प्रयागराज : मथुरा के वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर में दर्शन को सुलभ बनाने के लिए हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार को उसकी प्रस्तावित योजना अमल में लाने की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने कहा है कि सरकार कॉरिडोर के लिए प्रस्तावित योजना को अमल में लाए लेकिन इस कार्य के लिए मंदिर के खाते में जमा 262 करोड़ रुपए की धनराशि का उपयोग न करे. कोर्ट ने कहा कि सरकार इस कार्य के लिए अपने पास से पैसा खर्च करे. कोर्ट ने कॉरिडोर निर्माण के लिए राज्य सरकार को उचित हर कदम उठाने की छूट दी है. इसके अलावा अतिक्रमण हटाने के लिए भी राज्य सरकार को पूरी छूट दी गई है. अनंत शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है.
भीड़ के कारण हो चुके हैं कई हादसे : अनंत शर्मा ने जनहित याचिका दाखिल कर कोर्ट के समक्ष बांके बिहारी मंदिर में भारी संख्या में आने वाले दर्शनार्थियों को हो रही असुविधा का मुद्दा उठाया था. कोर्ट को बताया गया कि बांके बिहारी मंदिर में प्रतिदिन औसतन 40 से 50 हजार लोग दर्शन करने के लिए आते हैं. छुट्टियां और विशेष पर्वों पर यह संख्या डेढ़ से ढाई लाख तक पहुंच जाती है. मंदिर में जाने वाले रास्ते बेहद संकरे है, और इतनी बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ संभालने की उनकी क्षमता नहीं है. यात्रा मार्ग में बहुत सारी प्रसाद आदि की दुकानें हैं. इससे समस्या पैदा होती है. लोगों के सामान चोरी होने, भीड़ में दबकर लोगों के घायल होने, मौत आदि की घटनाएं भी हो जाती है.
गोस्वामी समाज ने फंड को लेकर जताई थी आपत्ति : राज्य सरकार की ओर से इस मामले में एक विस्तृत प्रस्ताव देकर दीर्घकालिक व अल्पकालिक योजनाएं प्रस्तुत की गईं. जिससे मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित किया जा सके. सरकार का प्रस्ताव था कि इस कार्य में आने वाला खर्च मंदिर के खाते में जमा धनराशि से किया जाए. मंदिर के सेवायत गोस्वामी समाज ने सरकार के इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई. गोस्वामी समाज का कहना था कि मंदिर के फंड में हस्तक्षेप कर सरकार मंदिर का प्रबंध अपने हाथ में लेना चाहती है जो कि गोस्वामी समाज को मंजूर नहीं है. यह मंदिर प्राइवेट संपत्ति है. इसलिए इसमें सरकार का किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप मंजूर नहीं है. यदि सरकार अपने पास से पैसा खर्च करके प्रबंध करना चाहती है तो गोस्वामी समाज को इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी.
कोर्ट ने दिए आदेश, मंदिर के फंड को न छुआ जाए : कोर्ट का कहना था कि मंदिर भले ही प्राइवेट प्रॉपर्टी है, मगर यदि वहा इतनी बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं तो भीड़ का प्रबंधन करना और जन सुविधाओं को ध्यान रखकर व्यवस्था करना सरकार का दायित्व है. कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा मंदिर के फंड का उपयोग किए जाने के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि मंदिर के खाते में जमा 262.50 करोड़ रुपए की धनराशि को छुआ भी न जाए, सरकार अपना पैसा खर्च करके जन सुविधाओं की व्यवस्था करें. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने जो योजना बनाकर अदालत में दाखिल की है उस योजना को अमल में लाया जाए. इसके लिए राज्य सरकार जो भी कदम उठाना उचित समझे उठाने के लिए स्वतंत्र है.
दर्शन की वैकल्पिक व्यवस्था का कराएं प्रबंध : कोर्ट ने राज्य सरकार से अपेक्षा है कि योजना लागू करने के बाद किसी भी प्रकार का अतिक्रमण या बाधा दोबारा उत्पन्न करने की अनुमति न दी जाए. यह भी कहा है कि राज्य सरकार द्वारा योजना अमल में लाए जाने के दौरान लोगों को ठाकुर जी के दर्शन में किसी प्रकार की बाधा न आने पाए. कॉरिडोर का निर्माण किए जाने के दौरान दर्शन की वैकल्पिक व्यवस्था की जाए. कोर्ट ने मंदिर के वर्तमान प्रबंधन और इससे जुड़े सभी पक्षों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि दर्शन में किसी प्रकार की रुकावट न आने पाए. साथ ही जिला प्रशासन अदालत के आदेश का कड़ाई से पालन करें. इस आदेश का किसी भी प्रकार से उल्लंघन होने पर अदालत को सूचित किया जाए।