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Elephants Terror : जंगली हाथियों से जान-माल की रक्षा के लिए अपनाएं ग्रामीणों का प्राचीन तरीका

अतानु राहा, पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि यह उत्तर बंगाल के कुछ आदिवासी ग्रामीणों द्वारा अपनाई जाने वाली एक बहुत पुरानी प्रथा है, जिसे उन्होंने फिर से पुनर्जीवित किया है. Elephants terror . West Bengal elephants .

Elephants Terror
जंगली हाथी
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Published : Mar 25, 2023, 9:36 AM IST

कोलकाता : उत्तर बंगाल के एक गांव के निवासियों ने जंगली हाथियों को भोजन की तलाश में गांव में प्रवेश करने से रोकने और मानव-हाथी संघर्ष से बचने के लिए एक अनूठा तरीका अपनाया है.अलीपुरद्वार जिले के कालचीनी विकास खंड के अंतर्गत लताबाड़ी गांव के निवासियों ने कुछ समय से गांव के प्रवेश द्वार पर हाथियों के पंसद का भोजन रखना शुरू कर दिया है. ग्रामीणों ने बताया कि इस पहल ने चमत्कार कर दिया है. यहां पर भोजन से संतुष्ट हो जाने वाले हाथी भोजन की तलाश में गांव में प्रवेश नहीं करते और तबाही ( Elephants terror ) नहीं मचाते. ग्रामीण इन गांवों में प्रवेश बिंदुओं पर जो भी कृषि उत्पाद पैदा करते हैं, उसका स्टॉक कर रहे हैं. यह धान या कद्दू आदि हो सकता है. राज्य वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि मामले में अध्ययन कर इसे प्रदेश के अन्य हिस्सों में लागू कराने पर विचार किया जाएगा. West Bengal elephants .

धार्मिक भावना से प्रेरित प्रथा
संपर्क करने पर पश्चिम बंगाल के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक अतानु राहा ने आईएएनएस को बताया कि यह उत्तर बंगाल के कुछ आदिवासी ग्रामीणों द्वारा अपनाई जाने वाली एक बहुत पुरानी प्रथा है, जिसे उन्होंने फिर से पुनर्जीवित किया है. राहा ने कहा, हाथियों के लिए उनकी कृषि उपज का एक हिस्सा आरक्षित करने और उन्हें गांवों में प्रवेश बिंदुओं पर स्टॉक करने की यह प्रथा एक धार्मिक भावना से प्रेरित थी कि उस भोजन से संतुष्ट होने के कारण हाथी गांवों में प्रवेश नहीं करेंगे और तबाही नहीं मचाएंगे. लेकिन धीरे-धीरे यह अभ्यास फीका पड़ने लगा. यह सुनकर खुशी हुई कि इस विशेष ग्राम पंचायत के निवासियों ने पुरानी प्रथा को फिर से जीवित कर दिया है और मुझे उम्मीद है कि अन्य गांवों के निवासी भी इसे अपनाएंगे.

हाथी का मनोविज्ञान
उन्होंने यह भी दावा किया कि इस दृष्टिकोण के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है, जिसमें हाथियों का मनोविज्ञान शामिल है. राहा ने कहा, ग्रामीण उत्कृष्ट खाद्य प्रबंधक हैं. वे जानते हैं कि वे केवल 50 किलोग्राम धान के साथ लगभग 300 किलोग्राम जंगली वनस्पतियों की दैनिक भोजन की आवश्यकता की भरपाई कर सकते हैं. इसलिए ग्रामीण गांव के प्रवेश बिंदुओं पर धान या कद्दू जैसी वस्तुओं का स्टॉक कर रहे हैं. ये खाद्य पदार्थ हाथियों को सबसे अधिक पसंद होते हैं. How to prevent wild elephants to enter in village .

दूसरी बात, उन्होंने कहा, अक्सर हाथी जंगल से सटे गांवों पर आक्रमण करते हैं, वे वास्तव में जितना खाते हैं उससे अधिक फसलों को नष्ट कर देते हैं. राहा ने कहा, इसके अलावा हाथियों के आक्रमण में ग्रामीणों के घर आदि भी नष्ट हो जाते हैं, इसलिए, अगर इन हाथियों को गांव के प्रवेश बिंदुओं पर अपना पसंदीदा भोजन मिलता है, तो वे गांवों में प्रवेश करने से बचेंगे. How to stop wild elephants to enter in village . Wild elephants terror .

(आईएएनएस)

Elephants Terror : जंगली हाथियों से मुकाबला करेंगी मधुमक्खियां, जानें कैसे रुकेगा गजराज का गदर

कोलकाता : उत्तर बंगाल के एक गांव के निवासियों ने जंगली हाथियों को भोजन की तलाश में गांव में प्रवेश करने से रोकने और मानव-हाथी संघर्ष से बचने के लिए एक अनूठा तरीका अपनाया है.अलीपुरद्वार जिले के कालचीनी विकास खंड के अंतर्गत लताबाड़ी गांव के निवासियों ने कुछ समय से गांव के प्रवेश द्वार पर हाथियों के पंसद का भोजन रखना शुरू कर दिया है. ग्रामीणों ने बताया कि इस पहल ने चमत्कार कर दिया है. यहां पर भोजन से संतुष्ट हो जाने वाले हाथी भोजन की तलाश में गांव में प्रवेश नहीं करते और तबाही ( Elephants terror ) नहीं मचाते. ग्रामीण इन गांवों में प्रवेश बिंदुओं पर जो भी कृषि उत्पाद पैदा करते हैं, उसका स्टॉक कर रहे हैं. यह धान या कद्दू आदि हो सकता है. राज्य वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि मामले में अध्ययन कर इसे प्रदेश के अन्य हिस्सों में लागू कराने पर विचार किया जाएगा. West Bengal elephants .

धार्मिक भावना से प्रेरित प्रथा
संपर्क करने पर पश्चिम बंगाल के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक अतानु राहा ने आईएएनएस को बताया कि यह उत्तर बंगाल के कुछ आदिवासी ग्रामीणों द्वारा अपनाई जाने वाली एक बहुत पुरानी प्रथा है, जिसे उन्होंने फिर से पुनर्जीवित किया है. राहा ने कहा, हाथियों के लिए उनकी कृषि उपज का एक हिस्सा आरक्षित करने और उन्हें गांवों में प्रवेश बिंदुओं पर स्टॉक करने की यह प्रथा एक धार्मिक भावना से प्रेरित थी कि उस भोजन से संतुष्ट होने के कारण हाथी गांवों में प्रवेश नहीं करेंगे और तबाही नहीं मचाएंगे. लेकिन धीरे-धीरे यह अभ्यास फीका पड़ने लगा. यह सुनकर खुशी हुई कि इस विशेष ग्राम पंचायत के निवासियों ने पुरानी प्रथा को फिर से जीवित कर दिया है और मुझे उम्मीद है कि अन्य गांवों के निवासी भी इसे अपनाएंगे.

हाथी का मनोविज्ञान
उन्होंने यह भी दावा किया कि इस दृष्टिकोण के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है, जिसमें हाथियों का मनोविज्ञान शामिल है. राहा ने कहा, ग्रामीण उत्कृष्ट खाद्य प्रबंधक हैं. वे जानते हैं कि वे केवल 50 किलोग्राम धान के साथ लगभग 300 किलोग्राम जंगली वनस्पतियों की दैनिक भोजन की आवश्यकता की भरपाई कर सकते हैं. इसलिए ग्रामीण गांव के प्रवेश बिंदुओं पर धान या कद्दू जैसी वस्तुओं का स्टॉक कर रहे हैं. ये खाद्य पदार्थ हाथियों को सबसे अधिक पसंद होते हैं. How to prevent wild elephants to enter in village .

दूसरी बात, उन्होंने कहा, अक्सर हाथी जंगल से सटे गांवों पर आक्रमण करते हैं, वे वास्तव में जितना खाते हैं उससे अधिक फसलों को नष्ट कर देते हैं. राहा ने कहा, इसके अलावा हाथियों के आक्रमण में ग्रामीणों के घर आदि भी नष्ट हो जाते हैं, इसलिए, अगर इन हाथियों को गांव के प्रवेश बिंदुओं पर अपना पसंदीदा भोजन मिलता है, तो वे गांवों में प्रवेश करने से बचेंगे. How to stop wild elephants to enter in village . Wild elephants terror .

(आईएएनएस)

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