भीलवाड़ा: हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) को 25 करोड़ की क्षतिपूर्ति का निर्देश (NGT Slaps Compensation On HZL) सुर्खियों में है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के फरमान की चर्चा हो रही है. जिसमें पर्यावरण नियमों की अनदेखी (HZL Environmental Norms Violation) के साथ मानव जीवन से खिलवाड़ को प्रमुखता से उठाया जा रहा है. क्षेत्र के किसान भी मुखर होकर जिंक के खिलाफ अधिकारियों को ज्ञापन सौंप चुके हैं. स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े अधिकारी जहां ऐसे खनन से होने वाले रोगों पर चर्चा करते हैं तो राजनेता कुछ एक्ट्स के जरिए मामले को समझने और समझाने का प्रयास करते हैं.
प्रदेश के पूर्व मुख्य सचेतक व भैरोंसिंह शेखावत की सरकार में प्रदेश के खान मंत्री रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता कालू लाल गुर्जर ने ईटीवी भारत से बात की तो सेंट्रल व स्टैंड गवर्नमेंट के एक्ट का जिक्र किया. साथ ही उन प्रावधानों का भी जिससे कोई भी खननकर्ता खनन के दौरान नियमों का उल्लंघन (HZL Compensation Row) करता है तो जुर्माने से लेकर लीज कैंसिल तक का दण्ड झेल सकता है.
पूर्व मंत्री का तर्क: गुर्जर अपने और वर्तमान दौर की बात करते हैं. कहते हैं, 'मैं भी प्रदेश में भैरू सिंह शेखावत की सरकार में खान मंत्री रहा हूं. खनन के दौरान काफी नियम होते हैं अगर कोई भी खनन कर्ता खनन के दौरान नियमों की अवहेलना करते हैं तो उनके खिलाफ माइन्स डिपार्टमेंट एक्ट बना है. प्रावधान है कि पहले उस कंपनी के खिलाफ जुर्माना लगाया जाता है और जुर्माना लगाने पर भी अगर खनन कर्ता नहीं मानते हैं तो उसकी लीज कैंसिल की जा सकती है.'
दी जाएगी चेतावनी: पूर्व मंत्री कहते हैं- हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड पहले भारत सरकार के अधीन आती थी. वर्तमान में यह वेदांता ग्रुप का है लेकिन एनजीटी के जुर्माने के बाद अगर फिर भी जिंक लिमिटेड नियमों की अवहेलना करता है तो सेंट्रल व स्टेट गवर्नमेंट के एक्ट में प्रावधान है कि खनन नियमों की पालना नहीं करने पर पहले तो चेतावनी दी जाती है, फिर जुर्माना लगाया जाता है. फिर नहीं माने तो उसकी लीज भी कैंसिल की जा सकती है. यह सारे प्रिकॉशन सरकार ले सकती है.
'उस दौर में खनन इतना नहीं होता था': कालूलाल गुर्जर ने कहा कि मैं जब खान मंत्री था उस समय भारतीय जिंक लिमिटेड भारत सरकार के अधीन थी. वर्तमान में लार्ज स्केल पर खनन हो रहा है. मैं 30 वर्ष पहले जब खान मंत्री रहा तब इतना खनन नहीं होता था. खनन के दौरान जो नियमों का उल्लंघन करता है तो निश्चित रूप से उन पर कार्रवाई होनी चाहिए. HZL खनन के दौरान नियमों का उल्लंघन हुआ है. किसान की जमीन बंजर हो गई है उससे आम व्यक्ति त्रस्त है. क्षेत्र में गरीब मारा जा रहा है.
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किसी भी क्षेत्र को डेवलप करने के लिए वहां से मिनरल निकाला जा सकता है. परंतु दूसरों का नुकसान करके मिनरल निकाला जाता है तो वो एक्ट के अनुसार सही नहीं है. इसी कारण एनजीटी ने जिंक पर जुर्माना लगाया है. अब सरकार को चाहिए कि जिंक पर और जुर्माना लगाकर उस पैसे को क्षेत्र की गरीब जनता, किसानों को हुए नुकसान का आंकलन कर भरपाई करे.
सेहत पर विपरीत असर पर क्या कहते हैं जानकार: दुनिया में किसी भी जगह अगर खनन होता है तो इसका सीधा असर वहां रहने वालों की सेहत पर पड़ता है. लोग ऐसी बीमारियों की जकड़ में आ जाते हैं जिससे जीवन आसान नहीं रहता. ऐसी ही कुछ बीमारियों के बारे में भीलवाड़ा के अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सीपी गोस्वामी ने बताया.
बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर असर: खनन का कुप्रभाव सबसे ज्यादा बच्चों, गर्भवती महिलाओं व बुजुर्गों में देखने को मिलता है. डस्ट से सिलिकोसिस नाम की बीमारी फैलती है जिसका सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ता है. इसके अलावा पानी में फैला जहर किडनी, दिमाग और ह्रदय कमजोर कर देता है. अस्थमा का भी अटैक पड़ता है. प्रदूषित पानी से भी जनजीवन काफी प्रभावित होता है प्रदूषित पानी पीने और उनके अन्य प्रभाव से मानव शरीर में आंत आमाशय व त्वचा खराब हो जाती है.
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यहां तक कि छोटे-छोटे बच्चों के दांत खराब हो जाते हैं. प्रदूषित पानी के कारण क्षेत्र में फ्लोराइड की समस्या होती है जिससे मानव शरीर का स्पाइनल कोड, दिमाग के साथ ही संपूर्ण शरीर पर काफी प्रभाव दिखता है. वहीं हवा से भी मानव शरीर पर काफी प्रभाव पड़ता है क्योंकि हवा के बिना मानव जीवित संभव नही है. प्रदूषित हवा मे कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा ज्यादा होती है कार्बन मोनोऑक्साइड के प्रभाव से क्षेत्र में ऑक्सीजन की कमी होती है. वहीं अन्य प्रदूषित हवा से फेफड़े पर काफी प्रभाव पड़ता है.
जल और वायु प्रदूषण से बचने का कोई ठोस उपाय जानकार नहीं बताते. हां ऐहतियात को ही एकमात्र जरिया बताते हैं खुद को रोगमुक्त रखने का. गोस्वामी कहते हैं कि ऐसी जगह से दूरी बनाकार रखनी चाहिए. कोशिश करनी चाहिए ऐसी जगह नहीं जाना चाहिए जहां पर्यावरण के साथ खिलवाड़ हो. एक और तरीका है पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने का. वो है खनन क्षेत्र में अधिक से अधिक पेड़ लगाने का.