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अब अतीक अहमद के बेटे को सता रहा पेशी पर हमले का डर, HC ने सुरक्षा की मांग खारिज की

अतीक अहमद के बेटे अली की ओर से सरकारी सुरक्षा की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. इसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 14, 2023, 7:07 AM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माफिया अतीक के बेटे अली अहमद की सुरक्षा की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. नैनी सेंट्रल जेल में बंद माफिया अतीक के बेटे अली अहमद ने अदालत में पेशी के दौरान जान का खतरा बताते हुए कोर्ट में पेशी के समय केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनात किए जाने की मांग की थी. हाईकोर्ट ने सुरक्षा के लिए कोई ठोस आधार नहीं देने के कारण याचिका खारिज कर दी.

याचिका में कहा गया था कि अली आपराधिक मामलों को लेकर नैनी जेल में निरुद्ध है. उन मुकदमों के संदर्भ में संबंधित अदालतों में पेशी के दौरान उनपर जानलेवा हमला हो सकता है इसलिए उनकी पूरी सुरक्षा करने या उनकी पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराने का आदेश दिया जाए.


राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड ने याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट का ध्यान अली के हलफनामे में उन तथ्यों की ओर आकृष्ट कराया था, जिनमें अली ने अपने मरहूम पिता व चाचा की आपराधिक छवि का हवाला दिया है. श्री संड ने कहा था कि दोनों याचियों के हलफनामे में उनके पिता अतीक अहमद व चाचा खालिद अजीम उर्फ अशरफ की आपराधिक छवि और आतंक का हवाला दिया गया है. कहा गया है कि कैसे वे दोनों अपराध के दलदल में धंसते चले गए और उनका कितना आतंक कायम था. साथ ही उन्होंने याचिका के साथ संलग्न हलफनामे में शपथकर्ता की एक गलती को दर्शाते हुए कहा था कि सरसरी तौर पर तैयार कराए गए हलफनामों से स्पष्ट है कि याचियों की आशंका काल्पनिक है। इस पर उमर व अली के वकीलों ने उसे टाइप की गलती बताया था.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माफिया अतीक के बेटे अली अहमद की सुरक्षा की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. नैनी सेंट्रल जेल में बंद माफिया अतीक के बेटे अली अहमद ने अदालत में पेशी के दौरान जान का खतरा बताते हुए कोर्ट में पेशी के समय केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनात किए जाने की मांग की थी. हाईकोर्ट ने सुरक्षा के लिए कोई ठोस आधार नहीं देने के कारण याचिका खारिज कर दी.

याचिका में कहा गया था कि अली आपराधिक मामलों को लेकर नैनी जेल में निरुद्ध है. उन मुकदमों के संदर्भ में संबंधित अदालतों में पेशी के दौरान उनपर जानलेवा हमला हो सकता है इसलिए उनकी पूरी सुरक्षा करने या उनकी पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराने का आदेश दिया जाए.


राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड ने याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट का ध्यान अली के हलफनामे में उन तथ्यों की ओर आकृष्ट कराया था, जिनमें अली ने अपने मरहूम पिता व चाचा की आपराधिक छवि का हवाला दिया है. श्री संड ने कहा था कि दोनों याचियों के हलफनामे में उनके पिता अतीक अहमद व चाचा खालिद अजीम उर्फ अशरफ की आपराधिक छवि और आतंक का हवाला दिया गया है. कहा गया है कि कैसे वे दोनों अपराध के दलदल में धंसते चले गए और उनका कितना आतंक कायम था. साथ ही उन्होंने याचिका के साथ संलग्न हलफनामे में शपथकर्ता की एक गलती को दर्शाते हुए कहा था कि सरसरी तौर पर तैयार कराए गए हलफनामों से स्पष्ट है कि याचियों की आशंका काल्पनिक है। इस पर उमर व अली के वकीलों ने उसे टाइप की गलती बताया था.

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