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आखिरकार 32 साल का संघर्ष खत्म, इंदौर की हुकुमचंद मिल के हजारों श्रमिकों को मिली बकाया राशि

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 25, 2023, 4:40 PM IST

सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली रूप से इंदौर की हुकुमचंद मिल के हजारों श्रमिकों को उनकी बकाया राशि समर्पित की. मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने श्रमिकों और उनके परिजनों को बकाया राशि के चेक प्रदान किए. 1991 से बंद पड़ी हुकुमचंद मिल के 5897 मजदूर और उनके परिजनों को आखिरकार लंबित राशि मिल सकी है. Hukumchand Mill workers got cheque

Hukumchand Mill indore workers issued cheque
इंदौर की हुकुमचंद मिल के हजारों श्रमिकों को मिली बकाया राशि
इंदौर की हुकुमचंद मिल के हजारों श्रमिकों को मिली बकाया राशि

इंदौर। श्रमिकों के परिजनों से पीएम मोदी ने कहा कि आज का कार्यक्रम श्रमिक भाई बहनों की कई वर्षों की तपस्या, सपने और संघर्षों का परिणाम है. यह अवसर मेरे लिए भी बहुत संतोष का विषय है. सुशासन दिवस पर मध्य प्रदेश में अटल जी के जन्म जयंती अवसर पर इस कार्यक्रम की सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं. प्रधानमंत्री ने कहा आज सांकेतिक तौर पर 224 करोड़ रुपए का चेक श्रमिकों को सौंपा गया है. यह राशि आने वाले दिनों में श्रमिक भाई-बहनों तक पहुंचेगी. उन्होंने कहा 1991 से लेकर अब तक जिन मजदूरों ने अपने बकाया हक के लिए संघर्ष किया, उनके धैर्य और समर्पण के आगे मैं नतमस्तक हूं.

पीएम ने इंदौर की कपड़ा मिलों को याद किया : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वच्छता और स्वाद के लिए मशहूर इंदौर कितने ही क्षेत्र में अग्रणी रहा है. इंदौर के विकास में यहां के कपड़ा उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यहां के 100 साल पुराने महाराज तुकोजी राव क्लॉथ मार्केट की ऐतिहासिकता सब जानते हैं. शहर की पहली कॉटन मिल की स्थापना भी होलकर राजघराने ने की थी. उस समय इंदौर की मिल का कपड़ा ब्रिटेन और यूरोपीय देशों तक जाता था और वहां की मिल में कपड़ा बनाया जाता था. एक समय था जब कपड़े के भाव इंदौर के बाजार तय करते थे. इंदौर में बने कपड़ों की मांग देश-विदेश में थी. तब यहां कपड़ा मिलें रोजगार का बड़ा केंद्र बन गई थीं.

मजदूर यूनियन ने क्या कहा : पीएम मोदी ने कहा कि इन मिलों में काम करने वाले श्रमिक दूसरे राज्यों से आए और यही बस गए. उस जमाने में इंदौर की तुलना मैनचेस्टर से होती थी. लेकिन समय बदला और पहले की सरकारों की नीतियों का नुकसान मजदूरों को उठाना पड़ा लेकिन अब डबल इंजन की सरकार मजदूरों को उनके हक की राशि लौटाने के साथ इंदौर के पुराने गौरव को फिर से लौटने का प्रयास कर रही है. इस अवसर पर मजदूर यूनियन के हरनाम सिंह धारीवाल ने कहा देश में टेक्सटाइल के उद्योग में इंदौर के हुकुमचंद मिल के मजदूरों का सबसे बड़ा संघर्ष रहा है लेकिन आज जिन लोगों की बदौलत मजदूरों को उनके हक की राशि मिली है, वे सभी बधाई के पात्र हैं.

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कम से कम एक मिल जारी रखें : धारीवाल ने इस दौरान प्रधानमंत्री से मांग करते हुए कहा कि इंदौर में कपड़ा मिले सब बंद हो रही हैं. इसलिए इंदौर का नाम टेक्सटाइल क्षेत्र में बना रहे लिहाजा एक मिल को जरूर चालू रखा जाना चाहिए. जिससे टेक्सटाइल के क्षेत्र में इंदौर का नाम बना रहे. दरअसल, इंदौर हाई कोर्ट ने हुकुमचंद मिलकर मजदूरों को 229 करोड़ का क्लेम मंजूर किया था. जिसमें से 50 करोड़ रुपए सरकार से श्रमिकों को दिलवाए गए थे. इसके अलावा शेष 179 करोड़ में से मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड ने 174 करोड रुपए फिलहाल मंजूर किए हैं. इसके अलावा श्रमिकों ने राज्य सरकार से 88 करोड़ रुपए के ब्याज की भी मांग की है. गौरतलब है कि शिवराज सरकार की आखिरी कैबिनेट ने 44 करोड़ रुपए मंजूर किए थे. इस प्रकार श्रमिकों को कल 223 करोड़ रुपए वितरित किए जा रहे हैं.

इंदौर की हुकुमचंद मिल के हजारों श्रमिकों को मिली बकाया राशि

इंदौर। श्रमिकों के परिजनों से पीएम मोदी ने कहा कि आज का कार्यक्रम श्रमिक भाई बहनों की कई वर्षों की तपस्या, सपने और संघर्षों का परिणाम है. यह अवसर मेरे लिए भी बहुत संतोष का विषय है. सुशासन दिवस पर मध्य प्रदेश में अटल जी के जन्म जयंती अवसर पर इस कार्यक्रम की सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं. प्रधानमंत्री ने कहा आज सांकेतिक तौर पर 224 करोड़ रुपए का चेक श्रमिकों को सौंपा गया है. यह राशि आने वाले दिनों में श्रमिक भाई-बहनों तक पहुंचेगी. उन्होंने कहा 1991 से लेकर अब तक जिन मजदूरों ने अपने बकाया हक के लिए संघर्ष किया, उनके धैर्य और समर्पण के आगे मैं नतमस्तक हूं.

पीएम ने इंदौर की कपड़ा मिलों को याद किया : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वच्छता और स्वाद के लिए मशहूर इंदौर कितने ही क्षेत्र में अग्रणी रहा है. इंदौर के विकास में यहां के कपड़ा उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यहां के 100 साल पुराने महाराज तुकोजी राव क्लॉथ मार्केट की ऐतिहासिकता सब जानते हैं. शहर की पहली कॉटन मिल की स्थापना भी होलकर राजघराने ने की थी. उस समय इंदौर की मिल का कपड़ा ब्रिटेन और यूरोपीय देशों तक जाता था और वहां की मिल में कपड़ा बनाया जाता था. एक समय था जब कपड़े के भाव इंदौर के बाजार तय करते थे. इंदौर में बने कपड़ों की मांग देश-विदेश में थी. तब यहां कपड़ा मिलें रोजगार का बड़ा केंद्र बन गई थीं.

मजदूर यूनियन ने क्या कहा : पीएम मोदी ने कहा कि इन मिलों में काम करने वाले श्रमिक दूसरे राज्यों से आए और यही बस गए. उस जमाने में इंदौर की तुलना मैनचेस्टर से होती थी. लेकिन समय बदला और पहले की सरकारों की नीतियों का नुकसान मजदूरों को उठाना पड़ा लेकिन अब डबल इंजन की सरकार मजदूरों को उनके हक की राशि लौटाने के साथ इंदौर के पुराने गौरव को फिर से लौटने का प्रयास कर रही है. इस अवसर पर मजदूर यूनियन के हरनाम सिंह धारीवाल ने कहा देश में टेक्सटाइल के उद्योग में इंदौर के हुकुमचंद मिल के मजदूरों का सबसे बड़ा संघर्ष रहा है लेकिन आज जिन लोगों की बदौलत मजदूरों को उनके हक की राशि मिली है, वे सभी बधाई के पात्र हैं.

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कम से कम एक मिल जारी रखें : धारीवाल ने इस दौरान प्रधानमंत्री से मांग करते हुए कहा कि इंदौर में कपड़ा मिले सब बंद हो रही हैं. इसलिए इंदौर का नाम टेक्सटाइल क्षेत्र में बना रहे लिहाजा एक मिल को जरूर चालू रखा जाना चाहिए. जिससे टेक्सटाइल के क्षेत्र में इंदौर का नाम बना रहे. दरअसल, इंदौर हाई कोर्ट ने हुकुमचंद मिलकर मजदूरों को 229 करोड़ का क्लेम मंजूर किया था. जिसमें से 50 करोड़ रुपए सरकार से श्रमिकों को दिलवाए गए थे. इसके अलावा शेष 179 करोड़ में से मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड ने 174 करोड रुपए फिलहाल मंजूर किए हैं. इसके अलावा श्रमिकों ने राज्य सरकार से 88 करोड़ रुपए के ब्याज की भी मांग की है. गौरतलब है कि शिवराज सरकार की आखिरी कैबिनेट ने 44 करोड़ रुपए मंजूर किए थे. इस प्रकार श्रमिकों को कल 223 करोड़ रुपए वितरित किए जा रहे हैं.

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