भरतपुर. राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित सरसों अनुसंधान निदेशालय सेवर के नेतृत्व में तैयार की गईं सरसों की कई नई किस्में अब जम्मू के साथ ही देश के 10 राज्यों में लहलहाएंगी. सरसों की ये नई किस्म तेल से भरपूर होंगी और कम समय में पककर तैयार हो जाएंगी. ये किसानों को भरपूर पैदावर भी देंगी. इसके साथ ही निदेशालय के नेतृत्व में तीन और सरसों की नई वैरायटी तैयार की गई हैं, जो अलग-अलग राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार किसानों को अच्छी पैदावार देंगी. इतना ही नहीं निदेशालय ने किसानों के लिए सरसों की अलग-अलग किस्मों का 600 क्विंटल बीज तैयार किया है, जो बाजार में बिकने वाले बीज से अच्छी गुणवत्ता वाला और काफी कम दाम में उपलब्ध कराया जा रहा है.
देरी से बुवाई करने पर भी भरपूर लाभ : सरसों अनुसंधान निदेशालय के डायरेक्टर डॉ. पीके राय ने बताया कि इस बार निदेशालय ने बीपीएम-11 किस्म विकसित की है. यह किस्म 1860 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की पैदावार देगी और इसमें तेल की मात्रा 35 से 38% तक रहेगा. खास बात यह है कि ये किस्म सिर्फ 120 से 125 दिन में पककर तैयार हो जाएगी, इसलिए जो किसान देरी से बुवाई करेंगे उनके लिए यह किस्म काफी फायदेमंद साबित होगी. इस किस्म की बुवाई राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार और उत्तराखंड में की जा सकेगी.
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किसानों के लिए 600 क्विंटल बीज तैयार : निदेशक डॉ. पीके राय ने बताया कि सरसों अनुसंधान निदेशालय ने इस बार किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने के लिए अलग-अलग किस्मों का 600 क्विंटल बीज तैयार किया है. यह बीज किसानों की सिर्फ 130 रुपए प्रति किलो में उपलब्ध कराया जा रहा है. इनमें गिरिराज, राधिका, बृजराज, पीली सरसों, डीआरएमआर 1165 आदि किस्म शामिल हैं. किसानों को पहले आओ पहले पाओ के हिसाब से बीज उपलब्ध कराया जा रहा है.
17 राज्यों में लहलहा रही भरतपुर की सरसों : भरतपुर स्थित सरसों अनुसंधान निदेशालय सरसों की नई-नई गुणवत्तापूर्ण किस्म विकसित करता है. निदेशालय में अब तक करीब 11 से 12 किस्म विकसित की जा चुकी हैं. यहां विकसित की गई सरसों की किस्म को न केवल भरतपुर के किसान बल्कि राजस्थान समेत देश के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर, असम, मेघालय, मणिपुर, बिहार समेत 17 राज्यों के किसान बुवाई करते हैं और इसका लाभ ले रहे हैं.