लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि उसने आखिर किस अधिकार से शिया वक्फ बोर्ड में प्रशासक की नियुक्ति कर दी.
अदालत ने 25 मार्च को विशेष सचिव स्तर के किसी अधिकारी को इस मामले में मदद के लिए अदालत में मौजूद रहने के निर्देश भी दिए हैं. न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति मनीष कुमार ने असद अली खां की याचिका पर यह निर्देश पारित किया है.
याची के वकील अभिनब सिंह ने दलील दी, वक्फ अधिनियम 1955 और उसके तहत निर्धारित नियमावली में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि वक्फ बोर्ड में चुनाव नहीं होने की स्थिति में प्रशासक नियुक्त कर दिया जाए.
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सुनवाई के दौरान पीठ को यह मालूम हुआ कि शिया वक्फ बोर्ड का आखिरी चुनाव 19 मई 2015 को हुआ था. उसके पदाधिकारियों का कार्यकाल 19 मई 2020 को खत्म हो गया था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण नए चुनाव नहीं हो सके थे.
बाद में राज्य सरकार ने शिया वक्फ बोर्ड के चुनाव कराने के बजाय गत 16 मार्च को अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा को बोर्ड में प्रशासक नियुक्त कर दिया था.