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मोरबी हादसे पर सुनवाई, हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया निगम को ठहराया जिम्मेदार

मोरबी हादसे को लेकर गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस मामले पर कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए अधिकारियों से जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि पुल की मरम्मत से जुड़े कार्य को लेकर जिन प्रक्रियाओं का पालन करना था, लगता है कि उसका ठीक ढंग से पालन नहीं किया गया. पुल गिरने से 135 लोगों की मौत हो गई थी.

morbi bridge
मोरबी पुल
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Published : Nov 15, 2022, 12:30 PM IST

Updated : Nov 15, 2022, 1:30 PM IST

गांधीनगर : गुजरात हाईकोर्ट में मोरबी पुल हादसे पर सुनवाई चल रही है. कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया था. कोर्ट ने इस मामले पर अलग-अलग विभागों से जवाब मांगा था. इस हादसे में 135 लोगों की जानें चली गई थीं.

कोर्ट ने प्रथमदृष्टया स्थानीय निगम को जिम्मेदार ठहराया है.

  • The High Court prima facie held that the municipality defaulted to comply with the law and sought details of action taken.

    — ANI (@ANI) November 15, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

हाईकोर्ट ने पुल की मरम्मत का ठेका देने के तरीके की आलोचना की है. कोर्ट ने कहा कि मरम्मत कार्य के लिए टेंडर निकाला जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. सुनवाई मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार की बेंच कर रही है.

पुल पर अधिक संख्या में लोगों के चढ़ जाने की वजह से यह गिर गया. पुल गिरने से 56 बच्चों सहित 135 लोगों की मौत हो गई. कई लोगों को बचाया भी गया. केबल ब्रिज की क्षमता 100 लोगों की थी, हालांकि, पुल पर करीब 400 से 500 लोग आए और अन्य आंकड़ों के अनुसार, चार दिनों में 12,000 लोग पुल पर गए.

1880 में बनवाया गया था पुल : मोरबी में मच्छु नदी पर इस पुल का उद्घाटन मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने 20 फरवरी, 1879 को किया था. उस वक्त इसे बनाने में करीब 3.5 लाख रुपये खर्च हुए थे. इस पुल के निर्माण का सारा सामान ब्रिटेन से आया था. यह पुल 1880 में बनकर तैयार हुआ था. इस पुल की लंबाई 765 फीट थी. आसान शब्दों में कहें तो यह पुल 1.25 मीटर चौड़ा और 230 मीटर लंबा था. यह पुल भारत की आजादी के संघर्ष का गवाह भी रहा है. यह भारत के सबसे पुराने पुलों में से एक था, इसलिए यह टूरिस्ट प्लेस बन चुका था.

6 महीने की मरम्मत के बाद खोला गया था : यह पुल पिछले 6 महीने से मरम्मत की वजह से लोगों के लिए बंद था. जीर्णोद्धार के बाद इसे शुरू किया गया था. पुल की मरम्मत का कार्य इंजीनियरों, ठेकेदारों और एक समूह के द्वारा पूरा किया गया था. इन 6 महीनों में पुल की मरम्मत पर करीब 2 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. वहीं जिंदल कंपनी ने इस हैंगिंग ब्रिज के नवीनीकरण के लिए प्राथमिक सामग्री का प्रोडक्शन किया. वहीं पुल के लिए एक विशिष्ट गुणवत्ता की एल्यूमीनियम शीट भी बनाई गई थी जो हल्की होती है.

गांधीनगर : गुजरात हाईकोर्ट में मोरबी पुल हादसे पर सुनवाई चल रही है. कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया था. कोर्ट ने इस मामले पर अलग-अलग विभागों से जवाब मांगा था. इस हादसे में 135 लोगों की जानें चली गई थीं.

कोर्ट ने प्रथमदृष्टया स्थानीय निगम को जिम्मेदार ठहराया है.

  • The High Court prima facie held that the municipality defaulted to comply with the law and sought details of action taken.

    — ANI (@ANI) November 15, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

हाईकोर्ट ने पुल की मरम्मत का ठेका देने के तरीके की आलोचना की है. कोर्ट ने कहा कि मरम्मत कार्य के लिए टेंडर निकाला जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. सुनवाई मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार की बेंच कर रही है.

पुल पर अधिक संख्या में लोगों के चढ़ जाने की वजह से यह गिर गया. पुल गिरने से 56 बच्चों सहित 135 लोगों की मौत हो गई. कई लोगों को बचाया भी गया. केबल ब्रिज की क्षमता 100 लोगों की थी, हालांकि, पुल पर करीब 400 से 500 लोग आए और अन्य आंकड़ों के अनुसार, चार दिनों में 12,000 लोग पुल पर गए.

1880 में बनवाया गया था पुल : मोरबी में मच्छु नदी पर इस पुल का उद्घाटन मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने 20 फरवरी, 1879 को किया था. उस वक्त इसे बनाने में करीब 3.5 लाख रुपये खर्च हुए थे. इस पुल के निर्माण का सारा सामान ब्रिटेन से आया था. यह पुल 1880 में बनकर तैयार हुआ था. इस पुल की लंबाई 765 फीट थी. आसान शब्दों में कहें तो यह पुल 1.25 मीटर चौड़ा और 230 मीटर लंबा था. यह पुल भारत की आजादी के संघर्ष का गवाह भी रहा है. यह भारत के सबसे पुराने पुलों में से एक था, इसलिए यह टूरिस्ट प्लेस बन चुका था.

6 महीने की मरम्मत के बाद खोला गया था : यह पुल पिछले 6 महीने से मरम्मत की वजह से लोगों के लिए बंद था. जीर्णोद्धार के बाद इसे शुरू किया गया था. पुल की मरम्मत का कार्य इंजीनियरों, ठेकेदारों और एक समूह के द्वारा पूरा किया गया था. इन 6 महीनों में पुल की मरम्मत पर करीब 2 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. वहीं जिंदल कंपनी ने इस हैंगिंग ब्रिज के नवीनीकरण के लिए प्राथमिक सामग्री का प्रोडक्शन किया. वहीं पुल के लिए एक विशिष्ट गुणवत्ता की एल्यूमीनियम शीट भी बनाई गई थी जो हल्की होती है.

Last Updated : Nov 15, 2022, 1:30 PM IST

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