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हाड़ कंपा देने वाली ठंड में रहना मजा या मजबूरी!, -30 तक चला जाता है तापमान, जम चुका है पानी, ये है हिमाचल का 'सफेद रेगिस्तान' - लाहौल स्पीति बर्फबारी

हिमाचल प्रदेश घूमना सबको पसंद होता है. दूर-दूर से पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं. खास तौर पर बर्फबारी देखने के लिए तो टूरिस्ट कई दिनों तक इंतजार करते हैं. टूरिस्ट बर्फ को खूब इन्जॉय करते हैं, लेकिन यहां के लोगों के लिए बर्फ मजा है या मजबूरी इसके बारे में आज हम आपको विस्तार से बताएंगे. सबसे पहले पीने के पानी से बात करते हैं. हाल ऐसे हैं कि पानी जम चुका है. नदी नाले फ्रीज हो चुके हैं. पानी के पानी के लिए कई दिक्कतों का सामना लोगों को करना पड़ता है. पढ़ें पूरी खबर...

Natural Springs And Water Sources Freezing
Natural Springs And Water Sources Freezing
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 8, 2023, 8:24 PM IST

Updated : Dec 8, 2023, 8:53 PM IST

लाहौल में जमा पानी, पीने के पानी की किल्लत

लाहौल स्पीति: हिमाचल का नाम सुनते ही सबको बर्फबारी की याद आती है. इन दिनों का ठंड का मौसम है और हिमाचल में बर्फबारी भी हो रही है. पर्यटक बर्फबारी सुनते ही खुशी से झूम उठते हैं, लेकिन आपको पता है बर्फबारी में जीवन कैसा होता है. बर्फबारी में जिंदगी कैसी होती है. अगर नहीं पता तो आज हम आपको बताएंगे कि कैसे लोग माइनस तापमान में जीवन गुजारते हैं और उन्हें किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

Natural Springs And Water Sources Freezing
पहाड़ों पर प्राकृतिक जल स्रोत ठंड के कारण जम जाते हैं. ऐसे में लोगों को पीने के पानी के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

बता दें कि हिमाचल के ऊंचाई वाले इलाकों में जहां बीते दिनों बर्फबारी हुई तो वहीं, बर्फबारी के बाद ऊपरी इलाकों में पारा माइनस हो गया है. जिसके चलते नदी नाले और झीलों का पानी भी जमना शुरू हो गए हैं. हालांकि इन दिनों जिला लाहौल स्पीति में मौसम साफ चल रहा है, लेकिन सुबह-शाम कड़ाके की ठंड के चलते पेयजल पाइपों का जमना शुरू हो गया है. ऐसे में अब स्थानीय लोगों को पीने के पानी के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है.

Natural Springs And Water Sources Freezing
आने जाने के लिए खुद हटानी पड़ती है बर्फ.

लोगों को करना पड़ता है पलायन: हिमाचल के जिला लाहौल स्पीति के योचे गांव की बात करें तो यहां पर भी लोगों ने अब अपना पलायन शुरू कर दिया है, क्योंकि बर्फबारी के दिनों में यहां लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लाहौल घाटी की दारचा पंचायत के योचे गांव की आबादी 119 लोगों की है. स्थानीय ग्रामीण के अनुसार इस समय योचे गांव से 82 लोग बाहर हैं. इसमें कुछ सरकारी कर्मचारी और बाहर पढ़ने वाले बच्चे शामिल हैं, लेकिन 62 के करीब योचे गांव के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के अभाव में गांव से बाहर जाना पड़ा है.

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लाहौल घाटी में -5 लेकर -30 तक चला जाता है तापमान.

मवेशियों के लिए गांव में कुछ लोगों को रुकना पड़ता है: दारचा पंचायत के पूर्व प्रधान बलदेव का कहना है कि योचे गांव दुर्गम है और इस गांव स्वास्थ्य सुविधा संचार सेवा ना होने से लोगों को दिक्कत उठानी पड़ती है. इसके अलावा ग्रामीणों के बीमार होने की हालत में उन्हें दवाई के लिए 12 किमी दूर पीएचसी दारचा जाना पड़ता है. गांव में संचार व्यवस्था ठीक न होने का कारण लोगों को फोन करने और सुनने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ता है. कई बार गांव की यह समस्या सरकार तक रखी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है. इसी वजह से योचे गांव के लोग सर्दी में गांव छोड़ने के लिए मजबूर हैं. बलदेव ने बताया कि जो लोग अभी गांव में रह रहे हैं वह लोग भी मवेशियों की सेवा के लिए मजबूरी में रहते हैं.

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सर्दियों में आपातकाल में लोगों को अपनी गाड़ी ले जाने के लिए खुद ही मेहनत करते बर्फ को हटाने का जुगाड़ करना पड़ता है.

पीने के पानी की होती है सबसे बड़ी दिक्कत: लाहौल घाटी ग्रामीण किशन लाल, जसवंत सिंह, दिनेश का कहना है कि बर्फबारी के बाद पारा माइनस में होने के चलते अब सबसे ज्यादा समस्या पेयजल की होती है, क्योंकि पहाड़ों पर प्राकृतिक जल स्रोत ठंड के कारण जम जाते हैं और अपने पशुओं को भी उन्हें पानी पिलाने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

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लोगों को 6 महीने के लिए पहले ही करना पड़ता है राशन और दवाई का जुगाड़

आने जाने के लिए खुद हटानी पड़ती है बर्फ: मनाली से अब लाहौल स्पीति को 12 महीने जोड़ने के लिए अटल टनल बनाई गई है. जिस कारण घाटी के लोगो को काफी राहत मिली है, लेकिन घाटी के दुर्गम इलाकों में अभी भी हालात बेहतर नहीं है. स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आज भी घाटी के लोगों को मनाली और कुल्लू का रुख करना पड़ता है. लाहौल घाटी में बर्फबारी के दौरान मनाली से केलांग सड़क को वाहनों की आवाजाही के लिए बहाल किया जाता है, लेकिन घाटी की अंदरूनी सड़कों को बहाल करने के लिए काफी लंबा इंतजार करना पड़ता है. कई जगहों पर ग्रामीणों के द्वारा सड़क से खुद बर्फ हटाई जाती है, ताकि सर्दियों में आपातकाल में उन्हें अपने वाहन ले जाने में आसानी हो सके. बीते दिनों भी योचे गांव की महिलाओं के द्वारा खुद बेलचे से सड़क पर गिरी बर्फ को साफ किया गया.

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बर्फ में हालात ऐसे हो जाते हैं कि लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ता है.

-5 लेकर -30 तक चला जाता है तापमान: लाहौल घाटी की बात करें तो बर्फबारी के बाद अब घाटी के इलाकों का तापमान माइनस 5 से 30 तक जा रहा है. जिस कारण पेयजल पाइप जम रही है. यहां पर अधिकतर ग्रामीणों इलाकों में सीधे प्राकृतिक स्रोत से प्लास्टिक की पाइप को जोड़ा जाता है, ताकि सर्दियों में उन्हें गर्म कर पानी की सप्लाई सुचारू रखी जा सके. यहां पर पाइप को जमीन से ऊपर इसलिए रखा जाता है, क्योंकि अगर पाइप को जमीन के नीचे गाड़ा गया तो वो ठंड से जम जाएगी और लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पाएगा. कई बार जल शक्ति विभाग के कर्मचारियों के द्वारा पाइप को आग से गर्म करके पानी की सप्लाई को सुचारू किया गया है.

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अधिकतर लोग सर्दियों में लाहौल से मनाली या फिर कुल्लू का रुख करते हैं.

6 महीने के लिए पहले ही करना पड़ता है राशन और दवाई का जुगाड़: लाहौल स्पीति जिले की बात करें तो उसे पूरे देश में शीत मरुस्थल के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यहां साल के 6 महीने तक इलाका बर्फ से ढका रहता है. लाहौल स्पीति जिला क्षेत्रफल के हिसाब से भी प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है. बर्फबारी के बाद घाटी में कृषि कार्य भी बंद रहते हैं और अधिकतर लोग सर्दियों में मनाली या फिर कुल्लू का रुख करते हैं. सर्दियों में अपने घरों में कुछ लोग पशुओं की देखभाल के लिए रुकते हैं और कई इलाकों में लोगों के द्वारा राशन और दवाई का भी भंडारण किया जाता है, ताकि कई फीट बर्फ के दौरान उन्हें दिक्कत का सामना न करना पड़े.

ये भी पढ़ें- Shimla Ropeway Project: हिमाचल में बनने जा रहा है देश का सबसे लंबा रोपवे, 13 स्टेशन और 3 लाइन्स होंगी, जानें कितना होगा किराया

लाहौल में जमा पानी, पीने के पानी की किल्लत

लाहौल स्पीति: हिमाचल का नाम सुनते ही सबको बर्फबारी की याद आती है. इन दिनों का ठंड का मौसम है और हिमाचल में बर्फबारी भी हो रही है. पर्यटक बर्फबारी सुनते ही खुशी से झूम उठते हैं, लेकिन आपको पता है बर्फबारी में जीवन कैसा होता है. बर्फबारी में जिंदगी कैसी होती है. अगर नहीं पता तो आज हम आपको बताएंगे कि कैसे लोग माइनस तापमान में जीवन गुजारते हैं और उन्हें किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

Natural Springs And Water Sources Freezing
पहाड़ों पर प्राकृतिक जल स्रोत ठंड के कारण जम जाते हैं. ऐसे में लोगों को पीने के पानी के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

बता दें कि हिमाचल के ऊंचाई वाले इलाकों में जहां बीते दिनों बर्फबारी हुई तो वहीं, बर्फबारी के बाद ऊपरी इलाकों में पारा माइनस हो गया है. जिसके चलते नदी नाले और झीलों का पानी भी जमना शुरू हो गए हैं. हालांकि इन दिनों जिला लाहौल स्पीति में मौसम साफ चल रहा है, लेकिन सुबह-शाम कड़ाके की ठंड के चलते पेयजल पाइपों का जमना शुरू हो गया है. ऐसे में अब स्थानीय लोगों को पीने के पानी के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है.

Natural Springs And Water Sources Freezing
आने जाने के लिए खुद हटानी पड़ती है बर्फ.

लोगों को करना पड़ता है पलायन: हिमाचल के जिला लाहौल स्पीति के योचे गांव की बात करें तो यहां पर भी लोगों ने अब अपना पलायन शुरू कर दिया है, क्योंकि बर्फबारी के दिनों में यहां लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लाहौल घाटी की दारचा पंचायत के योचे गांव की आबादी 119 लोगों की है. स्थानीय ग्रामीण के अनुसार इस समय योचे गांव से 82 लोग बाहर हैं. इसमें कुछ सरकारी कर्मचारी और बाहर पढ़ने वाले बच्चे शामिल हैं, लेकिन 62 के करीब योचे गांव के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के अभाव में गांव से बाहर जाना पड़ा है.

Natural Springs And Water Sources Freezing
लाहौल घाटी में -5 लेकर -30 तक चला जाता है तापमान.

मवेशियों के लिए गांव में कुछ लोगों को रुकना पड़ता है: दारचा पंचायत के पूर्व प्रधान बलदेव का कहना है कि योचे गांव दुर्गम है और इस गांव स्वास्थ्य सुविधा संचार सेवा ना होने से लोगों को दिक्कत उठानी पड़ती है. इसके अलावा ग्रामीणों के बीमार होने की हालत में उन्हें दवाई के लिए 12 किमी दूर पीएचसी दारचा जाना पड़ता है. गांव में संचार व्यवस्था ठीक न होने का कारण लोगों को फोन करने और सुनने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ता है. कई बार गांव की यह समस्या सरकार तक रखी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है. इसी वजह से योचे गांव के लोग सर्दी में गांव छोड़ने के लिए मजबूर हैं. बलदेव ने बताया कि जो लोग अभी गांव में रह रहे हैं वह लोग भी मवेशियों की सेवा के लिए मजबूरी में रहते हैं.

Natural Springs And Water Sources Freezing
सर्दियों में आपातकाल में लोगों को अपनी गाड़ी ले जाने के लिए खुद ही मेहनत करते बर्फ को हटाने का जुगाड़ करना पड़ता है.

पीने के पानी की होती है सबसे बड़ी दिक्कत: लाहौल घाटी ग्रामीण किशन लाल, जसवंत सिंह, दिनेश का कहना है कि बर्फबारी के बाद पारा माइनस में होने के चलते अब सबसे ज्यादा समस्या पेयजल की होती है, क्योंकि पहाड़ों पर प्राकृतिक जल स्रोत ठंड के कारण जम जाते हैं और अपने पशुओं को भी उन्हें पानी पिलाने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

Natural Springs And Water Sources Freezing
लोगों को 6 महीने के लिए पहले ही करना पड़ता है राशन और दवाई का जुगाड़

आने जाने के लिए खुद हटानी पड़ती है बर्फ: मनाली से अब लाहौल स्पीति को 12 महीने जोड़ने के लिए अटल टनल बनाई गई है. जिस कारण घाटी के लोगो को काफी राहत मिली है, लेकिन घाटी के दुर्गम इलाकों में अभी भी हालात बेहतर नहीं है. स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आज भी घाटी के लोगों को मनाली और कुल्लू का रुख करना पड़ता है. लाहौल घाटी में बर्फबारी के दौरान मनाली से केलांग सड़क को वाहनों की आवाजाही के लिए बहाल किया जाता है, लेकिन घाटी की अंदरूनी सड़कों को बहाल करने के लिए काफी लंबा इंतजार करना पड़ता है. कई जगहों पर ग्रामीणों के द्वारा सड़क से खुद बर्फ हटाई जाती है, ताकि सर्दियों में आपातकाल में उन्हें अपने वाहन ले जाने में आसानी हो सके. बीते दिनों भी योचे गांव की महिलाओं के द्वारा खुद बेलचे से सड़क पर गिरी बर्फ को साफ किया गया.

Natural Springs And Water Sources Freezing
बर्फ में हालात ऐसे हो जाते हैं कि लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ता है.

-5 लेकर -30 तक चला जाता है तापमान: लाहौल घाटी की बात करें तो बर्फबारी के बाद अब घाटी के इलाकों का तापमान माइनस 5 से 30 तक जा रहा है. जिस कारण पेयजल पाइप जम रही है. यहां पर अधिकतर ग्रामीणों इलाकों में सीधे प्राकृतिक स्रोत से प्लास्टिक की पाइप को जोड़ा जाता है, ताकि सर्दियों में उन्हें गर्म कर पानी की सप्लाई सुचारू रखी जा सके. यहां पर पाइप को जमीन से ऊपर इसलिए रखा जाता है, क्योंकि अगर पाइप को जमीन के नीचे गाड़ा गया तो वो ठंड से जम जाएगी और लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पाएगा. कई बार जल शक्ति विभाग के कर्मचारियों के द्वारा पाइप को आग से गर्म करके पानी की सप्लाई को सुचारू किया गया है.

Natural Springs And Water Sources Freezing
अधिकतर लोग सर्दियों में लाहौल से मनाली या फिर कुल्लू का रुख करते हैं.

6 महीने के लिए पहले ही करना पड़ता है राशन और दवाई का जुगाड़: लाहौल स्पीति जिले की बात करें तो उसे पूरे देश में शीत मरुस्थल के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यहां साल के 6 महीने तक इलाका बर्फ से ढका रहता है. लाहौल स्पीति जिला क्षेत्रफल के हिसाब से भी प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है. बर्फबारी के बाद घाटी में कृषि कार्य भी बंद रहते हैं और अधिकतर लोग सर्दियों में मनाली या फिर कुल्लू का रुख करते हैं. सर्दियों में अपने घरों में कुछ लोग पशुओं की देखभाल के लिए रुकते हैं और कई इलाकों में लोगों के द्वारा राशन और दवाई का भी भंडारण किया जाता है, ताकि कई फीट बर्फ के दौरान उन्हें दिक्कत का सामना न करना पड़े.

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Last Updated : Dec 8, 2023, 8:53 PM IST
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