक महिला का ऑपरेशन किया है जोकि हाइडेटिड सिस्ट यूट्रस था. जिसे सफलतापूर्वक ऑपरेट किया गया. महिला के पति डोला राम के मुताबिक उनकी पत्नी को नाभि के नीचे गोला जैसा बनने की शिकायत थी. रामपुर अस्पताल में दिखाया गया तब पता चला कि हाइडेटिड सिस्ट है. इसका डॉक्टर ने सफल ऑपरेशन किया है. बता दें कि ये ऑपरेशन 1 घंटे तक चला जिसमें लगभग 2 किलो की गांठ को निकाला गया है. (hydatid cyst in uterus)
पेट से करीब दो किलो की गांठ या सिस्ट निकाली- महिला के पेट का ऑपरेशन करके करीब दो किलो वजन की सिस्ट बाहर निकाली गई. दरअसल सिस्ट पेट में होने के कारण इसे फैलने की काफी जगह मिल गई. जिसके कारण इसका आकार समय के साथ बढ़ता रहा. ऑपरेशन के बाद निकाली गई सिस्ट आकार में एक फुटबॉल जैसी थी. ऑपरेशन के बाद महिला की हालत ठीक है.
हाइडेटिड रोग के लक्षण क्या हैं- इस रोग में विकसित होने वाले लक्षण मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करते हैं कि सिस्ट शरीर के किस अंग में विकसित हुई है और इसका आकार कितना बड़ा है. इस रोग में सबसे ज्यादा लिवर प्रभावित होता है और फिर उसके बाद फेफड़ों के मामले देखे गए हैं, इसलिए हाइडेटिड रोग में इन अंगों से संबंधित लक्षण विकसित हो सकते हैं. (Symptoms of hydatid disease)
इसके अलावा यदि सिस्ट पेट के किसी हिस्से में विकसित हुई है, तो ऐसे मामलों में कई बार सिस्ट को बढ़ने के लिए काफी जगह मिल जाती है. ऐसी स्थिति में सिस्ट का आकार काफी बढ़ जाता है और उसमें कई लीटर तक द्रव जमा हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को जी मिचलाना, उल्टी आना और प्रभावित हिस्से में दर्द रहना आदि लक्षण हो सकते हैं. यदि यह सिस्ट फूट जाए तो मरीज के लिए जानलेवा स्थिति पैदा हो सकती है.
क्या होता है हाइडेटिड सिस्ट- हाइडेटिड सिस्ट एक विशेष प्रकार के कीड़े का अंडा होता है जिस पर कवच चढ़ा होता है यह अंडा शरीर के जिस अंग में पहुंचता है ये वहां पर धीरे-धीरे आकार में बड़ा होने लगता है. ये सिस्ट ज्यादातर शरीर के अंदर सबसे ज्यादा फेफड़े और लिवर में पाया जाता है. हाइडेटिड डिजीज को हाइडेटिडोसिस या एकाइनिकॉकोसिस के नाम से भी जाना जाता है. यह एक विशेष पैरासाइट से होने वाला गंभीर संक्रमण है, जो संभावित रूप से मरीज के जीवन के लिए घातक हो सकता है. (What is hydatid cyst)
हाइडेटिड रोग क्यों होता है- हाइडेटिड रोग एक परजीवी संक्रमण है, जो जीनस एकाइनोकॉकस के टेपवर्म से होता है. यह एक हानिकारक रोगजनक परजीवी है, जानवरों से मनुष्यों में फैलता है. यह मनुष्यों में आमतौर पर संक्रमित कुत्तों के मल के संपर्क में आने से होता है, क्योंकि इनके मल में टेपवर्म के अंडे मौजूद होते हैं. टेपवर्म या उनके अंडों से संपर्क मुख्य रूप से भोजन, पानी और जानवरों के बाल आदि से होता है. संक्रमित कुत्तों की पूंछ व गुदा के आस-पास के बालों में टेपवार्म के अंडे चिपके रह जाते हैं और उन्हें उठाने या हाथ लगाने से ये अंडे हाथों पर लग जाते हैं. खाना खाने, पानी पीने या सामान्य तौर पर मुंहं पर हाथ लगाने से ये अंडे मुंह तक पहुंच कर शरीर के अंदर चले जाते हैं.
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