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हिमाचल में दांव पर पीएम मोदी और जेपी नड्डा की प्रतिष्ठा, अनुराग और जयराम के सामने खुद को साबित करने की चुनौती

हिमाचल चुनाव के नतीजों के बाद 8 दिसंबर को नई सरकार का चेहरा तय हो जाएगा. इस बार हिमाचल के सियासी रण में कई ऐसे चेहरों की साख दांव पर है. जो भले चुनाव ना लड़ रहे हों लेकिन हिमाचल से उनके रिश्ते ने उनकी प्रतिष्ठा को दांव पर लगा दिया है.

हिमाचल में दांव पर पीएम मोदी और जेपी नड्डा की प्रतिष्ठा
हिमाचल में दांव पर पीएम मोदी और जेपी नड्डा की प्रतिष्ठा
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Published : Dec 7, 2022, 8:45 PM IST

शिमला : हिमाचल विधानसभा चुनाव की मतगणना के बाद 8 दिसंबर को 412 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा. हिमाचल चुनाव के नतीजों के बाद नई सरकार का चेहरा साफ हो जाएगा लेकिन इस सियासी रण में कई चेहरों की साख दांव पर है. इनमें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी हैं जिनके सामने 37 साल बाद रिवाज बदलकर इतिहास रचने का मौका होगा. अगर बीजेपी चुनाव जीतती है तो 37 साल बाद हिमाचल में कोई सियासी दल सरकार रिपीट करेगा. बीजेपी के कुछ ऐसे चेहरे भी हैं जो भले चुनावी मैदान में ना हों लेकिन हिमाचल के चुनावी दंगल में उनकी साख भी दांव पर है. (Big Guns reputation at stake in HP Poll)

नरेंद्र मोदी - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते हैं. नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से पहले करीब 5 साल हिमाचल के प्रभारी रहे हैं. यही वजह है कि वो हिमाचल की भौगोलिक और राजनीतिक परिस्थितियों से अच्छी तरह से वाकिफ हैं. हिमाचल में साल 2017 में बीजेपी की सरकार बनी थी और तबसे हिमाचल में नरेंद्र मोदी के लगभग हर जिले का दौरा कर चुके हैं (Reputation of PM Modi at stake in Himachal Poll) (Big Guns reputation at stake in HP Poll) (PM Modi in Himachal Election)

पिछले 5 सालों में केंद्र सरकार की कई परियोजनाएं हिमाचल के हिस्से आई हैं. जिसका श्रेय बीजेपी लेती है और नरेंद्र मोदी हर बार हिमाचल को अपना दूसरा घर बताकर महफिल लूट लेते हैं. प्रधानमंत्री देश-विदेश में हिमाचल की टोपी पहने और शॉल ओढ़े नजर आ जाते हैं, यहां की पेंटिग्स, शिल्प कला, देव संस्कृति, खान-पान का जिक्र भी वो कई मंचों पर कर चुके हैं. कुल मिलाकर वो हिमाचल के ब्रांड एबेंसडर के तौर पर खुद को प्रचारित भी करते हैं. प्रधानमंत्री होने के नाते वो हिमाचल में भी पार्टी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक थे. कांग्रेस बीजेपी पर मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने का भी आरोप लगाती रही है. 2014 का लोकसभा चुनाव हो या फिर 2019 का, या फिर 2017 का विधानसभा चुनाव, पार्टी को नरेंद्र मोदी के चेहरे का फायदा मिला है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी ने हिमाचल की चारों सीटों पर जीत दर्ज की थी. ऐसे में इस बार के हिमाचल चुनाव में नरेंद्र मोदी की साख भी दांव पर रहने वाली है.

जेपी नड्डा- बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आज दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष हैं लेकिन उनकी पहचान हिमाचल के बिना अधूरी है. हिमाचल के बिलासपुर से संबंध रखने वाले जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के छात्र रहे हैं. साल 1993 और फिर 1998 में वो दो बार बिलासपुर सीट से विधायक रहे, इस दौरान वो हिमाचल सरकार में मंत्री भी रहे हैं. मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका निभा चुके जेपी नड्डा मौजूदा वक्त में हिमाचल से ही राज्यसभा सांसद हैं. इस साल हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में 4 राज्यो में जीत का सेहरा भी अध्यक्ष होने के नाते जेपी नड्डा के सिर बंधा लेकिन उनकी सामने असली चुनौती हिमाचल प्रदेश में सरकार रिपीट करने की है.

चुनावी साल में जेपी नड्डा ने हिमाचल के कई दौरे किए. दिल्ली से लेकर शिमला तक कई बैठकें की. प्रदेश में टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार का खाका खींचने तक में उनकी अहम भूमिका रही है. नड्डा ने खुद प्रचार के रण में उतरकर बीजेपी प्रत्याशियों के लिए वोट भी मांगे. क्योंकि इस बार हिमाचल का मिशन पूरा करने की जिम्मेदारी जेपी नड्डा के कंधों पर है. इसलिये इन चुनावों में हिमाचल चुनाव में जेपी नड्डा की साख भी दांव पर होगी. (Reputation of JP Nadda at stake in HP Poll)

अनुराग ठाकुर- केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भले चुनावी रण में ना हों लेकिन वो हिमाचल के हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से चौथी बार सांसद हैं और इस नाते पार्टी ने उनकी भी जिम्मेदारी तय की थी. हिमाचल में चार लोकसभा और 68 विधानसभा क्षेत्र हैं. इस लिहाज से हर लोकसभा क्षेत्र में 17 विधानसभा सीटें हैं.

मोदी सरकार में राज्य मंत्री के बाद अब केंद्रीय मंत्री की भूमिका निभा रहे हैं. भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर बीसीसीआई अध्यक्ष तक की भूमिका निभा चुके अनुराग ठाकुर की पहचान पार्टी में एक युवा चेहरे और अच्छे वक्ता की रही है. देशभर के राज्यों में वो पार्टी के स्टार प्रचारक की भूमिका में रहते हैं लेकिन उनकी असली परीक्षा अपने घर हिमाचल में हैं. जहां फिर से जीत का कमल खिलाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर भी थी. वैसे तो अनुराग ठाकुर चुनाव के दौरान पूरे प्रदेश में एक्टिव रहे लेकिन उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी उन 17 सीटों पर जीत का परचम लहराने की है, जो उनके हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत आती है. ऐसे में अनुराग ठाकुर की प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी. (Reputation of Anurag Thakur at stake in Himachal Poll)

जयराम ठाकुर बदल पाएंगे रिवाज़ ?- इस बार हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने रिवाज बदलने का नारा दिया है. दरअसल हिमाचल प्रदेश में 1985 के बाद से कोई भी पार्टी सरकार रिपीट नहीं कर पाई है. पिछले 37 साल से हिमाचल में सत्ता बीजेपी और कांग्रेस के पास आती-जाती रही है. लेकिन इस बार बीजेपी दावा कर रही है कि वो हिमाचल में ये रिवाज बदलेंगे और इस बार हिमाचल में बीजेपी की सरकार रिपीट करेंगे. बीजेपी के इस मिशन रिपीट में पहली बार मुख्यमंत्री बने जयराम ठाकुर की साख दांव पर है. 5 बार विधायक रहे जयराम ठाकुर हिमाचल सरकार में मंत्री रहने के अलावा हिमाचल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. यानी अब उन्हें सरकार से लेकर संगठन तक का अनुभव हो चला है. अब देखना होगा कि इस बार मिशन रिपीट में जयराम कामयाब हो पाते हैं कि नहीं क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो हिमाचल में 37 साल बाद रिवाज़ बदलेगा और जयराम ठाकुर ऐसा करने वाले पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री होंगे. 2017 में एक विधायक के रूप में उनकी साख दांव पर थी लेकिन इस बार मुख्यमंत्री के नाते उनके सामने चुनौती ज्यादा बड़ी है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में 37 साल बाद बीजेपी बदल पाएगी रिवाज या कांग्रेस के सिर होगा ताज ?

शिमला : हिमाचल विधानसभा चुनाव की मतगणना के बाद 8 दिसंबर को 412 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा. हिमाचल चुनाव के नतीजों के बाद नई सरकार का चेहरा साफ हो जाएगा लेकिन इस सियासी रण में कई चेहरों की साख दांव पर है. इनमें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी हैं जिनके सामने 37 साल बाद रिवाज बदलकर इतिहास रचने का मौका होगा. अगर बीजेपी चुनाव जीतती है तो 37 साल बाद हिमाचल में कोई सियासी दल सरकार रिपीट करेगा. बीजेपी के कुछ ऐसे चेहरे भी हैं जो भले चुनावी मैदान में ना हों लेकिन हिमाचल के चुनावी दंगल में उनकी साख भी दांव पर है. (Big Guns reputation at stake in HP Poll)

नरेंद्र मोदी - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते हैं. नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से पहले करीब 5 साल हिमाचल के प्रभारी रहे हैं. यही वजह है कि वो हिमाचल की भौगोलिक और राजनीतिक परिस्थितियों से अच्छी तरह से वाकिफ हैं. हिमाचल में साल 2017 में बीजेपी की सरकार बनी थी और तबसे हिमाचल में नरेंद्र मोदी के लगभग हर जिले का दौरा कर चुके हैं (Reputation of PM Modi at stake in Himachal Poll) (Big Guns reputation at stake in HP Poll) (PM Modi in Himachal Election)

पिछले 5 सालों में केंद्र सरकार की कई परियोजनाएं हिमाचल के हिस्से आई हैं. जिसका श्रेय बीजेपी लेती है और नरेंद्र मोदी हर बार हिमाचल को अपना दूसरा घर बताकर महफिल लूट लेते हैं. प्रधानमंत्री देश-विदेश में हिमाचल की टोपी पहने और शॉल ओढ़े नजर आ जाते हैं, यहां की पेंटिग्स, शिल्प कला, देव संस्कृति, खान-पान का जिक्र भी वो कई मंचों पर कर चुके हैं. कुल मिलाकर वो हिमाचल के ब्रांड एबेंसडर के तौर पर खुद को प्रचारित भी करते हैं. प्रधानमंत्री होने के नाते वो हिमाचल में भी पार्टी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक थे. कांग्रेस बीजेपी पर मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने का भी आरोप लगाती रही है. 2014 का लोकसभा चुनाव हो या फिर 2019 का, या फिर 2017 का विधानसभा चुनाव, पार्टी को नरेंद्र मोदी के चेहरे का फायदा मिला है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी ने हिमाचल की चारों सीटों पर जीत दर्ज की थी. ऐसे में इस बार के हिमाचल चुनाव में नरेंद्र मोदी की साख भी दांव पर रहने वाली है.

जेपी नड्डा- बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आज दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष हैं लेकिन उनकी पहचान हिमाचल के बिना अधूरी है. हिमाचल के बिलासपुर से संबंध रखने वाले जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के छात्र रहे हैं. साल 1993 और फिर 1998 में वो दो बार बिलासपुर सीट से विधायक रहे, इस दौरान वो हिमाचल सरकार में मंत्री भी रहे हैं. मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका निभा चुके जेपी नड्डा मौजूदा वक्त में हिमाचल से ही राज्यसभा सांसद हैं. इस साल हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में 4 राज्यो में जीत का सेहरा भी अध्यक्ष होने के नाते जेपी नड्डा के सिर बंधा लेकिन उनकी सामने असली चुनौती हिमाचल प्रदेश में सरकार रिपीट करने की है.

चुनावी साल में जेपी नड्डा ने हिमाचल के कई दौरे किए. दिल्ली से लेकर शिमला तक कई बैठकें की. प्रदेश में टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार का खाका खींचने तक में उनकी अहम भूमिका रही है. नड्डा ने खुद प्रचार के रण में उतरकर बीजेपी प्रत्याशियों के लिए वोट भी मांगे. क्योंकि इस बार हिमाचल का मिशन पूरा करने की जिम्मेदारी जेपी नड्डा के कंधों पर है. इसलिये इन चुनावों में हिमाचल चुनाव में जेपी नड्डा की साख भी दांव पर होगी. (Reputation of JP Nadda at stake in HP Poll)

अनुराग ठाकुर- केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भले चुनावी रण में ना हों लेकिन वो हिमाचल के हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से चौथी बार सांसद हैं और इस नाते पार्टी ने उनकी भी जिम्मेदारी तय की थी. हिमाचल में चार लोकसभा और 68 विधानसभा क्षेत्र हैं. इस लिहाज से हर लोकसभा क्षेत्र में 17 विधानसभा सीटें हैं.

मोदी सरकार में राज्य मंत्री के बाद अब केंद्रीय मंत्री की भूमिका निभा रहे हैं. भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर बीसीसीआई अध्यक्ष तक की भूमिका निभा चुके अनुराग ठाकुर की पहचान पार्टी में एक युवा चेहरे और अच्छे वक्ता की रही है. देशभर के राज्यों में वो पार्टी के स्टार प्रचारक की भूमिका में रहते हैं लेकिन उनकी असली परीक्षा अपने घर हिमाचल में हैं. जहां फिर से जीत का कमल खिलाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर भी थी. वैसे तो अनुराग ठाकुर चुनाव के दौरान पूरे प्रदेश में एक्टिव रहे लेकिन उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी उन 17 सीटों पर जीत का परचम लहराने की है, जो उनके हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत आती है. ऐसे में अनुराग ठाकुर की प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी. (Reputation of Anurag Thakur at stake in Himachal Poll)

जयराम ठाकुर बदल पाएंगे रिवाज़ ?- इस बार हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने रिवाज बदलने का नारा दिया है. दरअसल हिमाचल प्रदेश में 1985 के बाद से कोई भी पार्टी सरकार रिपीट नहीं कर पाई है. पिछले 37 साल से हिमाचल में सत्ता बीजेपी और कांग्रेस के पास आती-जाती रही है. लेकिन इस बार बीजेपी दावा कर रही है कि वो हिमाचल में ये रिवाज बदलेंगे और इस बार हिमाचल में बीजेपी की सरकार रिपीट करेंगे. बीजेपी के इस मिशन रिपीट में पहली बार मुख्यमंत्री बने जयराम ठाकुर की साख दांव पर है. 5 बार विधायक रहे जयराम ठाकुर हिमाचल सरकार में मंत्री रहने के अलावा हिमाचल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. यानी अब उन्हें सरकार से लेकर संगठन तक का अनुभव हो चला है. अब देखना होगा कि इस बार मिशन रिपीट में जयराम कामयाब हो पाते हैं कि नहीं क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो हिमाचल में 37 साल बाद रिवाज़ बदलेगा और जयराम ठाकुर ऐसा करने वाले पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री होंगे. 2017 में एक विधायक के रूप में उनकी साख दांव पर थी लेकिन इस बार मुख्यमंत्री के नाते उनके सामने चुनौती ज्यादा बड़ी है.

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