श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने रविवार को उम्मीद जताई कि उच्चतम न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को 2019 में निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर यहां के लोगों के पक्ष में फैसला सुनाएगा.
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#WATCH | Srinagar, J&K: On the upcoming Supreme Court verdict tomorrow over Article 370, Democratic Progressive Azad Party (DPAP) President Ghulam Nabi Azad says, " Tomorrow when the verdict will come, we will get to know if it is in the interest of the Kashmiri people or against… pic.twitter.com/TMoDthDCP8
— ANI (@ANI) December 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) December 10, 2023
उच्चतम न्यायालय पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने संबंधी केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को अपना निर्णय सुनाएगा.
आजाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'मैंने पहले भी यह कहा है... केवल दो (संस्थाएं) हैं जो जम्मू-कश्मीर के लोगों को अनुच्छेद 370 और 35ए वापस कर सकती हैं और वे संस्थाएं संसद एवं उच्चतम न्यायालय हैं. उच्चतम न्यायालय की पीठ निष्पक्ष है और हमें उम्मीद है कि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों के पक्ष में फैसला देगी.'
कांग्रेस से अलग होने के बाद डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) की स्थापना करने वाले आजाद ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि संसद पांच अगस्त, 2019 को लिए गए निर्णयों को पलटेगी क्योंकि इसके लिए लोकसभा में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी.
उन्होंने कहा, 'अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को वापस लाने के लिए (लोकसभा में) 350 सीट की आवश्यकता होगी. जम्मू-कश्मीर में किसी भी क्षेत्रीय दल को तीन, चार या अधिकतम पांच सीट मिल सकती हैं. ये पर्याप्त नहीं होंगी. मुझे नहीं लगता कि विपक्ष इतनी संख्या जुटा पाएगा. (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी जी के पास बहुमत था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. इसलिए, यह केवल उच्चतम न्यायालय ही कर सकता है.'
आजाद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हर धर्म और जाति के लोगों का संविधान के उन विशेष प्रावधानों से भावनात्मक जुड़ाव रहा हैं जिन्हें चार साल पहले निरस्त कर दिया गया था.
उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर के लोग अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए से राजनीतिक रूप से नहीं बल्कि भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं. यह महत्वपूर्ण है कि हमारे वर्तमान और भविष्य को सुरक्षित करने के लिए इन (प्रावधानों) को बहाल किया जाए.' पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की जमीन और नौकरियां बचाने के लिए 1925 में महाराजा हरि सिंह ने विशेष प्रावधान लागू किए थे.
उन्होंने कहा, 'इन प्रावधानों को आजादी के बाद अनुच्छेद 35ए के रूप में देश के संविधान में जगह मिली। पिछले 100 वर्ष में कई सरकारें आईं और गईं तथा किसी को भी इसे बदलने की जरूरत महसूस नहीं हुई.'