दिल्ली/देहरादूनः नई दिल्ली में हेमवती नंदन बहुगुणा के जीवन पर आधारित पुस्तक 'हेमवती नंदन बहुगुणाः भारतीय जनचेतना के संवाहक' का विमोचन हो गया है. जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी शिरकत की. इस मौके पर सीएम धामी ने कहा कि हिमालय पुत्र हेमवती नंदन बहुगुणा के इरादे हिमालय जैसे थे और हिमालय टूट सकता है पर झुक नहीं सकता. उनकी ओर से किए गए कार्य हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे.
सीएम धामी ने कहा हेमवती नंदन बहुगुणा ने अपनी विलक्षण बौद्धिक प्रतिभा के बल पर भारतीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई. वहीं, प्रयागराज की सांसद और पूर्व मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने अपने पिता और यूपी के पूर्व सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा की जीवनी पर आधारित इस किताब में सियासत के कई अहम राज भी खोले हैं. ऐसे में इस पुस्तक को लेकर विवाद भी सामने आ रहा है.
सुर्खियों में आई रीता जोशी की किताब: एक समय था, जब हेमवती नंदन बहुगुणा को कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में गिना जाता था. उनकी बेटी और अब प्रयागराज की सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने अपने पिता के राजनीतिक सफर को उजागर करती हुई एक किताब (BJP MP Rita Bahuguna Joshi book) लिखी है. इस किताब को उन्होंने 'हेमवती नंदन बहुगुणा: भारतीय जनचेतना के संवाहक' का नाम दिया है.
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इस किताब में कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Former Prime Minister Indira Gandhi) समेत तमाम नेताओं का जिक्र है. किताब में इस बात का खुलासा किया गया है कि हेमवती नंदन बहुगुणा और इंदिरा गांधी के बीच कई मुद्दों पर भारी मतभेद हुआ करता था. इन गहरे मतभेदों को भी किताब में शामिल किया गया है.
हेमवती को नहीं हरा पाईं इंदिरा: प्रयागराज सांसद डॉ. रीता ने अपनी किताब में कई खुलासे भी किए हैं. किताब में इस बात का जिक्र किया गया है कि कांग्रेस नेता हेमवती नंदन बहुगुणा का इंदिरा गांधी से मतभेद खुलकर सामने आने के बाद 1980 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी. 1981 में गढ़वाल में हुए उपचुनाव में वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे और तब की पीएम इंदिरा गांधी ने उन्हें हराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया.
उन्होंने तब कुल 34 चुनावी सभाएं की थी. यह उप चुनाव दस महीने इसलिए चला. क्योंकि इसे एक बार रद्द किया गया, तो दो बार तारीख बदली गई. इसके बाद भी स्थानीय स्तर पर लोगों ने नारा दिया 'गढ़वा का चंदन हेमवती नंदन'. उस चुनाव में बहुगुणा भारी मतों से विजयी रहे. यह हार बहुत दिनों तक पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा को चुभती रही.
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वीपी सिंह पर भी किताब में साधा निशाना: अपनी किताब में रीता ने कांग्रेस के कई दिग्गजों का जिक्र हेमवती नंदन बहुगुणा के संदर्भ में किया है. उन्होंने लिखा है कि हेमवती नंदन नहीं चाहते थे कि पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह को देश की बागडोर मिले. उनका मानना था कि वह कुंठित मानसिकता के व्यक्ति हैं. यदि वो शीर्ष पद पर बैठे तो देश बर्बाद हो जाएगा. यह भी बताया है कि वीपी सिंह को कांग्रेस की सदस्यता और पहली बार टिकट भी उनकी मां कमला बहुगुणा ने दिलाया था.
हेमवती नंदन बहुगुणा ने किया था इमरजेंसी का विरोध: रीता बहुगुणा जोशी ने अपनी किताब (Hemwati Nandan Bahuguna: Bharatiya Janchetna Ke Samvahak) में इस बात का भी जिक्र किया है बहुगुणा और इंदिरा के मतभेद बढ़ चुके थे. कांग्रेस छोड़ने से पहले उन्होंने 1980 के चुनाव में तीस लोगों के लिए टिकट मांगा. इंदिरा ने मना कर दिया, तब कांग्रेस पर संजय गांधी का खूब प्रभाव था.
लोग उनके आगे-पीछे ही घूमते थे. हेमवती नंदन बहुगुणा (Hemwati Nandan Bahuguna) ने अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया और संजय गांधी के पास टिकट के लिए नहीं गए. इमरजेंसी का भी उन्होंने विरोध किया था और फोन पर इंदिरा से कहा था कि आपने ये क्या कर दिया.