नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के नगर निगमों के कर्मचारियों को वेतन और पेंशन समय पर नहीं मिलने पर दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम देख सकते हैं कि किस तरह से सरकार राजनेताओं की तस्वीरों के साथ अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन देती है, लेकिन दूसरी तरफ कर्मचारियों की सैलरी तक नहीं दी जाती.
कर्मचारियों को तय वक्त पर तनख्वाह देते तो ज्यादा नाम होता
हाई कोर्ट ने कहा कि क्या यह अपराध नहीं है कि ऐसे मुश्किल वक्त में भी आप पैसा विज्ञापन पर खर्च कर रहे हैं. अगर आप इन कर्मचारियों को तय वक्त पर तनख्वाह देते तो आपका कहीं ज्यादा नाम हो सकता है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बकाया वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया. पिछले 24 मार्च को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया था कि वह अपने संशोधित अनुमान के मुताबिक, तीनों नगर निगमों की बकाया राशि 31 मार्च तक जारी करे. कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार जो राशि जारी करेगी उससे नगर निगम कर्मचारियों को वेतन और पेंशन दें. कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार की ओर से अपने संशोधित अनुमान के तहत 2020-21 के लिए पूर्वी उत्तरी और दक्षिणी नगर निगम को ''बेसिक टैक्स एसाइनमेंट (बीटीए) न देने का कोई औचित्य नहीं है.
भुगतान अगले वित्तीय वर्ष तक के लिए नहीं टाला जा सकता
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया था कि दिल्ली सरकार के संशोधित अनुमान के तहत बीटीए के तौर पर वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान पूर्वी दिल्ली नगर निगम को 864 करोड़ 80 लाख रुपये, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को 405 करोड़ 20 लाख रुपये और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को 764 करोड़ 80 रुपये दिए जाने हैं. इस पर कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार बीटीए का भुगतान करना अगले वित्तीय वर्ष के लिए टाल नहीं सकती, क्योंकि नगर निगमों को वेतन देना है और उन पर दूसरे वित्तीय बोझ भी हैं.
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