पटनाः बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के मानहानि मामले में अहमदाबाद के अपर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट डीजे परमार की अदालत में तीसरी बार सुनवाई हुई. ये सुनवाई भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत गुजरात के सामाजिक कार्यकर्ता और व्यवसायी हरेश मेहता की याचिका पर हुई है. सोमवार को जहां एक और गवाह ने बयान दर्ज कर अदालत में कहा कि तेजस्वी के बयान से ठेस पहुंची है तो वहीं एक न्यूज चैनल की तरफ से संवाददाता ने न्यूज चैनल पर प्रसारित तेजस्वी के बयान को सही बताया है. इसके बाद 65बीं का सर्टिफिकेट भी कोर्ट में जमा कराया गया. 23 जून को मामले में अगली सुनवाई होगी.
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क्या है मानहानि का पूरा मामलाः दरअसल तेजस्वी यादव ने हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी का नाम इंटरपोल के 'रेड नोटिस' से हटाए जाने के बाद गुजरातियों को ठग कहा था. उन्होंने पटना में कहा था कि मौजूदा हालात में देखें तो सिर्फ गुजराती ही ठग होते हैं. उन्हें भी माफ कर दिया जाता है. इस बयान के बाद अहमदाबाद के कारोबारी हरेश मेहता ने अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट डीजे परमार की अदालत में तेजस्वी के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी. 21 मार्च को तेजस्वी यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत मामला दर्ज किया गया. हालांकि तेजस्वी ने अपनी सफाई में कहा था कि उन्होंने सभी गुजरातियों को ठग नहीं कहा था.
राहुल गांधी के बाद अब तेजस्वी पर टिकी निगाहें: आपको बता दें कि तेजस्वी यादव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी मानहानी के एक मामले में सूरत की कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई है. इस सजा के बाद राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ा है. दरअसल उन्होंने कर्नाटक की एक चुनावी सभा में कहा था कि 'सभी मोदी सरनेम वाले चोर होते हैं'. राहुल गांधी को मिली सजा के बाद लोगों की निगाहें अब तेजस्वी यादव पर टिकी है, ये केस ऐसे समय चल रहा है, जब सभी पार्टियां 2024 के आम चुनाव को लेकर तैयारियों में जुटी है. विपक्षी एकता की पुरजोर कोशिश हो रही है, जिसमें तेजस्वी यादव की भी अहम भुमिका है. पटना में 23 जून को विपक्षी एकता को लेकर एक बड़ी बैठक भी होने वाली है. ऐसे में अगर तेजस्वी यादव को समन भेजा जाता है, तो देश की राजनीति में बड़ी हलचल पैदा हो सकती है.