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हाईकोर्ट ने धार्मिक शैक्षणिक संस्थानों के सरकारी वित्त पोषण पर जानकारी मांगी

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सरकार से मान्यता और सहायता प्राप्त धार्मिक शैक्षणिक संस्थानों जैसे मदरसों आदि के सरकारी वित्त पोषण पर राज्य सरकार से विस्तृत जानकारी मांगी है.

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Published : Sep 1, 2021, 5:37 PM IST

प्रयागराज : मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकल पीठ ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर एक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. पीठ ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख छह अक्तूबर तय की है.

पीठ ने राज्य सरकार से मान्यता और सहायता प्राप्त मदरसों और अन्य सभी धार्मिक शैक्षणिक संस्थानों के पाठ्यक्रम, शर्तें, मान्यता के मानक आदि उपलब्ध कराने को कहा. अदालत ने यह भी पूछा कि क्या ऐसे मान्यता और सहायता प्राप्त मदरसे छात्राओं को भी प्रवेश देते हैं.

अदालत ने राज्य सरकार से अन्य संप्रदायों की धार्मिक शिक्षा दे रहे संस्थानों के विभिन्न अन्य शिक्षा बोर्डों के विवरण भी अपने हलफनामे में देने को कहा. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या धार्मिक शिक्षा दे रहे संस्थानों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की राज्य सरकार की नीति, संविधान की मंशा के अनुरूप है.

खासकर भारत के संविधान की प्रस्तावना में लिखित धर्मनिरपेक्ष शब्द के आलोक में यह अनुरूप है. अदालत ने यह भी जानना चाहा है कि क्या अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी धार्मिक स्कूल चलाने के लिए सरकारी सहायता उपलब्ध कराई जाती है और क्या धार्मिक स्कूलों में विद्यार्थी के तौर पर आवेदन करने से महिलाओं को रोका गया है और यदि ऐसा है तो क्या इस तरह की रोक भेदभाव नहीं है.

यह भी पढ़ें-मानसिक रोगियों के टीकाकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को दिया निर्देश

मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम ने विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अध्यापकों के अतिरिक्त पदों का सृजन करने का इस याचिका में अनुरोध किया है. अदालत ने ये निर्देश 19 अगस्त को पारित किया था और हाल ही में इसे अपलोड किया गया.

(पीटीआई-भाषा)

प्रयागराज : मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकल पीठ ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर एक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. पीठ ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख छह अक्तूबर तय की है.

पीठ ने राज्य सरकार से मान्यता और सहायता प्राप्त मदरसों और अन्य सभी धार्मिक शैक्षणिक संस्थानों के पाठ्यक्रम, शर्तें, मान्यता के मानक आदि उपलब्ध कराने को कहा. अदालत ने यह भी पूछा कि क्या ऐसे मान्यता और सहायता प्राप्त मदरसे छात्राओं को भी प्रवेश देते हैं.

अदालत ने राज्य सरकार से अन्य संप्रदायों की धार्मिक शिक्षा दे रहे संस्थानों के विभिन्न अन्य शिक्षा बोर्डों के विवरण भी अपने हलफनामे में देने को कहा. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या धार्मिक शिक्षा दे रहे संस्थानों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की राज्य सरकार की नीति, संविधान की मंशा के अनुरूप है.

खासकर भारत के संविधान की प्रस्तावना में लिखित धर्मनिरपेक्ष शब्द के आलोक में यह अनुरूप है. अदालत ने यह भी जानना चाहा है कि क्या अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी धार्मिक स्कूल चलाने के लिए सरकारी सहायता उपलब्ध कराई जाती है और क्या धार्मिक स्कूलों में विद्यार्थी के तौर पर आवेदन करने से महिलाओं को रोका गया है और यदि ऐसा है तो क्या इस तरह की रोक भेदभाव नहीं है.

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मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम ने विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अध्यापकों के अतिरिक्त पदों का सृजन करने का इस याचिका में अनुरोध किया है. अदालत ने ये निर्देश 19 अगस्त को पारित किया था और हाल ही में इसे अपलोड किया गया.

(पीटीआई-भाषा)

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