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हिमाचल प्रदेश में माननीयों के वेतन पर टैक्स भरने के मामले में हाईकोर्ट का राज्य सरकार को नोटिस - Notice of High Court to the State Government

हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने हिमाचल सरकार को नोटिस जारी किया है. यशपाल राणा की तरफ से दाखिल याचिका में हाईकोर्ट से गुहार लगाई गई है कि विधायकों व मंत्रियों आदि के वेतन पर राज्य सरकार का टैक्स भरना असंवैधानिक है. इस याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह नोटिस जारी किया है.

Notice of High Court to the State Government in the matter of paying tax on the salary of Hon'ble
हिमाचल प्रदेश में माननीयों के वेतन पर टैक्स भरने के मामले में हाईकोर्ट का राज्य सरकार को नोटिस
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Published : Mar 29, 2022, 7:52 AM IST

शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने हिमाचल सरकार को नोटिस जारी किया है. यशपाल राणा की तरफ से दाखिल याचिका में हाईकोर्ट से गुहार लगाई गई है कि विधायकों व मंत्रियों आदि के वेतन पर राज्य सरकार का टैक्स भरना असंवैधानिक है. इस याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह नोटिस जारी किया है.

दरअसल यशपाल राणा की तरफ से हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में कहा गया था कि विधायक मंत्री आदि को अपने वेतन पर इनकम टैक्स भरने से छूट मिली हुई है. यह छूट हिमाचल विधानसभा के भत्ते और पेंशन एक्ट 1971 के तहत है. हिमाचल प्रदेश में विधायक और मंत्री अपने वेतन पर टैक्स नहीं भरते हैं. यह टैक्स उनकी तरफ से राज्य सरकार भरती है. याचिका में हाईकोर्ट से गुहार लगाई गई है कि इस प्रक्रिया को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त किया जाए.

याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार को इनकम टैक्स भरने से रोका जाए. याचिका पर डिवीजन बैंच में सोमवार को सुनवाई हुई थी. वहीं, इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता रजनीश मानिकताला ने बताया कि वर्ष 2018-19 में सरकार ने 1.79 करोड़ रुपए का इनकम टैक्स भरा. इसी तरह वर्ष 2019-20 में सरकार ने विधायकों और मंत्रियों आदि का इनकम टैक्स भरा. यह रकम 1.78 करोड़ रुपए से अधिक थी.

ये भी पढ़ें- बाबा रामदेव की कंपनी रुचि सोया पर सेबी का 'एक्शन', निवेशकों को बिड वापसी का मौका

इस याचिका में भाजपा नेता महेंद्र ठाकुर, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, माकपा विधायक राकेश सिंघा के अलावा निर्दलीय विधायक होशियार सिंह को भी पार्टी बनाया गया है. अब सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जाएगा और 6 हफ्ते के भीतर अगली सुनवाई संभव है. वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि हिमाचल सहित यूपी, एमपी, पंजाब व हरियाणा में यह व्यवस्था है कि सरकार विधायकों व मंत्रियों का इनकम टैक्स भरती है.

शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने हिमाचल सरकार को नोटिस जारी किया है. यशपाल राणा की तरफ से दाखिल याचिका में हाईकोर्ट से गुहार लगाई गई है कि विधायकों व मंत्रियों आदि के वेतन पर राज्य सरकार का टैक्स भरना असंवैधानिक है. इस याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह नोटिस जारी किया है.

दरअसल यशपाल राणा की तरफ से हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में कहा गया था कि विधायक मंत्री आदि को अपने वेतन पर इनकम टैक्स भरने से छूट मिली हुई है. यह छूट हिमाचल विधानसभा के भत्ते और पेंशन एक्ट 1971 के तहत है. हिमाचल प्रदेश में विधायक और मंत्री अपने वेतन पर टैक्स नहीं भरते हैं. यह टैक्स उनकी तरफ से राज्य सरकार भरती है. याचिका में हाईकोर्ट से गुहार लगाई गई है कि इस प्रक्रिया को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त किया जाए.

याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार को इनकम टैक्स भरने से रोका जाए. याचिका पर डिवीजन बैंच में सोमवार को सुनवाई हुई थी. वहीं, इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता रजनीश मानिकताला ने बताया कि वर्ष 2018-19 में सरकार ने 1.79 करोड़ रुपए का इनकम टैक्स भरा. इसी तरह वर्ष 2019-20 में सरकार ने विधायकों और मंत्रियों आदि का इनकम टैक्स भरा. यह रकम 1.78 करोड़ रुपए से अधिक थी.

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इस याचिका में भाजपा नेता महेंद्र ठाकुर, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, माकपा विधायक राकेश सिंघा के अलावा निर्दलीय विधायक होशियार सिंह को भी पार्टी बनाया गया है. अब सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जाएगा और 6 हफ्ते के भीतर अगली सुनवाई संभव है. वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि हिमाचल सहित यूपी, एमपी, पंजाब व हरियाणा में यह व्यवस्था है कि सरकार विधायकों व मंत्रियों का इनकम टैक्स भरती है.

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