नई दिल्ली : पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है. समिति के सदस्यों में प्रतिष्ठित नागरिक, इतिहासकार, लेखक, विशेषज्ञ, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सदस्य, साथ ही आजाद हिंद फौज (आईएनए) से जुड़े प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल हैं.
यह उच्च स्तरीय समिति 23 जनवरी, 2021 से काम शुरू करेगी. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति में आयोजित होने वाली गतिविधियों पर फैसला करेगी. यह समिति दिल्ली, कोलकाता के साथ-साथ विदेशों और आजाद हिंद फौज से जुड़े अन्य स्थानों में आयोजित होने वाली गतिविधियों के संबंध में फैसला करेगी.
इस कमेटी में पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह ,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ,वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ,कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ,सूचना मंत्री प्रकाश जावड़ेकर समेत कई अन्य केंद्रीय मंत्री के अलावा बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ,क्रिकेटर सौरव गांगुली, संगीतज्ञ ए आर रहमान, फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती के अलावा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार से अनिता बोस, अर्धेन्दू बोस, चंद्र कुमार बोस इसके अलावा उनकी आजाद हिंद फौज के भी कुछ पूर्व सदस्यों समेत ,शरद पवार, गुलाम नबी आजाद फिल्म अभिनेत्री काजोल जैसे 85 नामी-गिरामी लोगों को शामिल किया गया है.
केंद्र सरकार ने इस कार्यक्रम की घोषणा पहले ही स्मरणोत्सव नाम से की थी, जिसे केंद्र सरकार पूरे 1 साल तक मनाएगी. नेताजी के 125 वी जयंती के कार्यक्रम संबंधित तमाम योजनाओं की तैयारी कमेटी के सदस्य ही करेंगे.
नेताजी के विरासत को लेकर पहले से ही केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच में लड़ाई छिड़ी हुई है. ऐसे में इतने बड़े स्तर पर केंद्र सरकार की तरफ से नेताजी की 150वीं सालगिरह पर तैयार की गई. इस कमेटी की घोषणा कहीं ना कहीं आने वाले दिन में एक नई राजनीति को जन्म दे सकती है, क्योंकि पिछले ही सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर नेताजी से संबंधित सभी फाइलों को उजागर करने की मांग दोहराई थी.
हालांकि 2014 में जब से नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई है, तब से प्रधानमंत्री मोदी ने नेताजी से जुड़ी फाइलों को डिक्लासिफाइड कार्य किया जा रहा है. इसके अलावा नेताजी से जुड़े सभी ऐतिहासिक तत्व और पुरातत्व की चीजों को संग्रहित करने के लिए भी दिल्ली के लाल किले में एक संग्रहालय बनाया गया है, जिसका उद्घाटन खुद प्रधानमंत्री ने किया था.
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव सर पर है और चुनाव प्रचार भी शुरुआत हो चुका है, इसलिए भारतीय जनता पार्टी और राज्य में सत्ता संभाल रही टीएमसी के बीच नेताजी की विरासत को लेकर भी लड़ाई शुरू हो गई है. ऐसे में उम्मीद की जी रही है कि सरकार इस योजना का चुनाव में पूरा फायदा उठाने की कोशिश करेगी.
बता दें कि संस्कृति मंत्रालय की तरफ से तैयार की गई इस हाई पावर कमेटी के बाद एक साल तक शुरू होने वाले कार्यक्रम, जिसकी शुरुआत 23 जनवरी से होनी है के तहत पूरे साल में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
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इस कमेटी के मुताबिक नेता जी की 150वीं जयंती के वर्ष के दौरान 23 जनवरी से एक वर्ष तक 125 वीं जयंती के वर्ष में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की जाएगी.
इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा था कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बहादुरी जगजाहिर है और हम इस प्रतिभाशाली विद्वान सैनिक और महान जननेता की 125 वीं जयंती जल्द ही मनाने जा रहे हैं और इस उद्देश्य के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा.
उसी का अनुसरण करते हुए पहले अमित शाह की अध्यक्षता में कमेटी तैयार की गई थी, जिसे अब व्यापक रूप देते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नई कमेटी तैयार की है, जिसमें राजनीति के अलावा भी अन्य सभी वर्गों से हस्तियों को शामिल किया गया है पहले भी केंद्र सरकार द्वारा नेताजी से संबंधित कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है , जिसमें नेताजी की 122 वी जयंती पर प्रधानमंत्री ने लाल किले में सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय का उद्घाटन किया था.
इसके अलावा अंडमान निकोबार के तीन द्वीपों का नाम बदलकर शहीद द्वीप सुभाष चंद्र बोस द्वीप और स्वराजदीप करने की घोषणा की गई थी साथ ही सरकार ने नेताजी से संबंधित फाइलें भी 2015 में सार्वजनिक करने का फैसला किया था और इसके बाद 4 दिसंबर 2015 को सरकार ने 23 फाइलें भी जारी की थी और उसके बाद भी 23 जनवरी 2016 को इन फाइलों की 100 प्रतियां फिर से जारी की गई थीं.