पटना: आज यूट्यूबर मनीष कश्यप की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी रासुका के तहत मामला दर्ज होने के मामले में उनको राहत नहीं मिली. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए राहत देने से साफ इंकार कर दिया. इसके साथ ही सभी एफआईआर को क्लब करने की याचिका को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया.
ये भी पढ़ें: Manish Kashyap Case: मनीष कश्यप को लगा झटका, मदुरई कोर्ट से नहीं मिली राहत
मनीष कश्यप को सुप्रीम कोर्ट की फटकार: यूट्यूबर मनीष कश्यप की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने उनको फटकार लगाई और तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, "तमिलनाडु एक स्थिर राज्य है. आप अशांति फैलाने के लिए कुछ भी प्रसारित कर रहे हैं. हम आपकी याचिका पर विचार नहीं कर सकते हैं."
17 मई तक जेल में रहेंगे मनीष कश्यप: 4 मई को मुदुरै कोर्ट ने सुनवाई के बाद उनकी न्यायिक हिरासत 17 मई तक के लिए बढ़ा दी थी. जिसके बाद उनको मदुरै सेंट्रल जेल में रखा गया है. मनीष ने 18 मार्च को बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के जगदीशपुर ओपी में सरेंडर किया था. जिसके बाद पहले आर्थिक अपराध इकाई ने उनसे पूछताछ की, फिर मदुरै पुलिस उन्हें अपने साथ तमिलनाडु ले आई. बाद में अप्रैल महीने में उन पर रासुका लगा दिया गया.
मनीष के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज: यूट्यूबर मनीष कश्यप के खिलाफ बिहार और तमिलनाडु में कई मुकदमे दर्ज हैं. तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों पर कथित हमले का फर्जी वीडियो शेयर करने के आरोप में जेल में बंद मनीष के खिलाफ तमिलनाडु में छह और बिहार में तीन प्राथमिकी दर्ज हैं. पिछले महीने उनको रासुका के तहत हिरासत में लिया गया था. वहां की राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि मनीष ने दक्षिणी राज्यों में बिहारियों पर हमले का फर्जी वीडियो प्रसारित कर लोक व्यवस्था और राष्ट्रीय अखंडता में खलल डाला है. केस दर्ज करने का कोई राजनीतिक मकसद नहीं है.