ETV Bharat / bharat

Viveka Murder Case: गंगी रेड्डी की जमानत का विरोध करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 26 मई को करेगा सुनवाई - Challenging Telangana High Court order

आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाई एस विवेकानंद रेड्डी की हत्या के आरोपी गंगी रेड्डी की जमानत का विरोध करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 26 मई को सुनवाई करेगी. पढ़ें पूरी खबर..

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : May 24, 2023, 5:26 PM IST

Updated : May 24, 2023, 7:01 PM IST

नई दिल्ली: सीबीआई ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाई एस विवेकानंद रेड्डी की हत्या के एक आरोपी को तेलंगाना उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने को बुधवार को 'स्वाभाविक रूप से विरोधाभासी' करार देते हुए उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका का समर्थन करती है. न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की अवकाश पीठ रेड्डी की बेटी सुनीता रेड्डी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें टी गंगी रेड्डी उर्फ ​​येर्रा गंगी रेड्डी को सशर्त जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने पीठ से कहा, 'हमने ऐसा कभी नहीं सुना कि जमानत रद्द करने वाला आदेश जमानत की अनुमति देता हो. यह कैसे संभव है? स्वाभाविक रूप से विरोधाभासी.' शीर्ष अदालत ने 18 मई को उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सीबीआई और आरोपी को नोटिस जारी किया था.

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने बुधवार को सुनवाई के दौरान पीठ से कहा, "मैं सीबीआई की ओर से उपस्थित हूं. हम याचिका का समर्थन करते हैं. हम कल तक अपना जवाबी हलफनामा दायर करना चाहते हैं." उन्होंने पीठ से शुक्रवार को मामले की सुनवाई करने का आग्रह किया. पीठ ने कहा, ‘‘हम एक संतुलित आदेश पारित करेंगे.’’ सुनीता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा, ‘‘जमानत रद्द करने की स्थिति में जमानत कैसे दी जा सकती है.’’

सुनवाई के दौरान, पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के अंतिम हिस्से का उल्लेख किया, जिसने निचली अदालत को निर्देश दिया था कि आरोपी को एक जुलाई को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतने की ही दो जमानत राशि पर रिहा किया जाए. आरोपी की ओर से पेश वकील ने पीठ को बताया कि उन्होंने भी जमानत रद्द करने के उच्च न्यायालय के 27 अप्रैल के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी.

पीठ ने कहा, "आप इस (याचिका) की एक प्रति तामील करें क्योंकि यदि उन्होंने इस आदेश की सत्यता को चुनौती दी है, तो हमें उन्हें सुनना होगा. हमारे लिए यह उचित नहीं होगा कि हम इसे अलग रख दें और फिर कल आपके आवेदन पर विचार करें. हम दोनों मामलों को एक साथ लेंगे." मामले में अगली सुनवाई 26 मई को होगी.

उच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल के अपने आदेश में कहा था, "आरोपी नंबर 1 (टी गंगी रेड्डी) को पांच मई, 2023 को या उससे पहले आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जाता है. उसके आत्मसमर्पण करने पर, उसे 30 जून, 2023 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाएगा जो सीबीआई द्वारा जांच पूरी करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा तय की गई बाहरी सीमा है."

इसने कहा था, ‘‘यदि आरोपी ... उक्त तिथि को या उससे पहले संबंधित अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने में विफल रहता है, तो सीबीआई उसे कानून के तहत हिरासत में लेने और सीबीआई मामलों के प्रधान विशेष न्यायाधीश, हैदराबाद की अदालत में पेश करने के लिए स्वतंत्र है.’’

उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘‘अदालत को याचिकाकर्ता को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानत पर, एक जुलाई, 2023 को जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है.’’ इससे पहले शीर्ष अदालत ने गंगी रेड्डी की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं को नए फैसले के लिए तेलंगाना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था.

सीबीआई ने शुरू में जमानत को रद्द कराने के लिए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. उच्च न्यायालय ने कहा था कि इसे रद्द करने का कोई कानूनी आधार नहीं है. जांच एजेंसी ने तब शीर्ष अदालत का रुख किया था जिसने 16 जनवरी को मामले को गुण-दोष के आधार पर नए सिरे से विचार करने के लिए तेलंगाना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था. सीबीआई मामले में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लोकसभा सदस्य वाईएस अविनाश रेड्डी की भूमिका की भी जांच कर रही है.

अविनाश रेड्डी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी के चचेरे भाई और एस विवेकानंद रेड्डी के भतीजे हैं. आंध्र प्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी के भाइयों में से एक विवेकानंद रेड्डी की राज्य में विधानसभा चुनाव से हफ्तों पहले 15 मार्च, 2019 की रात कडप्पा जिले के पुलिवेंदुला स्थित उनके आवास पर हत्या कर दी गई थी. हत्या के मामले की जांच शुरू में राज्य सीआईडी ​​की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा की गई थी, लेकिन जुलाई 2020 में इसे सीबीआई को सौंप दिया गया था. सीबीआई ने 26 अक्टूबर, 2021 को आरोपपत्र दाखिल किया था और इसके बाद 31 जनवरी, 2022 को पूरक आरोपपत्र दायर किया था.

(पीटीआई-भाषा)

यह भी पढ़ें: New Parliament Building : संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगी TDP, YSRCP और SAD

नई दिल्ली: सीबीआई ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाई एस विवेकानंद रेड्डी की हत्या के एक आरोपी को तेलंगाना उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने को बुधवार को 'स्वाभाविक रूप से विरोधाभासी' करार देते हुए उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका का समर्थन करती है. न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की अवकाश पीठ रेड्डी की बेटी सुनीता रेड्डी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें टी गंगी रेड्डी उर्फ ​​येर्रा गंगी रेड्डी को सशर्त जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने पीठ से कहा, 'हमने ऐसा कभी नहीं सुना कि जमानत रद्द करने वाला आदेश जमानत की अनुमति देता हो. यह कैसे संभव है? स्वाभाविक रूप से विरोधाभासी.' शीर्ष अदालत ने 18 मई को उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सीबीआई और आरोपी को नोटिस जारी किया था.

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने बुधवार को सुनवाई के दौरान पीठ से कहा, "मैं सीबीआई की ओर से उपस्थित हूं. हम याचिका का समर्थन करते हैं. हम कल तक अपना जवाबी हलफनामा दायर करना चाहते हैं." उन्होंने पीठ से शुक्रवार को मामले की सुनवाई करने का आग्रह किया. पीठ ने कहा, ‘‘हम एक संतुलित आदेश पारित करेंगे.’’ सुनीता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा, ‘‘जमानत रद्द करने की स्थिति में जमानत कैसे दी जा सकती है.’’

सुनवाई के दौरान, पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के अंतिम हिस्से का उल्लेख किया, जिसने निचली अदालत को निर्देश दिया था कि आरोपी को एक जुलाई को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतने की ही दो जमानत राशि पर रिहा किया जाए. आरोपी की ओर से पेश वकील ने पीठ को बताया कि उन्होंने भी जमानत रद्द करने के उच्च न्यायालय के 27 अप्रैल के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी.

पीठ ने कहा, "आप इस (याचिका) की एक प्रति तामील करें क्योंकि यदि उन्होंने इस आदेश की सत्यता को चुनौती दी है, तो हमें उन्हें सुनना होगा. हमारे लिए यह उचित नहीं होगा कि हम इसे अलग रख दें और फिर कल आपके आवेदन पर विचार करें. हम दोनों मामलों को एक साथ लेंगे." मामले में अगली सुनवाई 26 मई को होगी.

उच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल के अपने आदेश में कहा था, "आरोपी नंबर 1 (टी गंगी रेड्डी) को पांच मई, 2023 को या उससे पहले आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जाता है. उसके आत्मसमर्पण करने पर, उसे 30 जून, 2023 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाएगा जो सीबीआई द्वारा जांच पूरी करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा तय की गई बाहरी सीमा है."

इसने कहा था, ‘‘यदि आरोपी ... उक्त तिथि को या उससे पहले संबंधित अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने में विफल रहता है, तो सीबीआई उसे कानून के तहत हिरासत में लेने और सीबीआई मामलों के प्रधान विशेष न्यायाधीश, हैदराबाद की अदालत में पेश करने के लिए स्वतंत्र है.’’

उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘‘अदालत को याचिकाकर्ता को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानत पर, एक जुलाई, 2023 को जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है.’’ इससे पहले शीर्ष अदालत ने गंगी रेड्डी की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं को नए फैसले के लिए तेलंगाना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था.

सीबीआई ने शुरू में जमानत को रद्द कराने के लिए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. उच्च न्यायालय ने कहा था कि इसे रद्द करने का कोई कानूनी आधार नहीं है. जांच एजेंसी ने तब शीर्ष अदालत का रुख किया था जिसने 16 जनवरी को मामले को गुण-दोष के आधार पर नए सिरे से विचार करने के लिए तेलंगाना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था. सीबीआई मामले में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लोकसभा सदस्य वाईएस अविनाश रेड्डी की भूमिका की भी जांच कर रही है.

अविनाश रेड्डी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी के चचेरे भाई और एस विवेकानंद रेड्डी के भतीजे हैं. आंध्र प्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी के भाइयों में से एक विवेकानंद रेड्डी की राज्य में विधानसभा चुनाव से हफ्तों पहले 15 मार्च, 2019 की रात कडप्पा जिले के पुलिवेंदुला स्थित उनके आवास पर हत्या कर दी गई थी. हत्या के मामले की जांच शुरू में राज्य सीआईडी ​​की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा की गई थी, लेकिन जुलाई 2020 में इसे सीबीआई को सौंप दिया गया था. सीबीआई ने 26 अक्टूबर, 2021 को आरोपपत्र दाखिल किया था और इसके बाद 31 जनवरी, 2022 को पूरक आरोपपत्र दायर किया था.

(पीटीआई-भाषा)

यह भी पढ़ें: New Parliament Building : संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगी TDP, YSRCP और SAD

Last Updated : May 24, 2023, 7:01 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.