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हिमालय के इस पौधे से फुर्र होगा कोरोना! जानिए कैसे - हिमालयी पौधे बुरांश

अनुसंधान में पता चला कि हिमालयी क्षेत्र में पाये जाने वाले पौधे बुरांश या ‘रोडोडेंड्रॉन अरबोरियम’ की पादप रसायन युक्त पत्तियों में विषाणु रोधी या वायरस से लड़ने की क्षमता होती है। अध्ययन के निष्कर्षों को हाल में जर्नल ‘बायोमॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर एंड डाइनामिक्स’ में प्रकाशित किया गया.

हिमालयी पौधे बुरांश
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Published : Jan 18, 2022, 7:43 AM IST

Updated : Jan 18, 2022, 9:47 AM IST

नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी) के अनुसंधानकर्ताओं ने हिमालयी पौधे बुरांश (himalayan plant buransh) की पत्तियों में 'फाइटोकेमिकल' होने का पता लगाया है जिसका इस्तेमाल कोविड-19 संक्रमण के उपचार के लिए हो सकता है. 'फाइटोकेमिकल' या पादप रसायन वे कार्बनिक यौगिक होते हैं, जो वनस्पतियों में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होते हैं और स्वास्थ्य की दृष्टि से फायदेमंद हो सकते हैं.

अनुसंधान में पता चला कि हिमालयी क्षेत्र में पाये जाने वाले पौधे बुरांश (himalayan plant buransh) या ‘रोडोडेंड्रॉन अरबोरियम’ की पादप रसायन युक्त पत्तियों में विषाणु रोधी या वायरस से लड़ने की क्षमता होती है। अध्ययन के निष्कर्षों को हाल में जर्नल ‘बायोमॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर एंड डाइनामिक्स’ में प्रकाशित किया गया. अनुसंधान दल के अनुसार कोविड-19 महामारी को शुरू हुए लगभग दो वर्ष हो चुके हैं और अनुसंधानकर्ता इस वायरस की प्रकृति को समझने की कोशिश कर रहे हैं तथा संक्रमण की रोकथाम के नये तरीके खोज रहे हैं.

आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर श्याम कुमार मसकपल्ली ने कहा, वायरस (corona virus) के खिलाफ शरीर को लड़ने की क्षमता देने का एक तरीका तो टीकाकरण है, वहीं दुनियाभर में ऐसी गैर-टीका वाली दवाओं की खोज हो रही है जिनसे मानव शरीर पर विषाणुओं के हमले को रोका जा सकता है. इन दवाओं में वो रसायन होते हैं जो या तो हमारी शरीर की कोशिकाओं में रिसेप्टर अथवा ग्राही प्रोटीन को मजबूती प्रदान करते हैं और वायरस को उनमें प्रवेश करने से रोकते हैं या स्वयं वायरस पर हमला कर हमारे शरीर में इसके प्रभाव होने से रोकथाम करते हैं.

उन्होंने कहा, उपचार के विभिन्न तरीकों का अध्ययन किया जा रहा है, जिनमें पौधों से निकलने वाले रसायन फाइटोकेमिकल को उसकी सहक्रियाशील गतिविधियों के कारण और कम विषैले तत्वों के साथ प्राकृतिक स्रोत के नाते विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. हिमालयी पादप बुरांश (himalayan plant buransh) की पत्तियों का स्थानीय लोग स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न प्रकार के लाभों के लिए सेवन करते हैं. मसकपल्ली ने कहा, टीम ने वैज्ञानिक तरीके से फाइटोकेमिकल वाले अर्क की जांच की और विशेष रूप से उनकी विषाणु रोधी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया. अनुसंधानकर्ताओं ने बुरांश की पत्तियों से पादप रसायन निकाले और उसकी वायरस रोधी विशेषताओं को समझने के लिए अध्ययन किया.

पढ़ें: 24 साल से केवल नारियल खा रहे हैं बालाकृष्णन, आज तक नहीं हुई कोई बीमारी

आईसीजीईबी से जुड़े रंजन नंदा ने कहा, हमने हिमालय से प्राप्त रोडोडेंड्रॉन अरबोरियम की पत्तियों के पादप रसायनों का विश्लेषण किया और उन्हें कोरोना वायरस के खिलाफ कारगर पाया.

पीटीआई-भाषा

नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी) के अनुसंधानकर्ताओं ने हिमालयी पौधे बुरांश (himalayan plant buransh) की पत्तियों में 'फाइटोकेमिकल' होने का पता लगाया है जिसका इस्तेमाल कोविड-19 संक्रमण के उपचार के लिए हो सकता है. 'फाइटोकेमिकल' या पादप रसायन वे कार्बनिक यौगिक होते हैं, जो वनस्पतियों में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होते हैं और स्वास्थ्य की दृष्टि से फायदेमंद हो सकते हैं.

अनुसंधान में पता चला कि हिमालयी क्षेत्र में पाये जाने वाले पौधे बुरांश (himalayan plant buransh) या ‘रोडोडेंड्रॉन अरबोरियम’ की पादप रसायन युक्त पत्तियों में विषाणु रोधी या वायरस से लड़ने की क्षमता होती है। अध्ययन के निष्कर्षों को हाल में जर्नल ‘बायोमॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर एंड डाइनामिक्स’ में प्रकाशित किया गया. अनुसंधान दल के अनुसार कोविड-19 महामारी को शुरू हुए लगभग दो वर्ष हो चुके हैं और अनुसंधानकर्ता इस वायरस की प्रकृति को समझने की कोशिश कर रहे हैं तथा संक्रमण की रोकथाम के नये तरीके खोज रहे हैं.

आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर श्याम कुमार मसकपल्ली ने कहा, वायरस (corona virus) के खिलाफ शरीर को लड़ने की क्षमता देने का एक तरीका तो टीकाकरण है, वहीं दुनियाभर में ऐसी गैर-टीका वाली दवाओं की खोज हो रही है जिनसे मानव शरीर पर विषाणुओं के हमले को रोका जा सकता है. इन दवाओं में वो रसायन होते हैं जो या तो हमारी शरीर की कोशिकाओं में रिसेप्टर अथवा ग्राही प्रोटीन को मजबूती प्रदान करते हैं और वायरस को उनमें प्रवेश करने से रोकते हैं या स्वयं वायरस पर हमला कर हमारे शरीर में इसके प्रभाव होने से रोकथाम करते हैं.

उन्होंने कहा, उपचार के विभिन्न तरीकों का अध्ययन किया जा रहा है, जिनमें पौधों से निकलने वाले रसायन फाइटोकेमिकल को उसकी सहक्रियाशील गतिविधियों के कारण और कम विषैले तत्वों के साथ प्राकृतिक स्रोत के नाते विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. हिमालयी पादप बुरांश (himalayan plant buransh) की पत्तियों का स्थानीय लोग स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न प्रकार के लाभों के लिए सेवन करते हैं. मसकपल्ली ने कहा, टीम ने वैज्ञानिक तरीके से फाइटोकेमिकल वाले अर्क की जांच की और विशेष रूप से उनकी विषाणु रोधी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया. अनुसंधानकर्ताओं ने बुरांश की पत्तियों से पादप रसायन निकाले और उसकी वायरस रोधी विशेषताओं को समझने के लिए अध्ययन किया.

पढ़ें: 24 साल से केवल नारियल खा रहे हैं बालाकृष्णन, आज तक नहीं हुई कोई बीमारी

आईसीजीईबी से जुड़े रंजन नंदा ने कहा, हमने हिमालय से प्राप्त रोडोडेंड्रॉन अरबोरियम की पत्तियों के पादप रसायनों का विश्लेषण किया और उन्हें कोरोना वायरस के खिलाफ कारगर पाया.

पीटीआई-भाषा

Last Updated : Jan 18, 2022, 9:47 AM IST
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