शिमला: हिमाचल के डीजीपी और एक कारोबारी को धमकी से जुड़े मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. अदालत ने मामले की निष्पक्ष जांच के लिए राज्य के डीजीपी और कांगड़ा जिला की एसपी को हटाने के लिए कहा है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार को सख्त आदेश जारी करते हुए कहा है कि डीजीपी और जिला कांगड़ा की एसपी को वर्तमान पोस्टिंग से हटाकर किसी अन्य पद पर तैनाती दी जाए.
हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा करना इसलिए जरूरी है ताकि पालमपुर के कारोबारी निशांत शर्मा की तरफ से दर्ज करवाई गई एफआईआर पर निष्पक्ष जांच हो सके. मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार जल्द आदेश जारी करने के लिए कहा है. हालांकि हाईकोर्ट ने मामले की मेरिट पर कोई निर्णय नहीं सुनाया है, क्योंकि अभी जांच जारी है. अदालत ने अब इस मामले की सुनवाई नए साल में चार जनवरी को तय की है.
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने हिमाचल के गृह सचिव को डीजीपी व एसपी कांगड़ा को वर्तमान पोस्टिंग से हटाने संबंधी जरूरी कदम उठाने के आदेश जारी किए हैं. दोनों अफसरों को ऐसी जगह तैनाती देने के आदेश जारी किए गए हैं, जहां से ये मामले की जांच प्रभावित न कर सकें. हाईकोर्ट ने गृह सचिव पर भी तीखी टिप्पणी की है कि न जाने क्यों वो इस मामले में आंखें मूंदे रहे. खंडपीठ ने कहा कि निष्पक्ष जांच के साथ ही न्याय होता दिखना भी चाहिए, इस सिद्धांत को देखते हुए दोनों अफसरों का वर्तमान पद पर रहना ठीक नहीं है. हाईकोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार की किरकिरी हो रही है.
मामले के अनुसार हिमाचल के पालमपुर से संबंधित कारोबारी निशांत शर्मा ने अपनी व परिवार की सुरक्षा के लिए गुहार लगाते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को रजिस्ट्रार के माध्यम से 28 अक्टूबर को ई-मेल भेजी थी. कारोबारी की शिकायती ई-मेल को आपराधिक रिट याचिका में तब्दील करते हुए हाईकोर्ट ने एसपी शिमला और एसपी कांगड़ा को प्रार्थी को उचित सुरक्षा मुहैया करवाने के अंतरिम आदेश जारी किए. मामले में पिछली सुनवाई के दौरान एसपी कांगड़ा ने बताया कि प्रार्थी की एफआईआर में लगाए आरोपों की जांच एएसपी कांगड़ा को सौंपी गई है. राज्य के एडवोकेट जनरल ने भी हाईकोर्ट में कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है.
कारोबारी ने बताया कि कांगड़ा के मकलोडग़ंज में उसका रास्ता रोककर धमकी दी गई. पालमपुर के एसएचओ ने उन्हें यानी कारोबारी को शिमला जाकर डीजीपी से मिलने के लिए दबाव बनाया. यही नहीं, शिमला से पुलिस मुख्यालय से कारोबारी को कई बार फोन कॉल की गई. कारोबारी ने शिमला आकर डीजीपी से मिलने के लिए मना किया तो डीजीपी ने उसके खिलाफ छोटा शिमला थाने में एफआईआर दर्ज करवा दी. डीजीपी ने अपनी एफआईआर में कहा कि निशांत शर्मा ने उन पर झूठे आरोप लगाए हैं. वहीं, कारोबारी की शिकायत पर कांगड़ा पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया. बाद में हाईकोर्ट के दखल से एफआईआर दर्ज की गई थी.
डीजीपी ने कारोबारी को 15 बार किया कॉल: वहीं, एसपी शिमला ने अपनी जांच में इस केस में वीवीआईपी की संलिप्तता का अंदेशा जताया. एसपी शिमला की जांच में प्रथम दृष्टया ये पाया गया कि हिमाचल के डीजीपी कारोबारी द्वारा बताए गए एक रसूखदार व्यक्ति के संपर्क में रहे. एसपी शिमला की जांच में पाया गया कि डीजीपी ने 27 अक्टूबर को निशांत को 15 मिस्ड कॉल की. जांच में यह भी सामने आया कि डीजीपी ने कारोबारी पर निगरानी रखी. यानी डीजीपी की तरफ से कारोबारी निशांत के होटल व फोन को सर्विलांस पर डाला गया.
एसपी शिमला की जांच में ये भी आया कि एसपी कांगड़ा द्वारा मामले में देरी से एफआईआर दर्ज करने का कोई कारण नहीं बताया गया. एसपी कांगड़ा हाईकोर्ट को यह भी नहीं बता पाई कि इस मामले में एसपी शिमला द्वारा की गई जांच में सामने आए तथ्यों का उपयोग कांगड़ा में दर्ज प्राथमिकी की जांच में क्यों नहीं किया गया? इस पर हाईकोर्ट ने सख्ती टिप्पणी करते हुए कहा कि इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए अदालत को ये मामला अपने हाथ में लेना पड़ा.
कारोबारी ने जताया था डर, डीजीपी मुझे जान से मार देंगे: पालमपुर के कारोबारी निशांत शर्मा होटल व अन्य व्यवसायों से जुड़े हुए हैं. निशांत शर्मा ने 28 अक्टूबर को हाईकोर्ट को लिखी मेल में खतरा जताया कि उसे अपने व परिवार की जान की चिंता है. प्रार्थी ने मेल में लिखा है कि वह चिंतित और भयभीत है कि उन्हें या तो हिमाचल के डीजीपी संजय कुंडू द्वारा मार दिया जाएगा या गंभीर रूप से डराया धमकाया जाएगा.
कारोबारी ने ये भी लिखा कि गुरुग्राम में भी उस पर हमला हो चुका है, जिसमें वह बच गया. इस वारदात की रिपोर्ट को वापिस लेने के लिए उस पर दो बाइक सवार लोगों ने भागसूनाग और मकलोडगंज के बीच वाले रास्ते में रोक कर धमकाया. ई-मेल के मुताबिक डीजीपी कार्यालय से उसे एक ही दिन में 14 फोन आए. कारोबारी ने बताया कि उसे डीएसपी व एसएचओ पालमपुर ने भी फोन किए.
एसएचओ पालमपुर ने व्हाट्सएप मैसेज कर बताया कि डीजीपी उससे बात करना चाहते हैं इसलिए उसे डीजीपी कार्यालय में वापस कॉल कर लेनी चाहिए. कॉल बैक करने पर डीजीपी ने कहा कि निशांत तुम शिमला आओ और मुझसे मिलो. जब उसने डीजीपी से कारण पूछा तो बताया गया कि उसे शिमला आकर उनसे मिलना ही होगा. ईमेल के माध्यम से ही निशांत ने हिमाचल के ही दो प्रभावशाली लोगों पर उससे जबरन वसूली का दबाव बनाने की बात भी कही.