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निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा आज कांग्रेस में होंगे शामिल, जानें AAP छोड़ने के राजनीतिक मायने? - nirmal singh

Haryana Assembly Election 2024 आगामी लोकसभा चुनाव 2024 और हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी जोर-शोर से तैयारियों में जुट गई है. हरियाणा से 4 बार विधायक और 2 बार मंत्री रहे चौ. निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा आज कांग्रेस का हाथ थामने जा रहे हैं. आखिर दोनों के AAP छोड़ने के राजनीतिक मायने क्या हैं आइए जानते हैं.

nirmal singh chitra sarwara to join congress on 5 december
निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा 5 जनवरी को कांग्रेस में शामिल होंगे.
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 29, 2023, 9:05 PM IST

Updated : Jan 5, 2024, 10:56 AM IST

चंडीगढ़: पूर्व मंत्री निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा आज ( शुक्रवार, 5 जनवरी 2024 को) कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि हरियाणा से 4 बार विधायक और प्रदेश सरकार में 2 बार मंत्री रहे चौ. निर्मल सिंह एवं अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की महासचिव रहीं चित्रा सरवारा आज दोपरह करीब 3 बजे विधिवत रूप से कांग्रेस का दामन थाम लेंगे. कांग्रेस आलाकमान ने दोनों की ज्वाइनिंग को हरी झंडी दी है. दोनों दिल्ली में कांग्रेस का दामन थामेंगे.

कांग्रेस का दामन थामेंगे निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा: दीपक बाबरिया ने कहा कि पूर्व मंत्री निर्मल सिंह का कांग्रेस के साथ लंबा करियर रहा है. वे मूल रूप से कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े रहे हैं और इलाके में उनकी छवि संघर्षशील और कर्मठ नेता की है. निर्मल सिंह के कांग्रेस पार्टी में आने से उत्तर हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की जमीनी पकड़ और मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नीति रही है कि पार्टी की विचारधारा में श्रद्धा रखने वाले सभी नेताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए पार्टी के दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे.

निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा का आम आदमी पार्टी से इस्तीफा: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा जो कि आम आदमी पार्टी में वाइस प्रेसीडेंट पद पर नियुक्त थीं. इन दोनों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. पहले भी निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा कांग्रेस पार्टी में थे, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में इन्होंने अपनी पार्टी बना ली थी और बाद में यह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे. माना जा रहा है कि यह दोनों पिता पुत्री अंबाला कैंट और अंबाला शहर की सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.

निर्मल सिंह लोकसभा या अंबाला शहरी सीट पर लड़ सकते हैं चुनाव?: आप का साथ छोड़ने के साथ चार बार के विधायक और कैबिनेट मंत्री रहे निर्मल सिंह कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि निर्मल सिंह अगले साल होने वाले हरियाणा लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कुरुक्षेत्र या अंबाला शहरी सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं. वर्तमान में अंबाला शहरी इस सीट पर बीजेपी के असीम गोयल विधायक हैं. वहीं, कुरुक्षेत्र से नायब सैनी बीजेपी के लोकसभा सदस्य हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट न मिलने के चलते निर्मल सिंह ने अंबाला शहरी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था. उन्होंने इस चुनाव में असीम गोयल को कड़ी टक्कर दी थी. वहीं, अगर इस बार वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं तो इस सीट पर कांग्रेस की जीत की संभावनाएं बढ़ जाएगी.

चित्रा कैंट सीट पर अनिल विज को दे सकती हैं चुनौती?: निर्मल सिंह साल 2018 में अपनी राजनीतिक विरासत बेटी चित्रा सरवारा सौंप चुके हैं. चित्रा सरवारा जब कांग्रेस में थीं उन्हें राहुल गांधी का करीबी भी माना जाता था. चित्रा एक राजनीतिज्ञ के साथ साथ प्रोफेशनल डिजाइनर और समाज सेविका भी हैं. 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने डिजाइन मैनेजर के तौर पर काम किया और उनके काम को काफी सराहा गया था, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस का टिकट नहीं मिला. जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अनिल विज के खिलाफ चुनाव लड़ा और विज को कड़ी टक्कर दी. वहीं, अब अगर वे कांग्रेस के साथ जाकर अंबाला कैंट से चुनाव लड़ती हैं तो निश्चित तौर पर वे अनिल विज को कड़ी चुनौती देगी. यानी वे अनिल विज के लिए वे मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं.

भूपेंद्र हुड्डा ने खेला सैलजा को घर में घेरने का दांव!: निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा का अंबाला जिले में अच्छा खासा प्रभाव है. राजनीतिक गलियारों में यह बात कही जाती है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में कुमारी सैलजा के विरोध की वजह से इन दोनों को कांग्रेस से टिकट नहीं मिल पाई थी. जिसके बाद दोनों पिता पुत्री ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और चुनाव हार गए थे. निर्मल सिंह नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी माने जाते हैं. माना जा रहा है कि उनके प्रयासों से निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा वापस कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं. ऐसे में इसे अंबाला में कुमारी सैलजा को हुड्डा गुट की तरफ से उनको घर में घेरने की तैयारी के तौर पर भी देखा जा रहा है. बता दें कि निर्मल सिंह ने 2019 चुनाव के वक्त हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट भी बनाया था. अप्रैल 2022 में यह दोनों आप में शामिल हुए थे. करीब डेढ़ साल के बाद अब आप से इन्होंने किनारा कर लिया है.

क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार?: निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा के पार्टी छोड़ने के बाद अब हरियाणा की सियासत में कई सवाल उभर कर सामने आ रहे हैं. इसका हरियाणा में आम आदमी पार्टी पर क्या असर होगा? दोनों के कांग्रेस में जाने से अंबाला और उसके आसपास क्या सियासी असर होगा? क्या उनकी कांग्रेस वापसी से कुमारी सैलजा कमजोर पड़ेंगी? यह कुछ ऐसे सवाल है जिनका जवाब जानना जरूरी है.

चुनाव से पहले AAP को झटका!: राजनीतिक मामलों के जानकार राजेश मुद्गल कहते हैं कि जहां तक बात इन दोनों नेताओं के आम आदमी पार्टी के छोड़ने की है तो निश्चित तौर पर ही लोकसभा चुनाव से पहले उनके पार्टी छोड़ने का असर आप पर पड़ेगा. वे कहते हैं कि निर्मल सिंह आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संगठन में सदस्य के तौर पर काम कर रहे थे और उनकी बेटी हरियाणा की इकाई में उपाध्यक्ष पद पर थीं. ऐसे में उनका पार्टी छोड़ने आपके लिए एक बड़ा झटका तो है ही.

राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार जहां तक बात इन दोनों नेताओं के कांग्रेस में आने से अंबाला के आसपास के क्षेत्र पर पड़ने वाली असर की है तो निश्चित तौर पर ही इसका लाभ कांग्रेस को मिलेगा क्योंकि 2019 की विधानसभा चुनाव में पिता पुत्री ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और यह दूसरे नंबर पर रहे थे. अब कांग्रेस में वापसी से निश्चित तौर पर ही इनको पार्टी का भी साथ मिलेगा और अंबाला और उसके आसपास के क्षेत्र में कांग्रेस को इसे मजबूती मिलेगी.

कुमारी सैलजा के लिए चुनौती!: राजनीतिक गलियारे में हमेशा से चर्चा रही है कि 2019 में पिता पुत्री को यानी निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा को कुमारी सैलजा के विरोध के चलते टिकट नहीं मिली थी. ऐसे में अगर यह दोनों कांग्रेस में वापस आते हैं तो निश्चित तौर पर ही यह कुमारी सैलजा के लिए चुनौती भी होगी. वे कहते हैं कि यह दोनों हुड्डा के करीबी थे जिस वजह से इन्हें कुमारी सैलजा ने दरकिनार किया था. ऐसे में अगर इन दोनों को इस बार आने वाले विधानसभा चुनाव में अंबाला सिटी और कैंट से टिकट मिलता है तो निश्चित तौर पर इसे हुड्डा गुट मजबूत होगा. हालांकि वह कहते हैं कि इस बात की भी चर्चा है कि निर्मल सिंह को कांग्रेस लोकसभा चुनाव भी लाडवा सकती है.

इस मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि हरियाणा में आम आदमी पार्टी के चार बड़े चेहरे काम कर रहे थे, जिनमें अनुराग ढांडा, अशोक तंवर, निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा थीं. ऐसे में दो बड़े चेहरे के पार्टी छोड़ने से निश्चित तौर पर ही आम आदमी पार्टी की हरियाणा इकाई के मनोबल पर असर तो पड़ेगा ही. वहीं, आम आदमी पार्टी को किसी नए बड़े चेहरे की तलाश भी करनी पड़ेगी.

जीटी रोड का राजनीतिक समीकरण: वहीं, वे कहते हैं कि इन दोनों नेताओं के कांग्रेस में आने से निश्चित तौर पर कांग्रेस न सिर्फ अंबाला में बल्कि उसके आसपास लगते जिलों यमुनानगर और कुरुक्षेत्र में भी इनका फायदा ले सकती हैं. वे कहते हैं कि निर्मल सिंह एक दिग्गज नेता हैं. जीटी रोड पर उनकी अलग पहचान है, तो पूरी जीटी रोड पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है. वहीं, बीजेपी को इन दोनों के कांग्रेस में जाने के बाद जीटी रोड पर अपनी रणनीति में भी बदलाव लाना पड़ सकता है.

वहीं, वे कहते हैं कि जहां तक बात इन दोनों नेताओं के कांग्रेस में वापसी की है तो निश्चित तौर पर उनके आने से कुमारी सैलजा के अंबाला और उसके आसपास के प्रभाव पर असर पड़ सकता है. वे कहते हैं कि दोनों नेताओं में 2019 में निर्दलीय चुनाव लड़ा था और दोनों ही दूसरे नंबर पर रहे थे. ऐसे में या तो साफ है कि इन दोनों का प्रभाव अंबाला और उसके आसपास के इलाकों में निश्चित तौर पर है. वहीं, कांग्रेस के साथ जाने से इनको पार्टी का भी साथ मिलेगा जो आने वाले लोकसभा और विधानसभा में इनकी दावेदारी को और मजबूत कर सकता है.

ये भी पढ़ें: हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों में संगठन को लेकर मंथन, बड़ा सवाल क्या नये साल में पार्टी पदाधिकारियों के नामों की होगी घोषणा?

ये भी पढ़ें: आम आदमी पार्टी को जोर का झटका, पूर्व मंत्री निर्मल सिंह और प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रा सरवारा ने छोड़ी पार्टी, कांग्रेस कर सकते हैं ज्वाइन

चंडीगढ़: पूर्व मंत्री निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा आज ( शुक्रवार, 5 जनवरी 2024 को) कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि हरियाणा से 4 बार विधायक और प्रदेश सरकार में 2 बार मंत्री रहे चौ. निर्मल सिंह एवं अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की महासचिव रहीं चित्रा सरवारा आज दोपरह करीब 3 बजे विधिवत रूप से कांग्रेस का दामन थाम लेंगे. कांग्रेस आलाकमान ने दोनों की ज्वाइनिंग को हरी झंडी दी है. दोनों दिल्ली में कांग्रेस का दामन थामेंगे.

कांग्रेस का दामन थामेंगे निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा: दीपक बाबरिया ने कहा कि पूर्व मंत्री निर्मल सिंह का कांग्रेस के साथ लंबा करियर रहा है. वे मूल रूप से कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े रहे हैं और इलाके में उनकी छवि संघर्षशील और कर्मठ नेता की है. निर्मल सिंह के कांग्रेस पार्टी में आने से उत्तर हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की जमीनी पकड़ और मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नीति रही है कि पार्टी की विचारधारा में श्रद्धा रखने वाले सभी नेताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए पार्टी के दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे.

निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा का आम आदमी पार्टी से इस्तीफा: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा जो कि आम आदमी पार्टी में वाइस प्रेसीडेंट पद पर नियुक्त थीं. इन दोनों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. पहले भी निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा कांग्रेस पार्टी में थे, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में इन्होंने अपनी पार्टी बना ली थी और बाद में यह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे. माना जा रहा है कि यह दोनों पिता पुत्री अंबाला कैंट और अंबाला शहर की सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.

निर्मल सिंह लोकसभा या अंबाला शहरी सीट पर लड़ सकते हैं चुनाव?: आप का साथ छोड़ने के साथ चार बार के विधायक और कैबिनेट मंत्री रहे निर्मल सिंह कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि निर्मल सिंह अगले साल होने वाले हरियाणा लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कुरुक्षेत्र या अंबाला शहरी सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं. वर्तमान में अंबाला शहरी इस सीट पर बीजेपी के असीम गोयल विधायक हैं. वहीं, कुरुक्षेत्र से नायब सैनी बीजेपी के लोकसभा सदस्य हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट न मिलने के चलते निर्मल सिंह ने अंबाला शहरी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था. उन्होंने इस चुनाव में असीम गोयल को कड़ी टक्कर दी थी. वहीं, अगर इस बार वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं तो इस सीट पर कांग्रेस की जीत की संभावनाएं बढ़ जाएगी.

चित्रा कैंट सीट पर अनिल विज को दे सकती हैं चुनौती?: निर्मल सिंह साल 2018 में अपनी राजनीतिक विरासत बेटी चित्रा सरवारा सौंप चुके हैं. चित्रा सरवारा जब कांग्रेस में थीं उन्हें राहुल गांधी का करीबी भी माना जाता था. चित्रा एक राजनीतिज्ञ के साथ साथ प्रोफेशनल डिजाइनर और समाज सेविका भी हैं. 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने डिजाइन मैनेजर के तौर पर काम किया और उनके काम को काफी सराहा गया था, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस का टिकट नहीं मिला. जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अनिल विज के खिलाफ चुनाव लड़ा और विज को कड़ी टक्कर दी. वहीं, अब अगर वे कांग्रेस के साथ जाकर अंबाला कैंट से चुनाव लड़ती हैं तो निश्चित तौर पर वे अनिल विज को कड़ी चुनौती देगी. यानी वे अनिल विज के लिए वे मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं.

भूपेंद्र हुड्डा ने खेला सैलजा को घर में घेरने का दांव!: निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा का अंबाला जिले में अच्छा खासा प्रभाव है. राजनीतिक गलियारों में यह बात कही जाती है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में कुमारी सैलजा के विरोध की वजह से इन दोनों को कांग्रेस से टिकट नहीं मिल पाई थी. जिसके बाद दोनों पिता पुत्री ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और चुनाव हार गए थे. निर्मल सिंह नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी माने जाते हैं. माना जा रहा है कि उनके प्रयासों से निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा वापस कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं. ऐसे में इसे अंबाला में कुमारी सैलजा को हुड्डा गुट की तरफ से उनको घर में घेरने की तैयारी के तौर पर भी देखा जा रहा है. बता दें कि निर्मल सिंह ने 2019 चुनाव के वक्त हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट भी बनाया था. अप्रैल 2022 में यह दोनों आप में शामिल हुए थे. करीब डेढ़ साल के बाद अब आप से इन्होंने किनारा कर लिया है.

क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार?: निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा के पार्टी छोड़ने के बाद अब हरियाणा की सियासत में कई सवाल उभर कर सामने आ रहे हैं. इसका हरियाणा में आम आदमी पार्टी पर क्या असर होगा? दोनों के कांग्रेस में जाने से अंबाला और उसके आसपास क्या सियासी असर होगा? क्या उनकी कांग्रेस वापसी से कुमारी सैलजा कमजोर पड़ेंगी? यह कुछ ऐसे सवाल है जिनका जवाब जानना जरूरी है.

चुनाव से पहले AAP को झटका!: राजनीतिक मामलों के जानकार राजेश मुद्गल कहते हैं कि जहां तक बात इन दोनों नेताओं के आम आदमी पार्टी के छोड़ने की है तो निश्चित तौर पर ही लोकसभा चुनाव से पहले उनके पार्टी छोड़ने का असर आप पर पड़ेगा. वे कहते हैं कि निर्मल सिंह आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संगठन में सदस्य के तौर पर काम कर रहे थे और उनकी बेटी हरियाणा की इकाई में उपाध्यक्ष पद पर थीं. ऐसे में उनका पार्टी छोड़ने आपके लिए एक बड़ा झटका तो है ही.

राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार जहां तक बात इन दोनों नेताओं के कांग्रेस में आने से अंबाला के आसपास के क्षेत्र पर पड़ने वाली असर की है तो निश्चित तौर पर ही इसका लाभ कांग्रेस को मिलेगा क्योंकि 2019 की विधानसभा चुनाव में पिता पुत्री ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और यह दूसरे नंबर पर रहे थे. अब कांग्रेस में वापसी से निश्चित तौर पर ही इनको पार्टी का भी साथ मिलेगा और अंबाला और उसके आसपास के क्षेत्र में कांग्रेस को इसे मजबूती मिलेगी.

कुमारी सैलजा के लिए चुनौती!: राजनीतिक गलियारे में हमेशा से चर्चा रही है कि 2019 में पिता पुत्री को यानी निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा को कुमारी सैलजा के विरोध के चलते टिकट नहीं मिली थी. ऐसे में अगर यह दोनों कांग्रेस में वापस आते हैं तो निश्चित तौर पर ही यह कुमारी सैलजा के लिए चुनौती भी होगी. वे कहते हैं कि यह दोनों हुड्डा के करीबी थे जिस वजह से इन्हें कुमारी सैलजा ने दरकिनार किया था. ऐसे में अगर इन दोनों को इस बार आने वाले विधानसभा चुनाव में अंबाला सिटी और कैंट से टिकट मिलता है तो निश्चित तौर पर इसे हुड्डा गुट मजबूत होगा. हालांकि वह कहते हैं कि इस बात की भी चर्चा है कि निर्मल सिंह को कांग्रेस लोकसभा चुनाव भी लाडवा सकती है.

इस मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि हरियाणा में आम आदमी पार्टी के चार बड़े चेहरे काम कर रहे थे, जिनमें अनुराग ढांडा, अशोक तंवर, निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा थीं. ऐसे में दो बड़े चेहरे के पार्टी छोड़ने से निश्चित तौर पर ही आम आदमी पार्टी की हरियाणा इकाई के मनोबल पर असर तो पड़ेगा ही. वहीं, आम आदमी पार्टी को किसी नए बड़े चेहरे की तलाश भी करनी पड़ेगी.

जीटी रोड का राजनीतिक समीकरण: वहीं, वे कहते हैं कि इन दोनों नेताओं के कांग्रेस में आने से निश्चित तौर पर कांग्रेस न सिर्फ अंबाला में बल्कि उसके आसपास लगते जिलों यमुनानगर और कुरुक्षेत्र में भी इनका फायदा ले सकती हैं. वे कहते हैं कि निर्मल सिंह एक दिग्गज नेता हैं. जीटी रोड पर उनकी अलग पहचान है, तो पूरी जीटी रोड पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है. वहीं, बीजेपी को इन दोनों के कांग्रेस में जाने के बाद जीटी रोड पर अपनी रणनीति में भी बदलाव लाना पड़ सकता है.

वहीं, वे कहते हैं कि जहां तक बात इन दोनों नेताओं के कांग्रेस में वापसी की है तो निश्चित तौर पर उनके आने से कुमारी सैलजा के अंबाला और उसके आसपास के प्रभाव पर असर पड़ सकता है. वे कहते हैं कि दोनों नेताओं में 2019 में निर्दलीय चुनाव लड़ा था और दोनों ही दूसरे नंबर पर रहे थे. ऐसे में या तो साफ है कि इन दोनों का प्रभाव अंबाला और उसके आसपास के इलाकों में निश्चित तौर पर है. वहीं, कांग्रेस के साथ जाने से इनको पार्टी का भी साथ मिलेगा जो आने वाले लोकसभा और विधानसभा में इनकी दावेदारी को और मजबूत कर सकता है.

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Last Updated : Jan 5, 2024, 10:56 AM IST
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