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बसपा की तारीफ में छिपी है शाह की 'त्रिकोणीय' मुकाबले की चाल

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के बीच भाजपा नेता अमित शाह के एक बयान ने सियासत गरमा दी है. उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि 'बसपा ने अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी है. मुझे विश्वास है कि उन्हें वोट मिलेगा.' (home minister amit shah remark on bsp)

BJP leader Amit Shah
भाजपा नेता अमित शाह
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Published : Feb 24, 2022, 3:42 PM IST

लखनऊ : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के बीच भाजपा नेता अमित शाह के एक बयान ने नई सियासत गरमा दी है. एक इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा कि 'बसपा ने अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी है. मुझे विश्वास है कि उन्हें वोट मिलेगा.'

इस बयान का बसपा प्रमुख मायावती ने भी स्वागत किया. वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इन बयानों के कई मायने हैं. इसके लिए 'ईटीवी भारत' ने बात की लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व दलित चिन्तक रविकांत से... रविकांत कहते हैं कि अमित शाह के बयान का एक पक्ष दलितों से सहानुभूति बटोरना भी है. उन्होंने ऐसा संदेश इसलिए दिया कि दलित बीजेपी को बसपा के करीब समझें. जहां बसपा का प्रत्याशी न जीत रहा हो, दलित भाजपा को वोट कर दे. इससे बसपा को नुकसान हो सकता है.

बसपा प्रमुख मायावती

रविकांत के मुताबिक, बीजेपी को लग रहा है कि यूपी में बाइपोलर चुनाव मुश्किल भरा हो सकता है. ऐसे में त्रिकोणीय मुकाबला सत्ता की राह आसान करेगा. इसलिए मायावती को जमीनी स्तर पर मजबूत बताया, ताकि उनका वोट बसपा को कमजोर समझकर सपा में जाने के बजाए उन्हीं को दे.

वहीं, मायावती के कोर वोटर्स यदि मूव करते भी हैं तो बीजेपी को करीब समझकर उसकी झोली में आएं. फिलहाल बीजेपी की कोशिश है कि मुकाबला त्रिकोणीय दिखे, ताकि भाजपा विरोधी दलों का बंटवारा हो सके. यह माना जा रहा है कि बसपा और कांग्रेस को कमजोर आंकते हुए अधिकतर मुस्लिम वोटर्स सपा की ओर जा रहे हैं. यही वजह है कि अमित शाह ने बसपा को मजबूत बताते हुए यह भी कहा कि मुस्लिम वोट भी बसपा को मिल रहा है. यही हाल जाटव वोटर्स का भी है.

रविकांत के मुताबिक मायावती के मुकाबले में नहीं दिखने की वजह से जाटव मतदाता भी नया ठिकाना तलाश सकते हैं. ऐसे में बीजेपी को आशंका है कि यदि इन्होंने सपा की ओर रुख किया तो नुकसान उठाना पड़ सकता है. विधानसभा चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती ने बीजेपी के खिलाफ खुलकर मोर्चा नहीं खोला है. मायावती को लगता है कि कहीं त्रिकोणीय मुकाबला होता है तो शायद उनको फायदा हो जाएगा.

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पढ़ें- 'काली दुल्हन' वाले बयान पर घिरे राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया तो मांगी माफी

लखनऊ : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के बीच भाजपा नेता अमित शाह के एक बयान ने नई सियासत गरमा दी है. एक इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा कि 'बसपा ने अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी है. मुझे विश्वास है कि उन्हें वोट मिलेगा.'

इस बयान का बसपा प्रमुख मायावती ने भी स्वागत किया. वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इन बयानों के कई मायने हैं. इसके लिए 'ईटीवी भारत' ने बात की लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व दलित चिन्तक रविकांत से... रविकांत कहते हैं कि अमित शाह के बयान का एक पक्ष दलितों से सहानुभूति बटोरना भी है. उन्होंने ऐसा संदेश इसलिए दिया कि दलित बीजेपी को बसपा के करीब समझें. जहां बसपा का प्रत्याशी न जीत रहा हो, दलित भाजपा को वोट कर दे. इससे बसपा को नुकसान हो सकता है.

बसपा प्रमुख मायावती

रविकांत के मुताबिक, बीजेपी को लग रहा है कि यूपी में बाइपोलर चुनाव मुश्किल भरा हो सकता है. ऐसे में त्रिकोणीय मुकाबला सत्ता की राह आसान करेगा. इसलिए मायावती को जमीनी स्तर पर मजबूत बताया, ताकि उनका वोट बसपा को कमजोर समझकर सपा में जाने के बजाए उन्हीं को दे.

वहीं, मायावती के कोर वोटर्स यदि मूव करते भी हैं तो बीजेपी को करीब समझकर उसकी झोली में आएं. फिलहाल बीजेपी की कोशिश है कि मुकाबला त्रिकोणीय दिखे, ताकि भाजपा विरोधी दलों का बंटवारा हो सके. यह माना जा रहा है कि बसपा और कांग्रेस को कमजोर आंकते हुए अधिकतर मुस्लिम वोटर्स सपा की ओर जा रहे हैं. यही वजह है कि अमित शाह ने बसपा को मजबूत बताते हुए यह भी कहा कि मुस्लिम वोट भी बसपा को मिल रहा है. यही हाल जाटव वोटर्स का भी है.

रविकांत के मुताबिक मायावती के मुकाबले में नहीं दिखने की वजह से जाटव मतदाता भी नया ठिकाना तलाश सकते हैं. ऐसे में बीजेपी को आशंका है कि यदि इन्होंने सपा की ओर रुख किया तो नुकसान उठाना पड़ सकता है. विधानसभा चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती ने बीजेपी के खिलाफ खुलकर मोर्चा नहीं खोला है. मायावती को लगता है कि कहीं त्रिकोणीय मुकाबला होता है तो शायद उनको फायदा हो जाएगा.

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