हैदराबाद : बीमा कंपनियां आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक आयु वालों को नई पॉलिसी जारी करने के लिए कई नियमों का पालन करती हैं. पहले से मौजूद बीमारियों के कारण बुजुर्गों के लिए पॉलिसी लेना कभी-कभी मुश्किल होता है. इसलिए, हमेशा सलाह दी जाती है कि स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को समय पर रिन्यूअल कराना चाहिए. कई इंश्योरेंस कंपनियां एक निश्चित उम्र के बाद पॉलिसी भी जारी नहीं करती हैं. इसके अलावा रिन्यूअल के लिए भी ऐज लिमिट यानी आयु सीमा तय कर देती है. इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस की पॉलिसी चुनते समय जीवन के लिए ऐसी कंपनी का चुनाव करना चाहिए, जो 75-80 वर्ष तक आपकी सेहत का ख्याल रखे. अन्यथा जरूरत के समय आपका हेल्थ इंश्योरेंस बेकार ही साबित होगा.
कितना इंतजार करना पड़ेगा?
पॉलिसी जारी करने के बाद हेल्थ इंश्योरेंस देने वाली कंपनी पहले से मौजूद बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड निर्धारित करते हैं. यह आमतौर पर दो से चार साल तक रहता है. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय वरिष्ठ नागरिकों के पास वेटिंग पीरियड का लंबा होना अच्छा नहीं है, इसलिए ऐसी पॉलिसी चुनें जो जिसमें वेटिंग पीरियड कम हो और बीमारियों की लिस्ट छोटी हो.
अपवाद क्या हैं? : पॉलिसी लेते समय आपको स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए कि क्या लागू है और क्या लागू नहीं है. कभी-कभी इंश्योरेंस कंपनी इलाज के कई दावों को स्थायी रूप से स्वीकार नहीं कर सकती है. पॉलिसी लेते समय इस संबंध में सतर्क रहना चाहिए. कंपनी के नियमों के हिसाब से मिलने वाली सुविधा और नहीं मिलने वाले लाभों के बारे में जांच करना भी जरूरी है. क्योंकि इंश्योरेंस कंपनी अस्पताल में भर्ती होने के बाद आपके दावे को अस्वीकार कर देती है तो समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
हालांकि पॉलिसी वयस्कों को ही ऑफर की जाती है मगर बीमा कंपनियां कुछ नियमों को लागू करती हैं. जिनमें से एक मुख्य रूप से सह-भुगतान (co-payment) है. पॉलिसीधारक को इलाज की कुल लागत का एक बड़ा हिस्सा वहन करना पड़ता है. पॉलिसी लेने से पहले सुनिश्चित करें कि डाउन पेमेंट कम हो. इसे अनकंडिशनल पॉलिसी को लेना चाहिए, हालांकि इसके प्रीमियम में मामूली बढ़ोतरी हो जाती है.
जान लें हॉस्पिटल में एडमिट करने के नियम
कई पॉलिसी में सब लिमिट्स होती हैं. जैसे किसी खास बीमारी के इलाज के रकम, हॉस्पिटल रूम रेंट, आईसीयू फीस के लिए राशि तय होती है. इसके अलावा सर्जरी पर भी कुछ प्रतिबंध होते हैं. कंपनी के अलावा पॉलिसी लेने वालों को भी एक निश्चित राशि खर्च करनी पड़ती है. उदाहरण के लिए, यदि आपके पास 5 लाख रुपये की पॉलिसी है, तो कंपनी कह सकती हैं कि वह रूम रेंट के मूल्य का केवल एक प्रतिशत भुगतान करेंगी यानी 5,000 रुपये. इससे ऊपर की रकम का भुगतान पॉलिसीधारक को करना होगा. बुजुर्गों और व्यस्कों के लिए पॉलिसी चुनते समय इन नियमों के बारे में पता करना जरूरी है.
बुजुर्गों को नियमित तौर से हेल्थ चेकअप और मेडिकल जांच की जरूरत होती है. कई बीमा कंपनियां कई साल तक क्लेम का दावा नहीं करने पर हेल्थ चेकअप मुफ्त में करने का ऑफर देती है. इसके अलावा कंपनी रीइंबर्समेंट के जरिये भी खर्चों की भरपाई करती है, इसलिए, सीनियर सिटीजंस के लिए ऐसी पॉलिसी चुने, जो फ्लेक्सिबल हो.
क्या कोई नो क्लेम बोनस है?
यदि एक वर्ष के लिए कोई क्लेम नहीं किया जाता है, तो कई कंपनी नो क्लेम बोनस (एनसीबी) ऑफर करती है. लाभों में प्रीमियम को कम करना या पॉलिसी मूल्य को 10-100% तक बढ़ाना शामिल है. विचार करें कि एनसीबी लाभ कैसे प्रदान किए जाते हैं. प्रीमियम में कमी के बजाय क्या पॉलिसी का कवर मूल्य बढ़ाया जा सकता है. नो क्लेम बोनस के कारण कुछ कंपनियां 60 साल की उम्र में कम प्रीमियम वसूल करती हैं. लेकिन, उम्र के साथ प्रीमियम बढ़ता जाता है. पॉलिसी का फैसला अलग-अलग उम्र के लोगों के लिए पहले से प्रीमियम देखकर ही लिया जाना चाहिए.
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