नई दिल्ली : उच्च न्यायालय ने वाट्सएप की नई निजता नीति को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर बुधवार को केंद्र से जवाब मांगा. मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने याचिका पर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा वाट्सएप को नोटिस जारी कर मार्च तक जवाब देने को कहा है.
याचिकाकर्ता सीमा सिंह, मेघान सिंह और विक्रम सिंह ने दलील दी है कि नई निजता नीति, भारतीय डेटा संरक्षण और निजता कानूनों में 'खामियों' का संकेत देती है.
उन्होंने अदालत से यह सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय एवं वाट्सएप को निर्देश देने का अनुरोध किया है कि इस संदेशवाहक एप का इस्तेमाल कर रहे लोगों को अपनी निजी सूचनाएं उसकी मूल कंपनी फेसबुक या उसकी अन्य कंपनियों के साथ साझा नहीं करने का विकल्प मिले.
उन्होंने मंत्रालय को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया है कि वह भारत में संचालन करने वाले सभी एप एवं संगठनों से नागरिकों की निजता की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश एवं विनियम बनाएं.
मंत्रालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल चेतन शर्मा ने पीठ से कहा कि ऐसा ही मामला एकल न्यायाधीश के समक्ष लंबित है और वहां सरकार कह चुकी है कि वह इस मुद्दे पर गौर कर रही है एवं उसने इस संबंध में वाट्सएप से सूचनाएं भी मांगी हैं.
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याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा, वाट्सएप समय-समय पर अपनी निजता नीति बदलती रही है और उपयोगर्ताओं को उसे नहीं स्वीकार करने का विकल्प सदैव दिया जाता रहा है परंतु एप के उपयोग से वंचित नहीं किया गया.
उन्होंने कहा कि चार जनवरी को जो नई नीति आई, उनमें भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए उन्हें मानना अनिवार्य कर दिया गया है, अन्यथा वे इस एप का उपयोग नहीं कर पाएंगे, जबकि यूरोपीय उपयोगकर्ताओं के संबंध में ऐसी बात नहीं है.