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ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के मामले में केंद्र, राज्य तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करे

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Published : Aug 19, 2021, 4:02 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के संपूर्ण परिसर के पुरातत्व सर्वेक्षण पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है. बता दें कि 8 अप्रैल को, वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आशुतोष तिवारी ने ज्ञानवापी परिसर के एक पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि इसकी आवश्यकता उन दलीलों पर निर्णय लेने के लिए है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राटों द्वारा आंशिक रूप से हिंदू तीर्थ ध्वस्त करने के बाद किया गया था.

ज्ञानवापी मस्जिद
ज्ञानवापी मस्जिद

प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के संपूर्ण परिसर के पुरातत्व सर्वेक्षण पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर केंद्र और राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को बुधवार को कहा.

न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड और ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति- अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा दायर दो याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया अदालत ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 28 सितंबर तय की.

इससे पूर्व, अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस मामले में पक्षकार बनाने के याचिकाकर्ताओं के अनुरोध को स्वीकार करते हुए इस याचिका में उन्हें प्रतिवादी बनाया था. याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, वाराणसी की स्थानीय अदालत ने आठ अप्रैल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का जो आदेश दिया था वह अवैध और उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है.

याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी की अदालत में लंबित मुकदमा विचार करने योग्य है या नहीं, इस पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था, लेकिन वाराणसी की अदालत दूसरे पक्षकार (मंदिर न्यास) की दलीलें सुनती रही है.

यह भी पढ़ें- ज्ञानवापी मस्जिद मामला: पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के खिलाफ दाखिल निगरानी याचिका ली गई वापस

उल्लेखनीय है कि वाराणसी की अदालत ने आठ अप्रैल, 2021 को दो हिंदू, दो मुस्लिम सदस्यों और एक पुरातत्व विशेषज्ञ की पांच सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया था जो सदियों पुरानी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के समग्र भौतिक सर्वेक्षण का काम देखेगी.

इस मामले में दलील दी गई थी कि वाराणसी में यह मस्जिद, मंदिर के हिस्से में बनाई गई है मूल रूप से मुकदमा 1991 में वाराणसी की जिला अदालत में दायर किया गया था जिसमें उस प्राचीन मंदिर को पूरी तरह से बहाल करने का अनुरोध किया गया जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद है.

प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के संपूर्ण परिसर के पुरातत्व सर्वेक्षण पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर केंद्र और राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को बुधवार को कहा.

न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड और ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति- अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा दायर दो याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया अदालत ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 28 सितंबर तय की.

इससे पूर्व, अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस मामले में पक्षकार बनाने के याचिकाकर्ताओं के अनुरोध को स्वीकार करते हुए इस याचिका में उन्हें प्रतिवादी बनाया था. याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, वाराणसी की स्थानीय अदालत ने आठ अप्रैल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का जो आदेश दिया था वह अवैध और उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है.

याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी की अदालत में लंबित मुकदमा विचार करने योग्य है या नहीं, इस पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था, लेकिन वाराणसी की अदालत दूसरे पक्षकार (मंदिर न्यास) की दलीलें सुनती रही है.

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उल्लेखनीय है कि वाराणसी की अदालत ने आठ अप्रैल, 2021 को दो हिंदू, दो मुस्लिम सदस्यों और एक पुरातत्व विशेषज्ञ की पांच सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया था जो सदियों पुरानी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के समग्र भौतिक सर्वेक्षण का काम देखेगी.

इस मामले में दलील दी गई थी कि वाराणसी में यह मस्जिद, मंदिर के हिस्से में बनाई गई है मूल रूप से मुकदमा 1991 में वाराणसी की जिला अदालत में दायर किया गया था जिसमें उस प्राचीन मंदिर को पूरी तरह से बहाल करने का अनुरोध किया गया जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद है.

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