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Human Sacrifice at Kamakhya: गुवाहाटी पुलिस ने पांच आरोपियों को किया गिरफ्तार

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Published : Apr 4, 2023, 8:48 PM IST

गुवाहाटी पुलिस ने कामाख्या मंदिर में मानव बलि की घटना में शामिल पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जून 2019 कामाख्या में अंबुबाची से ठीक दो दिन पहले मानव बलि की घटना सामने आई थी.

Human Sacrifice at Kamakhya
गुवाहाटी पुलिस ने पांच अपराधियों को किया गिरफ्तार

गुवाहाटी: गुवाहाटी पुलिस ने करीब चार साल बाद कामाख्या मंदिर में मानव बलि की घटना में शामिल पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है. गुवाहाटी सीपी दिगंत बोरा ने मंगलवार को मीडिया को पूरी घटना की जानकारी दी. 18 जून 2019 को कामाख्या में अंबुबाची से ठीक दो दिन पहले मानव बलि की घटना सामने आई थी. गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर जाने वाली सड़क पर कंबल से ढकी एक सिर कटी महिला की लाश बरामद हुई थी. उस समय सभी लोगों ने सोचा कि यह मानव बलि की घटना है. गुवाहाटी पुलिस ने मामला दर्ज कर दो संदिग्ध व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था. पुलिस महिला की शिनाख्त कर रही थी.

घटना के 10 दिन बाद 28 जून को पश्चिम बंगाल के हुगली जिले का एक व्यक्ति सुरेश शॉ जालुकबाड़ी थाने पहुंचा. उसने पुलिस को बताया कि अंबुबाची के दिन उसकी मां हर साल की तरह एक बाबा के साथ कामाख्या आ रही थी, लेकिन उस समय वह लापता हो गई थी. जब पुलिस ने उसे अज्ञात शव दिखाया तो सुरेश के होश उड़ गए. क्योंकि वह उसकी मां का शरीर था. कपड़े और शरीर पर बने टैटू से उसने शव की शिनाख्त की. महिला का नाम शांति शॉ था.

सीपी का कार्यभार संभालने के बाद दिगंत बोरा ने कामाख्या के मानव बलि मामले की फाइल एक महीने पहले फिर से खोली थी. असम पुलिस द्वारा फिर से जांच की प्रक्रिया शुरू की गई.

जांच टीम कूचबिहार पहुंची और कैलाश बर्मन के आवास पर तलाशी अभियान शुरू किया. वह भी पुलिस के शक के घेरे में था. टीम ने शांति के मोबाइल, आधार और कपड़े समेत एक बैग बरामद किया. कैलाश ने खुलासा किया कि माता प्रसाद पांडे नाम का एक व्यक्ति 2019 में उसके घर आ रहा था और उसने बैग रखने को कहा. कैलाश ने यह भी कहा कि वह माता प्रसाद को 8 साल से जानते हैं.

सबूत बरामद करने के बाद, पुलिस ने उस मामले में शामिल होने के आरोप में 5 लोगों को गिरफ्तार किया. ये हैं मध्य प्रदेश के माताप्रसाद पाण्डेय, सुरेश पासवान (गुवाहाटी), प्रदीप पाठक उर्फ ​​दिनेश उर्फ ​​राजू (मथुरा), कानू आचार्य उर्फ ​​कानू तांत्रिक (गुवाहाटी) और भयाराम मोरिया उर्फ ​​राजू बाबा हैं. सात और आरोपी अभी फरार हैं.

मानव बलि कैसे दी?18 जून की मध्य रात्रि कामाख्या के समीप भूतनाथ श्मशान घाट में माता प्रसाद द्वारा काली पूजा की गई. उस पूजा में कम से कम 12 लोगों ने हिस्सा लिया. एक महिला भी वहां थी और उन्होंने उसे शराब और मांस का सेवन करने के लिए मजबूर किया. उसके बाद वे नीलाचल पहाड़ी पर बगला मंदिर के पास एक अन्य श्मशान घाट आए. वहां भी उन्होंने पूजा की. उस पूजा के बाद, वे उसी स्थान पर स्थित एक मंदिर में आए. महिला को वहीं लेटने को कहा. जब महिला ने उनके आदेश का पालन किया, तो उन्होंने उसका सिर काट दिया. महिला का सिर ब्रह्मपुत्र नदी में फेंक दिया गया था. शरीर का एक और हिस्सा कामाख्या की सीढ़ियों पर कंबल से ढका मिला. प्रदीप पाठक ने पूरी घटना की योजना बनाई और उसने उस मामले में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को 10 हजार नकद दिए. प्रदीप उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के कैलाश नगर का रहने वाला है. वह एक सरकारी नौकर है. उसकी मोबाइल संपर्क सूची में करीब 60 से 70 फीसदी नंबर तांत्रिक के हैं. गुवाहाटी पुलिस ने जांच जारी रखी है.

पढ़ें- तमिलनाडु : मानव बलि देने की योजना बनाने के आरोप में पांच लोग गिरफ्तार

गुवाहाटी: गुवाहाटी पुलिस ने करीब चार साल बाद कामाख्या मंदिर में मानव बलि की घटना में शामिल पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है. गुवाहाटी सीपी दिगंत बोरा ने मंगलवार को मीडिया को पूरी घटना की जानकारी दी. 18 जून 2019 को कामाख्या में अंबुबाची से ठीक दो दिन पहले मानव बलि की घटना सामने आई थी. गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर जाने वाली सड़क पर कंबल से ढकी एक सिर कटी महिला की लाश बरामद हुई थी. उस समय सभी लोगों ने सोचा कि यह मानव बलि की घटना है. गुवाहाटी पुलिस ने मामला दर्ज कर दो संदिग्ध व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था. पुलिस महिला की शिनाख्त कर रही थी.

घटना के 10 दिन बाद 28 जून को पश्चिम बंगाल के हुगली जिले का एक व्यक्ति सुरेश शॉ जालुकबाड़ी थाने पहुंचा. उसने पुलिस को बताया कि अंबुबाची के दिन उसकी मां हर साल की तरह एक बाबा के साथ कामाख्या आ रही थी, लेकिन उस समय वह लापता हो गई थी. जब पुलिस ने उसे अज्ञात शव दिखाया तो सुरेश के होश उड़ गए. क्योंकि वह उसकी मां का शरीर था. कपड़े और शरीर पर बने टैटू से उसने शव की शिनाख्त की. महिला का नाम शांति शॉ था.

सीपी का कार्यभार संभालने के बाद दिगंत बोरा ने कामाख्या के मानव बलि मामले की फाइल एक महीने पहले फिर से खोली थी. असम पुलिस द्वारा फिर से जांच की प्रक्रिया शुरू की गई.

जांच टीम कूचबिहार पहुंची और कैलाश बर्मन के आवास पर तलाशी अभियान शुरू किया. वह भी पुलिस के शक के घेरे में था. टीम ने शांति के मोबाइल, आधार और कपड़े समेत एक बैग बरामद किया. कैलाश ने खुलासा किया कि माता प्रसाद पांडे नाम का एक व्यक्ति 2019 में उसके घर आ रहा था और उसने बैग रखने को कहा. कैलाश ने यह भी कहा कि वह माता प्रसाद को 8 साल से जानते हैं.

सबूत बरामद करने के बाद, पुलिस ने उस मामले में शामिल होने के आरोप में 5 लोगों को गिरफ्तार किया. ये हैं मध्य प्रदेश के माताप्रसाद पाण्डेय, सुरेश पासवान (गुवाहाटी), प्रदीप पाठक उर्फ ​​दिनेश उर्फ ​​राजू (मथुरा), कानू आचार्य उर्फ ​​कानू तांत्रिक (गुवाहाटी) और भयाराम मोरिया उर्फ ​​राजू बाबा हैं. सात और आरोपी अभी फरार हैं.

मानव बलि कैसे दी?18 जून की मध्य रात्रि कामाख्या के समीप भूतनाथ श्मशान घाट में माता प्रसाद द्वारा काली पूजा की गई. उस पूजा में कम से कम 12 लोगों ने हिस्सा लिया. एक महिला भी वहां थी और उन्होंने उसे शराब और मांस का सेवन करने के लिए मजबूर किया. उसके बाद वे नीलाचल पहाड़ी पर बगला मंदिर के पास एक अन्य श्मशान घाट आए. वहां भी उन्होंने पूजा की. उस पूजा के बाद, वे उसी स्थान पर स्थित एक मंदिर में आए. महिला को वहीं लेटने को कहा. जब महिला ने उनके आदेश का पालन किया, तो उन्होंने उसका सिर काट दिया. महिला का सिर ब्रह्मपुत्र नदी में फेंक दिया गया था. शरीर का एक और हिस्सा कामाख्या की सीढ़ियों पर कंबल से ढका मिला. प्रदीप पाठक ने पूरी घटना की योजना बनाई और उसने उस मामले में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को 10 हजार नकद दिए. प्रदीप उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के कैलाश नगर का रहने वाला है. वह एक सरकारी नौकर है. उसकी मोबाइल संपर्क सूची में करीब 60 से 70 फीसदी नंबर तांत्रिक के हैं. गुवाहाटी पुलिस ने जांच जारी रखी है.

पढ़ें- तमिलनाडु : मानव बलि देने की योजना बनाने के आरोप में पांच लोग गिरफ्तार

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