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कोविड-19 : जमाखोरी, कालाबाजारी के लिए गिरफ्तार लोग अंतरिम जमानत पर नहीं हो पाएंगे रिहा - उच्चाधिकार प्राप्त समिति कोरोना

कोविड महामारी के दौरान संबंधित दवाइयों और मेडिकल उपकरणों की कालाबाजारी करने वालों को जमानत नहीं दी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई एक कमेटी ने आज इसका निर्णय लिया है. कालाबाजारी की वजह से इन वस्तुओं की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है.

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ऑक्सीजन संक्रेद्रक
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Published : May 13, 2021, 10:46 PM IST

नई दिल्ली : आवश्यक दवाओं, ऑक्सीजन सिलेंडर, कॉन्संट्रेटर और कोविड-19 उपचार में जरूरी सामानों की कालाबाजारी और जमाखोरी करने वालों को एक समिति द्वारा निर्धारित किए गए मापदंडों के तहत अंतरिम जमानत का लाभ नहीं मिलेगा. कोविड-19 के प्रसार के मद्देनजर जेलों में भीड़-भाड़ कम करने के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गठित एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) ने यह फैसला किया है.

ऐसे कैदियों को भी अंतरिम जमानत का लाभ नहीं मिलेगा, जिन्होंने पिछले साल यह सुविधा मिलने के बाद निर्धारित अवधि के भीतर समर्पण नहीं किया था.

समिति ने विचाराधीन कैदियों की इन दो श्रेणियों के लिए अंतरिम जमानत की राहत देने से इनकार किया है.

वहीं समिति ने फैसला किया है दो अन्य श्रेणियों के कैदियों को लाभ मिलेगा. इनमें भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या के जुर्म में मुकदमे का सामना कर रहे और किसी अन्य मामले में संलिप्तता नहीं होने पर दो साल से ज्यादा जेल में रह चुके आरोपियों को राहत मिलेगी. विचाराधीन महिला कैदी जो गर्भवती हैं या जेल में जिनके साथ बच्चे भी हैं, उन्हें भी राहत मिलेगी.

समिति द्वारा निर्धारित मापदंड के मुताबिक अंतरिम जमानत के लिए ऐसे विचाराधीन कैदियों को लाभ नहीं मिलेगा जिनके खिलाफ तीन या उससे ज्यादा आपराधिक मामले लंबित हैं.

समिति ने फैसला किया है कि पिछले साल महामारी के दौरान अंतरिम जमानत पर रिहा किए जाने के बाद समय पर समर्पण करने वाले 1133 विचाराधीन कैदियों को भी अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा सकता है.

अंतरिम जमानत प्रदान करने के लिए जेलों में कैदियों की श्रेणी का परीक्षण करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विपिन सांघी की अध्यक्षता में समिति बनायी गयी थी.

नई दिल्ली : आवश्यक दवाओं, ऑक्सीजन सिलेंडर, कॉन्संट्रेटर और कोविड-19 उपचार में जरूरी सामानों की कालाबाजारी और जमाखोरी करने वालों को एक समिति द्वारा निर्धारित किए गए मापदंडों के तहत अंतरिम जमानत का लाभ नहीं मिलेगा. कोविड-19 के प्रसार के मद्देनजर जेलों में भीड़-भाड़ कम करने के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गठित एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) ने यह फैसला किया है.

ऐसे कैदियों को भी अंतरिम जमानत का लाभ नहीं मिलेगा, जिन्होंने पिछले साल यह सुविधा मिलने के बाद निर्धारित अवधि के भीतर समर्पण नहीं किया था.

समिति ने विचाराधीन कैदियों की इन दो श्रेणियों के लिए अंतरिम जमानत की राहत देने से इनकार किया है.

वहीं समिति ने फैसला किया है दो अन्य श्रेणियों के कैदियों को लाभ मिलेगा. इनमें भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या के जुर्म में मुकदमे का सामना कर रहे और किसी अन्य मामले में संलिप्तता नहीं होने पर दो साल से ज्यादा जेल में रह चुके आरोपियों को राहत मिलेगी. विचाराधीन महिला कैदी जो गर्भवती हैं या जेल में जिनके साथ बच्चे भी हैं, उन्हें भी राहत मिलेगी.

समिति द्वारा निर्धारित मापदंड के मुताबिक अंतरिम जमानत के लिए ऐसे विचाराधीन कैदियों को लाभ नहीं मिलेगा जिनके खिलाफ तीन या उससे ज्यादा आपराधिक मामले लंबित हैं.

समिति ने फैसला किया है कि पिछले साल महामारी के दौरान अंतरिम जमानत पर रिहा किए जाने के बाद समय पर समर्पण करने वाले 1133 विचाराधीन कैदियों को भी अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा सकता है.

अंतरिम जमानत प्रदान करने के लिए जेलों में कैदियों की श्रेणी का परीक्षण करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विपिन सांघी की अध्यक्षता में समिति बनायी गयी थी.

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