कोलकाता: केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पत्र लिखकर कोलकाता राजभवन से राज्यपाल सीवी आनंद बोस के यात्रा खर्च का बकाया मांगा है. यह पत्र सीवी आनंद बोस के राजभवन में कार्यभार संभालने की वर्षगांठ के 15 दिन बाद भेजा गया था. सूत्रों का दावा है कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पर हवाई किराया, हेलीकॉप्टर किराया और ट्रेन किराया का करीब 3 करोड़ 61 लाख रुपये बकाया है.
उसमें से केंद्र को 2 करोड़ 40 लाख रुपए से अधिक मिलने की उम्मीद है. ये सारा पैसा पश्चिम बंगाल सरकार को देना चाहिए. गृह मंत्रालय ने बकाया राशि के भुगतान के लिए तुरंत पश्चिम बंगाल राजभवन को सूचित किया. नाम नही छापने की शर्त पर एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि सीवी आनंद बोस ने राज्यपाल के रूप में अपनी वर्षगांठ के दिन, यानी 23 नवंबर को राज्य के वित्त सचिव को राजभवन में बुलाया. दोनों के बीच कुछ देर तक खर्चे के मुद्दे पर चर्चा हुई.
सूत्र के अनुसार दोनों के बीच विभिन्न वित्तीय मुद्दों पर भी चर्चा हुई. फंड की मंजूरी का मामला अभी भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन सूत्रों का दावा है कि वर्तमान गवर्नर सीवी आनंद बोस ने 3.61 करोड़ रुपये का पूरा यात्रा खर्च नहीं उठाया. मौजूदा उपराष्ट्रपति और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ के कार्यकाल में कुछ खर्चे हुए थे. उनके कार्यकाल में मुख्य रूप से हेलीकॉप्टर का किराया बकाया है.
कुल मिलाकर, इस भारी भरकम बकाया की समय सीमा ज्ञात नहीं है, लेकिन सूत्रों का दावा है कि गृह मंत्रालय ने राजभवन को पहले ऐसा कोई पत्र नहीं भेजा था, जिसमें बकाया पैसे की मांग की गई हो. इस बीच, विभिन्न समाचार पत्रों और पुस्तकों की छपाई के लिए कोलकाता में प्रिंटिंग प्रेसों पर 25 लाख रुपये से अधिक का बकाया है. दूसरी ओर, राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने पिछले वर्ष विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया है.
उन्होंने विभिन्न छात्रवृत्तियों या वित्तीय पुरस्कारों की भी घोषणा की. निजी क्षेत्र के सीएसआर से प्राप्त वित्तीय संसाधनों के अलावा राज्य सरकार के खजाने से भी काफी पैसा खर्च किया गया है. सूत्रों के मुताबिक राजभवन को स्टेट बैंक से करीब एक करोड़ रुपये की आर्थिक मदद मिली है.
विभिन्न पूजा समितियों को वित्तीय पुरस्कार दिए गए और पैसा कई क्षेत्रों में खर्च किया गया. इसी तरह, यह भी पता चला है कि राज्यपाल के कार्यकाल के एक वर्ष पूरा होने के अवसर पर जितने भी कार्यक्रम और योजनाएं ली गई हैं, उनके कार्यान्वयन के लिए आवश्यक अधिकांश धन विभिन्न निजी संगठनों के सीएसआर धन से एकत्र किया जाएगा.