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Aaradhya Bachchan: अमिताभ बच्चन की पोती आराध्या के वीडियो पोस्ट करने पर रोक, जानें मामला

अमिताभ बच्चन की पोती आराध्या बच्चन की याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान आराध्या बच्चन के मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य के दावों वाले वीडियो पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए गए.

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आराध्या बच्चन
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Published : Apr 20, 2023, 12:53 PM IST

Updated : Apr 20, 2023, 3:05 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने यूट्यूब चैनलों को आराध्या बच्चन के मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य के दावों वाले वीडियो साझा करने पर रोक लगा दी है. फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन की 11 वर्षीय पोती आराध्या की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को जस्टिस सी. हरिशंकर की पीठ ने यह आदेश दिया. याचिका में उन्होंने खुद के नाबालिग होने के चलते यूट्यूब चैनल बॉलीवुड टाइम्स पर अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समेत जीवन के बारे में कथित फर्जी खबर की रिपोर्टिंग करने का आरोप लगाया था. साथ ही रिपोर्टिंग पर रोक लगाने की मांग की थी.

न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने बच्चन की एक याचिका पर नोटिस जारी कर आराध्या के ऐसे किसी भी वीडियो को प्रकाशित, अपलोड या प्रसारित करने पर भी रोक लगा दी है, जो पहले के यूआरएल की विषय वस्तु बनाने वाले वीडियो के समान या सामग्री में समान हैं. आदेश में स्पष्ट किया गया है कि इसमें वादी की शारीरिक स्थिति शामिल है. अन्य शब्दों में प्रतिवादियों को वादी के मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी मामले को इंटरनेट पर उपलब्ध किसी भी मंच पर प्रसारित करने से पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाता है. वादी आराध्या और अभिषेक बच्चन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने दिल्ली हाईकोर्ट में दलीलें पेश की.

गूगल को वीडियो क्लिप हटाने का निर्देश: इसके अलावा कोर्ट ने गूगल को प्रतिवादियों की पहचान को प्रकट करने और शूट में उल्लेखित यूआरएल को निष्क्रिय करने के लिए तत्काल कदम उठाने का भी निर्देश दिया गया. गूगल द्वारा अपने प्लेटफॉर्म पर अपलोड किए गए किसी अन्य वीडियो क्लिप को अभियोगी द्वारा अपने नोटिस में लाने पर गूगल उन्हें हटाने के लिए तत्काल कदम उठाएगा.

अदालत ने केंद्र सरकार को सभी सामग्री के साथ-साथ समान सामग्री वाले किसी अन्य समान वीडियो या क्लिप तक पहुंच को अवरुद्ध करने का भी आदेश दिया. साथ ही यूट्यूब के मालिक गूगल को अतिरिक्त रूप से सूचना प्रौद्योगिकी (डिजिटल मीडिया नैतिकता के लिए इंटरमीडिएट दिशानिर्देश) नियमों के अनुपालन को दर्शाने वाली अपनी नीति को विस्तार से निर्धारित करने का निर्देश दिया.

बच्चन परिवार ने इसलिए दायर की थी याचिकाः बच्चन परिवार ने याचिका में तर्क दिया कि उन्हें यूट्यूब पर कई वीडियो मिले हैं, जिनमें दावा किया गया है कि आराध्या गंभीर रूप से अस्वस्थ थी और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. एक वीडियो में तो यहां तक ​​दावा किया गया कि उसकी मौत हो गई है. वीडियो में आगे आरोप लगाया गया है कि बच्चन परिवार ने बच्चे को शीघ्र चिकित्सा प्रदान करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. जबकि, आराध्या अच्छे स्वास्थ्य में है और अस्पताल में भर्ती नहीं हुई है.

अदालत को यह भी बताया गया कि आराध्या और उसके परिवार के सदस्यों की तस्वीरों से छेड़छाड़ की गई और गलत सूचना प्रसारित करने और मुनाफा कमाने के लिए इसका दुरुपयोग किया गया. एक उदाहरण में तस्वीरों को एक लाश में बदल दिया गया था. वादी आराध्या की ओर से यह भी बताया गया कि इन वीडियो को हटाने के लिए उनकी ओर से यूट्यूब को एक कानूनी नोटिस भेजा गया था. इस पर यूट्यूब ने जवाब दिया कि वे मानहानि के आरोपों पर अपने मंच पर पोस्ट की गई सामग्री को नहीं हटाते हैं. यूट्यूब की ओर से कहा गया कि अवैध वीडियो अपलोड करने वालों के संपर्क विवरण गुमनाम या अप्राप्य हैं, वे उन्हें अदालत के आदेश के बाद ही उपलब्ध करा सकते हैं.

ये भी पढ़ें: Apple Store in Delhi: मुंबई के बाद दिल्ली में खुला एप्पल का दूसरा स्टोर, टिम कुक ने किया उद्घाटन

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने यूट्यूब चैनलों को आराध्या बच्चन के मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य के दावों वाले वीडियो साझा करने पर रोक लगा दी है. फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन की 11 वर्षीय पोती आराध्या की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को जस्टिस सी. हरिशंकर की पीठ ने यह आदेश दिया. याचिका में उन्होंने खुद के नाबालिग होने के चलते यूट्यूब चैनल बॉलीवुड टाइम्स पर अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समेत जीवन के बारे में कथित फर्जी खबर की रिपोर्टिंग करने का आरोप लगाया था. साथ ही रिपोर्टिंग पर रोक लगाने की मांग की थी.

न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने बच्चन की एक याचिका पर नोटिस जारी कर आराध्या के ऐसे किसी भी वीडियो को प्रकाशित, अपलोड या प्रसारित करने पर भी रोक लगा दी है, जो पहले के यूआरएल की विषय वस्तु बनाने वाले वीडियो के समान या सामग्री में समान हैं. आदेश में स्पष्ट किया गया है कि इसमें वादी की शारीरिक स्थिति शामिल है. अन्य शब्दों में प्रतिवादियों को वादी के मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी मामले को इंटरनेट पर उपलब्ध किसी भी मंच पर प्रसारित करने से पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाता है. वादी आराध्या और अभिषेक बच्चन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने दिल्ली हाईकोर्ट में दलीलें पेश की.

गूगल को वीडियो क्लिप हटाने का निर्देश: इसके अलावा कोर्ट ने गूगल को प्रतिवादियों की पहचान को प्रकट करने और शूट में उल्लेखित यूआरएल को निष्क्रिय करने के लिए तत्काल कदम उठाने का भी निर्देश दिया गया. गूगल द्वारा अपने प्लेटफॉर्म पर अपलोड किए गए किसी अन्य वीडियो क्लिप को अभियोगी द्वारा अपने नोटिस में लाने पर गूगल उन्हें हटाने के लिए तत्काल कदम उठाएगा.

अदालत ने केंद्र सरकार को सभी सामग्री के साथ-साथ समान सामग्री वाले किसी अन्य समान वीडियो या क्लिप तक पहुंच को अवरुद्ध करने का भी आदेश दिया. साथ ही यूट्यूब के मालिक गूगल को अतिरिक्त रूप से सूचना प्रौद्योगिकी (डिजिटल मीडिया नैतिकता के लिए इंटरमीडिएट दिशानिर्देश) नियमों के अनुपालन को दर्शाने वाली अपनी नीति को विस्तार से निर्धारित करने का निर्देश दिया.

बच्चन परिवार ने इसलिए दायर की थी याचिकाः बच्चन परिवार ने याचिका में तर्क दिया कि उन्हें यूट्यूब पर कई वीडियो मिले हैं, जिनमें दावा किया गया है कि आराध्या गंभीर रूप से अस्वस्थ थी और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. एक वीडियो में तो यहां तक ​​दावा किया गया कि उसकी मौत हो गई है. वीडियो में आगे आरोप लगाया गया है कि बच्चन परिवार ने बच्चे को शीघ्र चिकित्सा प्रदान करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. जबकि, आराध्या अच्छे स्वास्थ्य में है और अस्पताल में भर्ती नहीं हुई है.

अदालत को यह भी बताया गया कि आराध्या और उसके परिवार के सदस्यों की तस्वीरों से छेड़छाड़ की गई और गलत सूचना प्रसारित करने और मुनाफा कमाने के लिए इसका दुरुपयोग किया गया. एक उदाहरण में तस्वीरों को एक लाश में बदल दिया गया था. वादी आराध्या की ओर से यह भी बताया गया कि इन वीडियो को हटाने के लिए उनकी ओर से यूट्यूब को एक कानूनी नोटिस भेजा गया था. इस पर यूट्यूब ने जवाब दिया कि वे मानहानि के आरोपों पर अपने मंच पर पोस्ट की गई सामग्री को नहीं हटाते हैं. यूट्यूब की ओर से कहा गया कि अवैध वीडियो अपलोड करने वालों के संपर्क विवरण गुमनाम या अप्राप्य हैं, वे उन्हें अदालत के आदेश के बाद ही उपलब्ध करा सकते हैं.

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Last Updated : Apr 20, 2023, 3:05 PM IST
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