झारसुगुड़ा: स्वास्थ्य मंत्री नब किशोर दास (Health Minister Naba Kishore Das) की सनसनीखेज हत्या के लगभग चार महीने बाद ओडिशा क्राइम ब्रांच ने शुक्रवार को झारसुगुड़ा जेएमएफसी कोर्ट में मामले में 543 पन्नों की प्रारंभिक चार्जशीट पेश की.
मुख्य आरोपी गोपाल दास के खिलाफ आर्म्स एक्ट की धारा 307, 302 और 27 (1) और पुरानी रंजिश के चलते हत्या का आरोप लगाया गया है. यह चश्मदीदों के बयानों और बर्खास्त एएसआई के खिलाफ वैज्ञानिक टीम की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसने नब किशोर दास पर ट्रिगर खींच दिया था, जब वह 29 जनवरी को एक आधिकारिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जा रहे थे.
चार्जशीट में क्या?: चार्जशीट से पता चला है कि गोपाल दास ने मंत्री पर व्यक्तिगत द्वेष के कारण हमला किया. एलवीए और नार्को परीक्षणों में इसकी पुष्टि हुई. यह और अजीब बात है कि आरोपी ने अकेले ही हत्या की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया. किसी और का कोई षड्यंत्र या समर्थन नहीं था.
उसे नब दास और समर्थकों से खतरा महसूस हुआ. उसे अपनी जान का डर था इसलिए धीरे-धीरे उसने हत्या करने का मन बना लिया. विशेष रूप से विपक्षी भाजपा और कांग्रेस मामले में साजिश के एंगल पर जोर दे रहे थे.
चार्जशीट में आगे कहा गया है कि उसने अपने होश में और पूर्व नियोजित तरीके से अपराध किया है. 'गोपाल दास की मानसिक स्थिति बिल्कुल सामान्य थी और कोई असामान्यता नहीं थी. उसने जांच में सहयोग किया और पूछे गए सभी सवालों का ठोस तरीके से जवाब दिया.'
झारसुगुड़ा जिले में मंत्री के कार्यक्रम के लिए गोपाल दास को 'यातायात निकासी ड्यूटी के लिए तैनात किया गया था.' उसने अपनी 9 एमएम सर्विस पिस्टल से उन पर बहुत करीब से गोली चला दी.
मंत्री को भुवनेश्वर ले जाया गया जहां अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई. एक गोली उनके शरीर के आर-पार हो गई थी, जिससे हार्ट और बाएं फेफड़े में चोट लगी और ज्यादा खून बह गया.
आरोपी 2013 में झारसुगुड़ा जिले में तैनात था, जबकि उसका परिवार बेरहामपुर के बाहरी इलाके जलेश्वरखंडी में रहता था. इस घटना के बाद उसकी पत्नी जयंती ने पत्रकारों को बताया कि पति का पिछले 7-8 सालों से 'दिमागी परेशानी' के कारण इलाज किया जा रहा था. हालांकि इसकी पुष्टि पुलिस जांच में नहीं हुई है.
झारसुगुड़ा जिले की एक सत्र अदालत ने हालांकि मेडिकल बोर्ड का हवाला देते हुए मूल्यांकन के लिए बेंगलुरु में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान में ले जाने के सीबी के अनुरोध को ठुकरा दिया था, जिसमें राज्य द्वारा संचालित एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के विशेषज्ञ शामिल थे. रिपोर्ट से पता चला कि वह मानसिक रूप से स्वस्थ है.
ओडिशा पुलिस में अपनी सेवा के दौरान, गोपाल दास को अनुकरणीय प्रदर्शन के लिए 18 प्रशस्ति पत्र और नौ पुरस्कार मिले हैं.