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Human Disease in Pets: पालतू जानवरों में हो रही इंसानों वाली ये बीमारियां, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा - LUVAS study on pets

हरियाणा की लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (LUVAS) के शोध से एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. खराब खानपान और आलस के चलते इंसान तो बीमार होता ही है लेकिन अब इंसानों की ये बीमारी जानवरों में भी पहुंच रही है. कहने का मतलब ये है कि इंसान के साथ रहने वाले पालतू जानवर भी आदमी की गलत आदतों के शिकार हो रहे हैं. हार्ट अटैक, हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी इंसानी बीमारियां अब पालतू जानवरों में भी पहुंच रही हैं.

पालतू जानवरों में इंसानों की बीमारी
Human Disease in Pets
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Published : Jul 5, 2022, 10:51 PM IST

हिसार: एक कहावत है, सेहत सबकुछ तो नहीं है लेकिन सेहत के बिना सबकुछ बेकार होता है. बड़े बुजुर्गों के जमाने से कहा जा रहा है कि जान है तो जहान है. हमारी अच्छी सेहत के लिए नियमित दिनचर्या और व्यायाम बेहद जरूरी है. लेकिन नौकरी की भागदौड़, खराब खानपान और अनियमित लाइफ स्टाइल के चलते इंसान कम उम्र में कई बीमारियों का शिकार हो रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण है शहर के छोटे घरों में कैद जीवन और व्यायाम ना करने की आदत. लेकिन हैरानी की बात ये है कि हमारी ये आदतें अब केवल हमें नहीं बल्कि हमारे पालतू जानवरों को भी बीमार (Human Disease in Pets) बना रही हैं.

अनियमित लाइफ स्टाइल की वजह से हार्ट अटैक, किडनी फेलियर, हाइपरटेंशन, हाई कोलेस्ट्रॉल, हार्ट वाल्व ब्लॉकेज जैसी बीमारियां आजकल आदमी में आम हो गई हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि अब हमारी यही बीमारियां ना केवल हमें बल्कि हमारे साथ रहने वाले पालतू जानवरों में भी हो रही हैं. हैरानी की बात ये है कि जानवरों की ये बीमारियां मालिकों को पता ही नहीं चलती. इसको लेकर हिसार स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) ने एक अध्ययन किया है.

Human Disease in Pets: पालतू जानवरों में हो रही इंसानों वाली ये बीमारियां, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय (Lala Lajpat Rai University of Veterinary & Animal Sciences) यानि LUVAS के मेडिकल विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर तरुण गुप्ता ने बताया कि पिछले काफी समय से पालतू कुत्तों में हार्ट अटैक के मामलों में इजाफा हुआ है. शोध में पाया गया है कि दिल और गुर्दे की बीमारी, हाइपर टेंशन इन पालतू जानवरों में भी आ रही है. इनमें से ज्यादातर पालतू कुत्ते और बिल्ली हैं. डॉ अरुण गुप्ता ने बताया कि हमारे यहां क्लीनिक में चंडीगढ़, दिल्ली, पंजाब और कई दूसरे शहरों से पालतू जानवर रेफर होकर आते हैं. इनमें ज्यादातर कुत्ते होते हैं. जिन्हें अलग-अलग थेरेपी देकर यहां बचाने की कोशिश की जाती है.

तरुण गुप्ता के मुताबिक पालतू जानवरों में दिल का छोटा या बड़ा हो जाना और दिल सही तरीके से काम नहीं करने जैसी दिक्कत आम बात हो गई है. पहले ये बीमारियां जानवरों में कम और इंसानों में ज्यादा मिलती थी. अब इसको लेकर हम बीमारियों पर लगातार रिसर्च कर रहे हैं. यह सामने आ रहा है कि छोटे पशुओं की लाइफस्टाइल बदल गई है. इंसान के साथ रहने के चलते उनकी लाइफ स्टाइल भी वैसी ही हो गई है.

Human Disease in Pets
घर में बंद रहने से जानवरों में इंसानों जैसी बीमारी हो रही है.

पशुओं में लाइफ स्टाइल का बहुत महत्व है. जैसी शहरी लाइफ स्टाइल हम अपना रहे हैं वही लाइफ स्टाइल हम अपने पालतू जानवरों पर भी थोप रहे हैं. इंसान और जानवरों की लाइफ स्टाइल और खान-पान एकदम अलग हैं. अगर हम अपने जैसा खाना इन जानवरों को भी खिलायेंगे तो वो उनके हार्ट और किडनी को प्रभावित करेगा. यहां तक कि समय पर इलाज नहीं मिलने के चलते खासकर कुत्तों की हार्ट अटैक से मौत भी हो रही है. तरुण गुप्ता, असिस्टेंट प्रोफेसर, लुवास

आज के समय में ज्यादातर घरों में कुत्ते या बिल्लियों को लोग पालते हैं. हर घर में बचा हुआ खाना, पिज्जा बर्गर आदि इन कुत्तों को डाल दिया जाता है. कई जगह तो ऐसा भी है कि कुत्तों के लिए फिर अलग से पिज्जा बर्गर लाए जाते हैं. एसी गाड़ी, एसी कमरे तक में उन्हें रखा जाता है. इस वजह से उनकी एक्सरसाइज नहीं हो पाती. घुमाने के लिए बहुत कम लेकर बाहर जा पाते हैं क्योंकि व्यस्त जिंदगी में लोग खुद घूमने नहीं जा पाते. इसीलिये ये पालतू जानवर पूरा दिन बैठे रहते हैं और मोटापा उन्हें घेर लेता है. इस तरह के मामलों में लक्षण के आधार पर दवाइयां दी जाती हैं. लेकिन असल बीमारी क्या है, उसके लिए टेस्ट करना जरूरी है. लुवास क्लीनिक में जानवरों की ईसीजी, अल्ट्रासाउंड, एडवांस अल्ट्रासोनोग्राफी की सुविधा उपलब्ध है. जहां हार्ट व अन्य अंगों की छोटी सी छोटी बीमारी का पता लगाया जा सकता है.

Human Disease in Pets
पालतू जानवरों की डाइट इंसानों जैसी नहीं हो सकती.

पालतू जानवरों को कैसे बचाएं- डॉक्टर तरुण गुप्ता कहते हैं कि सबसे पहले जानवरों के डॉक्टर से सलाह लेकर उनका डाइट प्लान बनवाएं. पालतू जानवरों को रोजाना एक्सरसाइज और वाकिंग करवायें. कुत्तों को सिर्फ दो ही समय का भोजन दें. साथ ही भोजन में ज्यादा ऑइली चीजें ना दें. किसी भी तरह के व्यवहार में परिवर्तन, वजन बढ़ने जैसे लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

हिसार: एक कहावत है, सेहत सबकुछ तो नहीं है लेकिन सेहत के बिना सबकुछ बेकार होता है. बड़े बुजुर्गों के जमाने से कहा जा रहा है कि जान है तो जहान है. हमारी अच्छी सेहत के लिए नियमित दिनचर्या और व्यायाम बेहद जरूरी है. लेकिन नौकरी की भागदौड़, खराब खानपान और अनियमित लाइफ स्टाइल के चलते इंसान कम उम्र में कई बीमारियों का शिकार हो रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण है शहर के छोटे घरों में कैद जीवन और व्यायाम ना करने की आदत. लेकिन हैरानी की बात ये है कि हमारी ये आदतें अब केवल हमें नहीं बल्कि हमारे पालतू जानवरों को भी बीमार (Human Disease in Pets) बना रही हैं.

अनियमित लाइफ स्टाइल की वजह से हार्ट अटैक, किडनी फेलियर, हाइपरटेंशन, हाई कोलेस्ट्रॉल, हार्ट वाल्व ब्लॉकेज जैसी बीमारियां आजकल आदमी में आम हो गई हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि अब हमारी यही बीमारियां ना केवल हमें बल्कि हमारे साथ रहने वाले पालतू जानवरों में भी हो रही हैं. हैरानी की बात ये है कि जानवरों की ये बीमारियां मालिकों को पता ही नहीं चलती. इसको लेकर हिसार स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) ने एक अध्ययन किया है.

Human Disease in Pets: पालतू जानवरों में हो रही इंसानों वाली ये बीमारियां, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय (Lala Lajpat Rai University of Veterinary & Animal Sciences) यानि LUVAS के मेडिकल विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर तरुण गुप्ता ने बताया कि पिछले काफी समय से पालतू कुत्तों में हार्ट अटैक के मामलों में इजाफा हुआ है. शोध में पाया गया है कि दिल और गुर्दे की बीमारी, हाइपर टेंशन इन पालतू जानवरों में भी आ रही है. इनमें से ज्यादातर पालतू कुत्ते और बिल्ली हैं. डॉ अरुण गुप्ता ने बताया कि हमारे यहां क्लीनिक में चंडीगढ़, दिल्ली, पंजाब और कई दूसरे शहरों से पालतू जानवर रेफर होकर आते हैं. इनमें ज्यादातर कुत्ते होते हैं. जिन्हें अलग-अलग थेरेपी देकर यहां बचाने की कोशिश की जाती है.

तरुण गुप्ता के मुताबिक पालतू जानवरों में दिल का छोटा या बड़ा हो जाना और दिल सही तरीके से काम नहीं करने जैसी दिक्कत आम बात हो गई है. पहले ये बीमारियां जानवरों में कम और इंसानों में ज्यादा मिलती थी. अब इसको लेकर हम बीमारियों पर लगातार रिसर्च कर रहे हैं. यह सामने आ रहा है कि छोटे पशुओं की लाइफस्टाइल बदल गई है. इंसान के साथ रहने के चलते उनकी लाइफ स्टाइल भी वैसी ही हो गई है.

Human Disease in Pets
घर में बंद रहने से जानवरों में इंसानों जैसी बीमारी हो रही है.

पशुओं में लाइफ स्टाइल का बहुत महत्व है. जैसी शहरी लाइफ स्टाइल हम अपना रहे हैं वही लाइफ स्टाइल हम अपने पालतू जानवरों पर भी थोप रहे हैं. इंसान और जानवरों की लाइफ स्टाइल और खान-पान एकदम अलग हैं. अगर हम अपने जैसा खाना इन जानवरों को भी खिलायेंगे तो वो उनके हार्ट और किडनी को प्रभावित करेगा. यहां तक कि समय पर इलाज नहीं मिलने के चलते खासकर कुत्तों की हार्ट अटैक से मौत भी हो रही है. तरुण गुप्ता, असिस्टेंट प्रोफेसर, लुवास

आज के समय में ज्यादातर घरों में कुत्ते या बिल्लियों को लोग पालते हैं. हर घर में बचा हुआ खाना, पिज्जा बर्गर आदि इन कुत्तों को डाल दिया जाता है. कई जगह तो ऐसा भी है कि कुत्तों के लिए फिर अलग से पिज्जा बर्गर लाए जाते हैं. एसी गाड़ी, एसी कमरे तक में उन्हें रखा जाता है. इस वजह से उनकी एक्सरसाइज नहीं हो पाती. घुमाने के लिए बहुत कम लेकर बाहर जा पाते हैं क्योंकि व्यस्त जिंदगी में लोग खुद घूमने नहीं जा पाते. इसीलिये ये पालतू जानवर पूरा दिन बैठे रहते हैं और मोटापा उन्हें घेर लेता है. इस तरह के मामलों में लक्षण के आधार पर दवाइयां दी जाती हैं. लेकिन असल बीमारी क्या है, उसके लिए टेस्ट करना जरूरी है. लुवास क्लीनिक में जानवरों की ईसीजी, अल्ट्रासाउंड, एडवांस अल्ट्रासोनोग्राफी की सुविधा उपलब्ध है. जहां हार्ट व अन्य अंगों की छोटी सी छोटी बीमारी का पता लगाया जा सकता है.

Human Disease in Pets
पालतू जानवरों की डाइट इंसानों जैसी नहीं हो सकती.

पालतू जानवरों को कैसे बचाएं- डॉक्टर तरुण गुप्ता कहते हैं कि सबसे पहले जानवरों के डॉक्टर से सलाह लेकर उनका डाइट प्लान बनवाएं. पालतू जानवरों को रोजाना एक्सरसाइज और वाकिंग करवायें. कुत्तों को सिर्फ दो ही समय का भोजन दें. साथ ही भोजन में ज्यादा ऑइली चीजें ना दें. किसी भी तरह के व्यवहार में परिवर्तन, वजन बढ़ने जैसे लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

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