मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने अदालतों में लंबी छुट्टियों की प्रथा को चुनौती देने वाली एक याचिका पर मंगलवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा.
न्यायमूर्ति एस वी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति एस जी दिगे की पीठ ने कहा कि वादी की अपेक्षा वैध है, लेकिन न्यायाधीशों की कमी भी एक मुद्दा है एवं उसका भी समाधान करने की जरूरत है.
अदालत ने कहा, 'पीठों का गठन करने के लिए आप कहां से न्यायाधीश लाएंगे? वादी की अपेक्षा वैध है और हम (उसे) समझते हैं, और कठिन स्थिति भी है, लेकिन हम क्या कर सकते हैं.'
पीठ सबीना लकड़ावाला नामक एक वादी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उच्च न्यायालय में लंबे अवकाशों को चुनौती दी गई है और दावा किया गया है कि यह वादियों के अधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि इंसाफ पाने के उनके अधिकारों पर असर पड़ता है.
पीठ ने कहा कि इस अर्जी पर बीसीआई की राय प्रासंगिक होगी. उच्च न्यायालय में साल में तीन बार अवकाश होता है: ग्रीष्मकालीन अवकाश (एक महीना), दिवाली अवकाश (दो सप्ताह) और क्रिसमस अवकाश (एक सप्ताह) . इन छुट्टियों के दौरान अत्यावश्यक न्यायिक कार्य के लिए विशेष अवकाशकालीन पीठ उपलब्ध रहती है.
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(पीटीआई-भाषा)