लंदन : भौतिक जलवायु जोखिम का विश्लेषण करने वाली एक्सडीआई (क्रॉस डिपेंडेंसी एनालिसिस) की ओर से जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार, यदि देश जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन पर अंकुश लगाने में विफल रहते हैं, तो दुनिया भर के 12 अस्पतालों में से 1 को जलवायु परिवर्तन की चरम मौसमी घटनाओं के कारण आंशिक या पूर्ण रूप से बंद करना पड़ सकता है.
भारत में, चरम मौसम की घटनाओं के कारण बंद होने के उच्च जोखिम वाले अस्पतालों का अनुपात 2050 तक 5.7% होगा, और यदि उत्सर्जन अधिक हुआ तो सदी के अंत तक लगभग 10 में से 1 (9.6%) अस्पताल प्रभावित होगा. भारत 2100 तक चरम मौसम की घटनाओं से क्षति के जोखिम वाले सबसे अधिक अस्पतालों वाला देश होगा. जिसमें 5,120 अस्पताल उच्च जोखिम में होंगे. भारत में विश्लेषण किए गए अस्पतालों की संख्या 53,473 थी, जो अध्ययन में शामिल 50 देशों में सबसे अधिक है. 13,596 अस्पतालों के साथ रूस दूसरे स्थान पर था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन चरम मौसमी गतिविधियों के अनुसार तूफान, भयंकर तूफान, बाढ़, जंगल की आग और अन्य आपदाओं से प्रभावित समुदायों को आपातकालीन अस्पताल देखभाल से ठीक उसी समय वंचित होना पड़ सकता है जब इसकी सबसे अधिक जरूरत होगी.
एक्सडीआई (क्रॉस डिपेंडेंसी इनिशिएटिव) के विज्ञान और प्रौद्योगिकी निदेशक डॉ. कार्ल मैलोन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य पर तेजी से प्रभाव डाल रहा है. हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को तेजी से नियंत्रित नहीं किया गया तो वैश्विक स्वास्थ्य के लिए जोखिम और भी बढ़ जाएंगे. क्योंकि हजारों अस्पताल संकट के दौरान सेवाएं देने में असमर्थ हो जायेंगे.
2023 XDI ग्लोबल हॉस्पिटल इंफ्रास्ट्रक्चर फिजिकल क्लाइमेट रिस्क रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- जीवाश्म ईंधन के उपयोग को तेजी से नियंत्रित करने की जरूरत है. यदि ऐसा नहीं किया गया तो साल 2100 तक दुनिया भर के 12 अस्पतालों में से 1 बंद होने की कगार पर होंगे. माना जा रहा है कि कुल 16,245 अस्पताल इस समय सबसे अधिक जोखिम के कगार पर हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्तर के जोखिम वाली आवासीय या व्यावसायिक इमारत को बीमा योग्य नहीं माना जाएगा.
- जहां व्यावहारिक हो, इन सभी 16,245 अस्पतालों को मदद और विशेष देखभाल की आवश्यकता होगी. इस भारी निवेश के बावजूद, कई स्थानों पर पलायन ही एकमात्र विकल्प होगा.
- 2100 तक उच्च जोखिम के रूप में पहचाने गए 16,245 अस्पतालों में से 71% (11,512) निम्न और मध्यम आय वाले देशों में है.
- जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को नियंत्रित या बिलकुल रोकने से ग्लोबल वार्मिंग 1.8 डिग्री सेल्सियस तक सीमित किया जा सकेगा. ऐसा करने से अस्पताल के बुनियादी ढांचे के नुकसान का जोखिम आधा हो जाएगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्बन उत्सर्जन इसी तरह जारी रहा या इससे अधिक हुआ तो सदी के अंत तक चरम मौसमी गतिविधियों से अस्पतालों को होने वाले नुकसान का जोखिम चार गुना (311%) अधिक बढ़ जाएगा. कम उत्सर्जन परिदृश्य में, जोखिम में यह वृद्धि 106% तक समित की जा सकती है.
- रिपोर्ट में कहा गया है कि आज, दक्षिण पूर्व एशिया में दुनिया में चरम मौसम की घटनाओं से क्षति के उच्च जोखिम वाले अस्पतालों का प्रतिशत सबसे अधिक है. उच्च उत्सर्जन के कारण, सदी के अंत तक दक्षिण पूर्व एशिया में लगभग 5 में से 1 अस्पताल (18.4%) पूर्ण या आंशिक रूप से बंद हो सकते हैं.
- दक्षिण एशिया में जोखिम वाले अस्पतालों की संख्या सबसे अधिक है. इन इलाकों में जनसंख्या का घनत्व भी सबसे अधिक है. यदि उत्सर्जन अधिक हुआ तो 2050 तक, दुनिया के सभी सबसे अधिक जोखिम वाले अस्पतालों (3,357) में से एक तिहाई दक्षिण एशिया में होंगे. 2100 तक यह संख्या बढ़कर 5,894 हो सकती है.
- समुद्र तट पर और नदियों के पास स्थित अस्पतालों को सबसे अधिक खतरा बताया जा रहा है.
डॉ कार्ल मैलोन ने कहा कि अस्पतालों के लिए इस जोखिम को तेजी से कम करने और समुदायों को सुरक्षित रखने के लिए सबसे जरूरी काम है कि हम कार्बन उत्सर्जन को कम करें.
2023 XDI ग्लोबल हॉस्पिटल इंफ्रास्ट्रक्चर फिजिकल क्लाइमेट रिस्क रिपोर्ट में निरंतर कार्बन उत्सर्जन का दुनिया भर के 200,000 से अधिक अस्पतालों की छह जलवायु परिवर्तन खतरों के प्रति संवेदनशीलता का विश्लेषण किया गया है. इस रिपोर्ट को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक आयोजित COP28 संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में उद्घाटन स्वास्थ्य दिवस से पहले प्रकाशित किया जा रहा है.
रिपोर्ट के एक भाग के रूप में, XDI दुनिया भर के 200,000 से अधिक अस्पतालों के नाम, स्थान और जोखिम के स्तर (उच्च, मध्यम, निम्न) की सूची जारी कर रहा है. अपनी रिपोर्ट में एक्सडीआई सभी सरकारों से आग्रह किया है कि वे अपने क्षेत्र में उच्च जोखिम वाले अस्पतालों की जांच करें. रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी सरकारों से अपेक्षा की जा सकती है कि इस जोखिम को समझने और कम करने के लिए स्थिति का और विश्लेषण किया जायेगा. डॉ मैलोन ने कहा कि महत्वपूर्ण सेवाओं की निरंतर डिलीवरी सुनिश्चित करना सरकारों का कर्तव्य है.