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अंतरराष्ट्रीय ताकतों के इशारे पर भारत पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लग रहे : NHRC चीफ - human right defenders condemn political violence

एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा (NHRC chief Arun Kumar Mishra) ने कहा कि भारत के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन के झूठे आरोप लगाना बहुत आम हो गया है, इसका विरोध होना चाहिए. वह एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. जानिए उन्होंने और क्या कहा.

NHRC चीफ अरुण मिश्रा
NHRC चीफ अरुण मिश्रा
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Published : Oct 12, 2021, 3:33 PM IST

नई दिल्ली : भारत आज सबसे मजबूत लोकतांत्रिक ताकतों में से एक है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय ताकतों के इशारे पर मानवाधिकारों के उल्लंघन (human rights violations) का आरोप लगाने की एक नई प्रवृत्ति शुरू हो गई है. यह बात राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण मिश्रा ने मंगलवार को कही.

अरुण मिश्रा ने कहा कि समाज सेवा संगठनों और मानवाधिकार रक्षकों को राजनीतिक हिंसा और आतंकवाद की कड़ी निंदा करनी चाहिए क्योंकि इस मुद्दे पर उदासीनता 'कट्टरपंथ' पैदा करती है. यहां विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में पिछली सदी में वैश्विक स्तर पर राजनीतिक हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जान जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश और विदेश में राजनीतिक हिंसा अभी भी बंद नहीं हुई है.

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हुए. एनएचआरसी प्रमुख ने कहा, 'भारत में 'सर्वधर्म समभाव' (धर्मों का सामंजस्य) की भावना है. सभी को मंदिर या मस्जिद या चर्च बनाने की आजादी है लेकिन कई देशों में ऐसी स्वतंत्रता नहीं है.'

'हत्यारों का महिमामंडन नहीं किया जा सकता'
उन्होंने कहा कि मनुष्य मानवता को नष्ट करने पर आमादा हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि निर्दोष लोगों के हत्यारों का महिमामंडन नहीं किया जा सकता है. मिश्रा ने कहा, 'समाज सेवा संगठनों और मानवाधिकार रक्षकों को राजनीतिक हिंसा और आतंकवाद की कड़ी निंदा करनी चाहिए. इस मुद्दे पर उदासीनता, कट्टरवाद को जन्म देती है और इतिहास हमें इसके लिए कभी माफ नहीं करेगा.

पढ़ें- साइबर स्पेस और सोशल मीडिया का इस्तेमाल समझदारी से किया जाना चाहिए: NHRC प्रमुख

पढ़ें- एनएचआरसी समिति के खिलाफ पक्षपात के आरोप सही नहीं हैं : न्यायमूर्ति आईपी मुखर्जी

नई दिल्ली : भारत आज सबसे मजबूत लोकतांत्रिक ताकतों में से एक है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय ताकतों के इशारे पर मानवाधिकारों के उल्लंघन (human rights violations) का आरोप लगाने की एक नई प्रवृत्ति शुरू हो गई है. यह बात राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण मिश्रा ने मंगलवार को कही.

अरुण मिश्रा ने कहा कि समाज सेवा संगठनों और मानवाधिकार रक्षकों को राजनीतिक हिंसा और आतंकवाद की कड़ी निंदा करनी चाहिए क्योंकि इस मुद्दे पर उदासीनता 'कट्टरपंथ' पैदा करती है. यहां विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में पिछली सदी में वैश्विक स्तर पर राजनीतिक हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जान जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश और विदेश में राजनीतिक हिंसा अभी भी बंद नहीं हुई है.

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हुए. एनएचआरसी प्रमुख ने कहा, 'भारत में 'सर्वधर्म समभाव' (धर्मों का सामंजस्य) की भावना है. सभी को मंदिर या मस्जिद या चर्च बनाने की आजादी है लेकिन कई देशों में ऐसी स्वतंत्रता नहीं है.'

'हत्यारों का महिमामंडन नहीं किया जा सकता'
उन्होंने कहा कि मनुष्य मानवता को नष्ट करने पर आमादा हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि निर्दोष लोगों के हत्यारों का महिमामंडन नहीं किया जा सकता है. मिश्रा ने कहा, 'समाज सेवा संगठनों और मानवाधिकार रक्षकों को राजनीतिक हिंसा और आतंकवाद की कड़ी निंदा करनी चाहिए. इस मुद्दे पर उदासीनता, कट्टरवाद को जन्म देती है और इतिहास हमें इसके लिए कभी माफ नहीं करेगा.

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