नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र, दिल्ली सरकार और अन्य को बिना वेंटिलेशन वाले बंद वातानुकूलित स्थानों में कोविड-19 के हवा में होने वाले प्रसार के जोखिम की चेतावनी वाली याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर लेने का गुरूवीर को निर्देश दिया है.
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि प्रतिवेदन दोनों सरकारों, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली नगर निगम, भारतीय मानक ब्यूरो और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग द्वारा कानून एवं नीति के अनुसार यथासंभव शीघ्र एवं व्यावहारिक रूप से तय किया जाए.
इसे भी पढ़े-पेगासस मामले में याचिका दायर करने में देरी क्यों, पुलिस में शिकायत क्यों नहीं की : सुप्रीम कोर्ट
अदालत ने कहा कि चूंकि इस मुद्दे पर विशेषज्ञों द्वारा विचार किया जाना है और इस पर एक नीति तैयार करना आवश्यक है, इसलिए इसे प्रतिवादी अधिकारियों को भेजना उसने उचित समझा है.
मुख्य न्यायाधीश पटेल ने कहा,यह बड़ा मुद्दा है.आपका मामला वास्तविक है क्या आप सरकार के पास गए हैं? हम उन्हें फैसला करने का निर्देश दे रहे हैं.
याचिकाकर्ता राजा सिंह की तरफ से पेश अधिवक्ता के सी मित्तल ने दलील दी कि कोरोना वायरस के वातानुकूलन में किसी भी हद तक फैलने के बावजूद अधिकारियों द्वारा इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया है. उन्होंने कोविड-19 की तीसरी लहर आने से पहले अदालत से हस्तक्षेप करने की अपील की है.
(पीटीआई-भाषा)