मुंबई: मुंबई के एक शिकायतकर्ता ने 2021 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के खिलाफ एक याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वह मुंबई आई थी और एक सार्वजनिक कार्यक्रम में राष्ट्रगान बजने पर बैठी रहीं और बाद में खड़ी हुई. इस बाबत बॉम्बे सेशंस कोर्ट ने ममता बनर्जी को समन भेजा, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
1 दिसंबर 2021 को ममता बनर्जी मुंबई आईं थीं. वह एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मौजूद थीं. शिकायतकर्ता ने अदालत से कहा कि जब राष्ट्रगान शुरू हुआ तो वह बैठी रही और फिर खड़ी हो गई. यह 1971 के राष्ट्रगान अधिनियम का उल्लंघन है. उन्होंने याचिका में यह भी कहा है कि उन्हें उसी हिसाब से नोटिस जारी किया जाए.
शिकायतकर्ता ने अपनी याचिका में यह भी उल्लेख किया था कि राष्ट्रगान का अपमान करने पर सजा का प्रावधान है. जानबूझकर राष्ट्रगान को बदनाम करने के मामले में तीन साल की सजा का प्रावधान है. उन्होंने यह भी कहा कि सेशन कोर्ट इस पर विचार करे और उसके अनुसार कार्रवाई करे. इसी के कारण ममता बनर्जी को यह समन जारी किया गया था, जिसके खिलाफ उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
ममता बनर्जी ने अपनी याचिका में उल्लेख किया है कि, "जिस व्यक्ति ने उनके खिलाफ यह शिकायत की, वह व्यक्ति उस समय शारीरिक रूप से वहां मौजूद नहीं था लेकिन उन्होंने मीडिया में संपादित खबरों के कुछ हिस्से को देखकर मुझ पर आरोप लगाए हैं. " इसलिए उन्होंने मांग की कि उनका आवेदन रद्द किया जाए क्योंकि उनके द्वारा की गई मांग सही नहीं है.
ममता बनर्जी के वकील ने पहले अदालत के सामने तर्क दिया था कि विशेष अदालत को समन को हमेशा के लिए रद्द कर देना चाहिए था. मामला मजिस्ट्रेट को वापस नहीं भेजा जाना चाहिए. अब इन सभी मामलों की सुनवाई बॉम्बे हाईकोर्ट के सिंगल जज सोमवार यानी 27 मार्च को करेंगे. ममता बनर्जी की अर्जी पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है. ममता बनर्जी ने याचिका में दावा किया है कि सत्र न्यायालय द्वारा जारी समन को रद्द किया जाना चाहिए. राजनीतिक हलकों का ध्यान इस बात पर है कि कल हाईकोर्ट की सिंगल बेंच इस संबंध में क्या फैसला देगी.
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