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गुजरात: चक्रवात से फसलों को भारी नुकसान, आम, केले की फसल ज्यादा प्रभावित

चक्रवात तौकते ने गुजरात में काफी तबाही मचाई है. तूफान की वजह से 45 लोगों की जान चली गई. इसके साथ ही फसल को काफी नुकसान पहुंचा है.

गुजरात: चक्रवात से फसलों को भारी नुकसान
गुजरात: चक्रवात से फसलों को भारी नुकसान
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Published : May 20, 2021, 3:19 PM IST

अहमदाबाद : गुजरात में 45 लोगों की जान लेने वाले चक्रवात तौकते की वजह से खड़ी फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. किसानों ने कहा कि मुख्य रूप से गिर सोमनाथ और जूनागढ़ जैसे तटीय इलाकों में उगाए जाने वाले केसर प्रजाति के आम की फसल तथा राज्य के दूसरे इलाकों में नारियल और केले की फसल को भी खासा नुकसान पहुंचा है.

उन्होंने कहा कि जूनागढ़, गिर सोमनाथ तथा अमरेली और भावनगर के कुछ हिस्सों में नारियल तथा भरूच, तापी, वडोदरा, आणंद और खेड़ा के कुछ इलाकों समेत अन्य जिलों में केले की फसल को नुकसान के साथ ही गर्मियों की अन्य खड़ी फसलों को भी नुकसान हुआ है.

किसानों ने कहा कि जूनागढ़, गिर सोमनाथ और वलसाड जिलों में आम के सैकड़ों पेड़ उखड़ गए तथा उनमें लगे लगभग सभी आम चक्रवाती हवाओं की वजह से पेड़ से टूट कर जमीन पर गिर गए.

गिर सोमनाथ जिले के तलाला में 75 एकड़ के आम के बगीचे के मालिक किरीट पटेल ने कहा कि आम की केसर प्रजाति के लिए प्रसिद्ध जूनागढ़ व गिर सोमनाथ जिलों में चक्रवात की वजह से काफी नुकसान हुआ है. इन आमों को यहां से न सिर्फ बड़ी संख्या में देश के दूसरे हिस्सों में भेजा जाता था बल्कि विदेशों में भी निर्यात किया जाता था.

केसर आम के करीब 40 प्रतिशत पेड़ उखड़ गए

पटेल भाजपा नेता और तलाला कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने कहा, 'केसर आम के करीब 40 प्रतिशत पेड़ उखड़ गए हैं, जो बड़ा नुकसान है क्योंकि फसल के लिए एक पेड़ को तैयार करने में करीब 15 साल का वक्त लगता है. लगभग सभी आम पेड़ों से टूटकर जमीन पर गिर गए हैं और इन कच्चे आमों से उत्पादकों को कोई खास फायदा नहीं होने वाला.'

जूनागढ़ जिले के विसावदर के एक अन्य आम उत्पादक ने बताया, 'पेड़ पर एक भी आम नहीं बचा है. कई पेड़ उखड़ गए हैं. हमें उम्मीद है कि सरकार हमें कुछ सहायता उपलब्ध कराएगी.' ये इलाका भी आम की केसर प्रजाति के लिए प्रसिद्ध है.

उत्पादकों ने कहा कि आम की केसर और अलफांसो प्रजाति के लिये चर्चित वलसाड जिले में भी फसल को काफी नुकसान हुआ है.

केले की खेती करने वालों की हालत भी ज्यादा जुदा नहीं है. तेज हवाओं ने इस फल की पूरी फसल को बर्बाद कर दिया है.

राजकोट के उपलेटा में एक किसान ने कहा, 'यहां केले के 14000 पौधे थे जिनमें से नौ हजार पूरी तरह से उखड़कर बर्बाद हो गए हैं.'

एक अन्य किसान ने कहा कि उसके यहां 21 हजार पौधे थे जिनमें से 10 हजार चक्रवात के कारण पूरी तरह गिर गए. उसका कहना है कि यह चक्रवात ऐसे समय आया जब फसल लगभग तैयार थी.

उसने कहा कि पिछले साल भी कोरोना वायरस महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण उन्हें नुकसान हुआ था.

किसान नेता और गुजरात खेड़ुत समाज के अध्यक्ष सागर रबारी ने कहा, 'राज्य ने पिछले काफी समय में ऐसा चक्रवात नहीं देखा था जिसके कारण फसलों को इतना नुकसान हुआ हो.'

सीएम ने सर्वे कराने का दिया आश्वासन

मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने मंगलवार को किसानों को आश्वासन दिया था कि सरकार चक्रवात के कारण गर्मियों की फसलों, आम, नारियल और केलों के पौधों को हुए नुकसान के लिये तत्काल सर्वे कराएगी और उसके अनुरूप सहायता प्रदान की जाएगी.

पढ़ें- गुजरात में तौकते तूफान के कारण 45 लोगों की मौत

ग्रीष्मकालीन फसलों जैसे बाजरा, मूंग, उड़द, तिल तथा सब्जियां मुख्य रूप से सौराष्ट्र क्षेत्र में उगाई जाती हैं जबकि उत्तरी गुजरात के जिलों में बाजरा और मूंगफली उगाई जाती है.

अहमदाबाद : गुजरात में 45 लोगों की जान लेने वाले चक्रवात तौकते की वजह से खड़ी फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. किसानों ने कहा कि मुख्य रूप से गिर सोमनाथ और जूनागढ़ जैसे तटीय इलाकों में उगाए जाने वाले केसर प्रजाति के आम की फसल तथा राज्य के दूसरे इलाकों में नारियल और केले की फसल को भी खासा नुकसान पहुंचा है.

उन्होंने कहा कि जूनागढ़, गिर सोमनाथ तथा अमरेली और भावनगर के कुछ हिस्सों में नारियल तथा भरूच, तापी, वडोदरा, आणंद और खेड़ा के कुछ इलाकों समेत अन्य जिलों में केले की फसल को नुकसान के साथ ही गर्मियों की अन्य खड़ी फसलों को भी नुकसान हुआ है.

किसानों ने कहा कि जूनागढ़, गिर सोमनाथ और वलसाड जिलों में आम के सैकड़ों पेड़ उखड़ गए तथा उनमें लगे लगभग सभी आम चक्रवाती हवाओं की वजह से पेड़ से टूट कर जमीन पर गिर गए.

गिर सोमनाथ जिले के तलाला में 75 एकड़ के आम के बगीचे के मालिक किरीट पटेल ने कहा कि आम की केसर प्रजाति के लिए प्रसिद्ध जूनागढ़ व गिर सोमनाथ जिलों में चक्रवात की वजह से काफी नुकसान हुआ है. इन आमों को यहां से न सिर्फ बड़ी संख्या में देश के दूसरे हिस्सों में भेजा जाता था बल्कि विदेशों में भी निर्यात किया जाता था.

केसर आम के करीब 40 प्रतिशत पेड़ उखड़ गए

पटेल भाजपा नेता और तलाला कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने कहा, 'केसर आम के करीब 40 प्रतिशत पेड़ उखड़ गए हैं, जो बड़ा नुकसान है क्योंकि फसल के लिए एक पेड़ को तैयार करने में करीब 15 साल का वक्त लगता है. लगभग सभी आम पेड़ों से टूटकर जमीन पर गिर गए हैं और इन कच्चे आमों से उत्पादकों को कोई खास फायदा नहीं होने वाला.'

जूनागढ़ जिले के विसावदर के एक अन्य आम उत्पादक ने बताया, 'पेड़ पर एक भी आम नहीं बचा है. कई पेड़ उखड़ गए हैं. हमें उम्मीद है कि सरकार हमें कुछ सहायता उपलब्ध कराएगी.' ये इलाका भी आम की केसर प्रजाति के लिए प्रसिद्ध है.

उत्पादकों ने कहा कि आम की केसर और अलफांसो प्रजाति के लिये चर्चित वलसाड जिले में भी फसल को काफी नुकसान हुआ है.

केले की खेती करने वालों की हालत भी ज्यादा जुदा नहीं है. तेज हवाओं ने इस फल की पूरी फसल को बर्बाद कर दिया है.

राजकोट के उपलेटा में एक किसान ने कहा, 'यहां केले के 14000 पौधे थे जिनमें से नौ हजार पूरी तरह से उखड़कर बर्बाद हो गए हैं.'

एक अन्य किसान ने कहा कि उसके यहां 21 हजार पौधे थे जिनमें से 10 हजार चक्रवात के कारण पूरी तरह गिर गए. उसका कहना है कि यह चक्रवात ऐसे समय आया जब फसल लगभग तैयार थी.

उसने कहा कि पिछले साल भी कोरोना वायरस महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण उन्हें नुकसान हुआ था.

किसान नेता और गुजरात खेड़ुत समाज के अध्यक्ष सागर रबारी ने कहा, 'राज्य ने पिछले काफी समय में ऐसा चक्रवात नहीं देखा था जिसके कारण फसलों को इतना नुकसान हुआ हो.'

सीएम ने सर्वे कराने का दिया आश्वासन

मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने मंगलवार को किसानों को आश्वासन दिया था कि सरकार चक्रवात के कारण गर्मियों की फसलों, आम, नारियल और केलों के पौधों को हुए नुकसान के लिये तत्काल सर्वे कराएगी और उसके अनुरूप सहायता प्रदान की जाएगी.

पढ़ें- गुजरात में तौकते तूफान के कारण 45 लोगों की मौत

ग्रीष्मकालीन फसलों जैसे बाजरा, मूंग, उड़द, तिल तथा सब्जियां मुख्य रूप से सौराष्ट्र क्षेत्र में उगाई जाती हैं जबकि उत्तरी गुजरात के जिलों में बाजरा और मूंगफली उगाई जाती है.

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