हाथरस : अक्सर बड़े अफसर अपने बच्चों का दाखिला हाई-फाई स्कूल में कराते हैं. वे बच्चों को हर तरह की आधुनिक सुविधाएं देना चाहते हैं, लेकिन जिले की डीएम ने अपने बेटे का दाखिला आंगनबाड़ी केंद्र में कराकर लोगों के सामने एक नजीर पेश की है. उनका ढाई साल का बेटा पिछले तीन महीने से आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ने जा रहा है. वह आम बच्चों के साथ खेलता-कूदता है. उनके साथ मिड-डे मील भी खाता है. सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों के प्रति लोगों का नजरिया बदलने के लिए डीएम की यह कोशिश सुर्खियों में है. लोग उनकी तारीफ भी कर रहे हैं.
तीन महीने से नियमित स्कूल जा रहा अभिजीत : जिलाधिकारी अर्चना वर्मा के एक बेटा व बेटी हैं. बेटा अभिजीत ढाई साल का है. डीएम के पति आईआरएस अफसर हैं. उनकी तैनाती किसी दूसरे जिले में है. डीएम ने अभिजीत का दाखिला किसी नेशनल या इंटरनेशनल स्कूल में न कराकर कलेक्ट्रेट से थोड़ी दूरी पर स्थित गांव दर्शन के एक आंगनबाड़ी केंद्र में कराया है. अभिजीत तीन महीने से नियमित स्कूल जा रहा है. वह केंद्र के अन्य बच्चों के साथ खेलता है. इतना ही नहीं वह बच्चों के साथ सादगी के साथ बैठकर मिड-डे मिल भी खाता है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ओमप्रकाशी ने बताया कि डीएम मैडम का यह सार्थक प्रयास है. केंद्र में इस समय कुल 34 बच्चे पढ़ते हैं. खास बात यह है कि अभिजीत के दाखिले के बाद किसी को बताया नहीं गया कि वह डीएम का बेटा है. केंद्र की व्यवस्था में किसी तरह का बदलाव भी नहीं कराया गया. बाद में उन्हें पता चला कि अभिजीत डीएम का बेटा है तो काफी अच्छा लगा.
डीएम की पहल से अभिभावकों में आई जागरूकता : जिला कार्यक्रम अधिकारी धीरेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि जिले भर में 1712 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. इनमें डेढ़ लाख बच्चे पंजीकृत हैं. दर्शना के आंगनबाड़ी केन्द्र में डीएम का बेटा अभिजीत पढ़ता है. वह भी अन्य बच्चों की तरह वहां पढ़ाई करता है और खाना खाता है. अभिजीत के केंद्र पर जाने से अन्य अभिभावकों में भी जागरूकता आई है. केंद्र में पहले 27- 28 बच्चे पढ़ने जाते थे. अब इनकी संख्या 34 हो चुकी है. आगामी समय इसमें और इजाफा हो सकता है. वहीं पूरे शहर के लोग डीएम की इस पहल की सराहना कर रहे हैं. उनका कहना है अगर सभी आईपीएस या आईएएस अफसरों की सोच डीएम अर्चना वर्मा की तरह हो तो काफी बदलाव लाया जा सकता है.
यह भी पढ़ें : यूपी में और सस्ता होगा रोडवेज का सफर, नई बसें खरीदकर गांवों के रूट पर चलाने की तैयारी