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हरीश रावत के सिर से उठा 'हाथ'! महासचिव पद से भी हटाए गए

कांग्रेस आलाकमान ने हरीश रावत को पंजाब और चंडीगढ़ कांग्रेस प्रभारी के साथ ही महासचिव पद से भी हटा दिया है. हालांकि, हरीश रावत कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य बने रहेंगे.

हरीश रावत
हरीश रावत
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Published : Oct 23, 2021, 2:22 PM IST

Updated : Oct 23, 2021, 6:29 PM IST

देहरादून : उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. पूर्व सीएम हरीश रावत उत्तराखंड के चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष के साथ-साथ पंजाब के पार्टी प्रभारी भी थे. ऐसे में रावत का एक पैर चंडीगढ़ तो दूसरा पैर देहरादून में रहता था. जिसे देखते हुए कांग्रेस ने हरीश रावत को पंजाब प्रदेश प्रभारी के साथ ही महासचिव पद से भी हटा दिया गया है. हरीश रावत सीडब्ल्यूसी के सदस्य बने रहेंगे.

बता दें, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस अलाकमान से उन्हें पंजाब प्रभारी के पद से हटाने का अनुरोध किया था. हरीश रावत ने पार्टी से कहा था कि पंजाब और उत्तराखंड में चुनाव आने वाले हैं. ऐसे में दोनों जगहों पर उन्हें पूरा समय देना होगा. ऐसे में उनके लिए परिस्थितियां कठिन होती जा रही हैं.

कांग्रेस का लेटर
कांग्रेस का लेटर

पंजाब प्रभारी के पद से हटाए जाने पर हरीश रावत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के नेतृत्व को धन्यवाद दिया. उन्होंने पंजाब कांग्रेस के सभी साथी सहयोगियों का शुक्रिया अदा किया. हरीश रावत ने ट्वीट कर कहा कि पार्टी के प्रति कर्तव्य की पुकार है कि मैं एक स्थान उत्तराखंड में पूरी शक्ति लगाऊं. मेरे दिल में हमेशा पंजाब रहेगा.

अब उत्तराखंड ही रहेगा फोकस

हरीश रावत एक ओर पंजाब के पार्टी प्रभारी थे तो दूसरी ओर उनको उत्तराखंड के चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया था. लेकिन दोनों को मैनेज करने में रावत को परेशानी होने लगी थी. उनका एक पैर चंडीगढ़ तो दूसरा पैर देहरादून में रहता था.

वहीं, पंजाब में राजनीतिक हलचल के कारण वह उत्तराखंड चुनाव पर ध्यान नहीं लगा पा रहे थे. इस बीच पंजाब में इतनी बड़ी उथल-पुथल हो गई कि अमरिंदर बनाम सिद्धू की जंग में चन्नी सरकार को स्टेबल करना मुश्किल हो गया. न पंजाब में कुछ सही हो सका और न ही उत्तराखंड में कांग्रेस रफ्तार पकड़ पाई. ऐसे में कांग्रेस को इस बात का भी डर था कि कहीं ऐसा न हो कि उत्तराखंड में पार्टी मजबूती से अपनी दावेदारी पेश न कर पाए.

इसी बीच उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी यहां तेजी से सक्रिय हो रही है. ऐसे में कांग्रेस हरीश रावत को पंजाब में उलझाकर ज्यादा जोखिम मोल लेने की स्थिति में नहीं थी. अब जब हरीश रावत पंजाब प्रभारी और महासचिव पद से मुक्त कर दिए गए हैं तो अब हाईकमान की उम्मीद उत्तराखंड को लेकर बढ़ गई है.

उत्तराखंड में कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष होने के नाते इस बार चुनाव की कमान हरीश रावत के हाथ में ही है और उनके साथ उनके खास गणेश गोदियाल भी प्रदेश अध्यक्ष हैं. दोनों ने टिकटों के वितरण में भी अपनी भूमिका तय कर रखी है. कांग्रेस के चुनाव प्रचार समिति में भी ज्यादातर नेता हरीश कैंप के हैं.

पदमुक्त होने के बाद हरीश रावत का कहना है कि वो अब उत्तराखंड में कांग्रेस को मजबूत करने की दिशा में अपना पूरा ध्यान लगा सकते हैं.

रावत ने ये तो सोचा न होगा

पंजाब प्रभारी पद से हटाए गए हरीश रावत लगातार सोनिया गांधी और राहुल गांधी से यह आग्रह कर रहे थे कि उन्हें पंजाब से हटाकर उत्तराखंड पर फोकस करने दिया जाए. रावत ये जान गए थे कि उनके हाथ से पंजाब का झगड़ा शायद ही सुलझ पाए और यही कारण रहा कि पंजाब की लड़ाई सार्वजनिक होने से पहले ही हरीश रावत ने ये बात कह दी थी कि उन्हें पंजाब प्रभारी नहीं रहना.

लेकिन हरीश रावत को शायद ये मालूम नहीं था कि उनके हाथ से पंजाब का प्रभार तो जाएगा ही बल्कि उन्हें महासचिव जैसे बड़े पद से भी हटा दिया जाएगा. हरीश रावत भले ही इस बात को लेकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी का शुक्रिया अदा कर रहे हों, लेकिन विपक्षी पार्टियां इस बात को आने वाले समय में जरूर उठाएंगी.

यह भी पढ़ें- कांग्रेस ने हरीश रावत को पंजाब प्रभारी के पद से हटाया

देहरादून : उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. पूर्व सीएम हरीश रावत उत्तराखंड के चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष के साथ-साथ पंजाब के पार्टी प्रभारी भी थे. ऐसे में रावत का एक पैर चंडीगढ़ तो दूसरा पैर देहरादून में रहता था. जिसे देखते हुए कांग्रेस ने हरीश रावत को पंजाब प्रदेश प्रभारी के साथ ही महासचिव पद से भी हटा दिया गया है. हरीश रावत सीडब्ल्यूसी के सदस्य बने रहेंगे.

बता दें, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस अलाकमान से उन्हें पंजाब प्रभारी के पद से हटाने का अनुरोध किया था. हरीश रावत ने पार्टी से कहा था कि पंजाब और उत्तराखंड में चुनाव आने वाले हैं. ऐसे में दोनों जगहों पर उन्हें पूरा समय देना होगा. ऐसे में उनके लिए परिस्थितियां कठिन होती जा रही हैं.

कांग्रेस का लेटर
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पंजाब प्रभारी के पद से हटाए जाने पर हरीश रावत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के नेतृत्व को धन्यवाद दिया. उन्होंने पंजाब कांग्रेस के सभी साथी सहयोगियों का शुक्रिया अदा किया. हरीश रावत ने ट्वीट कर कहा कि पार्टी के प्रति कर्तव्य की पुकार है कि मैं एक स्थान उत्तराखंड में पूरी शक्ति लगाऊं. मेरे दिल में हमेशा पंजाब रहेगा.

अब उत्तराखंड ही रहेगा फोकस

हरीश रावत एक ओर पंजाब के पार्टी प्रभारी थे तो दूसरी ओर उनको उत्तराखंड के चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया था. लेकिन दोनों को मैनेज करने में रावत को परेशानी होने लगी थी. उनका एक पैर चंडीगढ़ तो दूसरा पैर देहरादून में रहता था.

वहीं, पंजाब में राजनीतिक हलचल के कारण वह उत्तराखंड चुनाव पर ध्यान नहीं लगा पा रहे थे. इस बीच पंजाब में इतनी बड़ी उथल-पुथल हो गई कि अमरिंदर बनाम सिद्धू की जंग में चन्नी सरकार को स्टेबल करना मुश्किल हो गया. न पंजाब में कुछ सही हो सका और न ही उत्तराखंड में कांग्रेस रफ्तार पकड़ पाई. ऐसे में कांग्रेस को इस बात का भी डर था कि कहीं ऐसा न हो कि उत्तराखंड में पार्टी मजबूती से अपनी दावेदारी पेश न कर पाए.

इसी बीच उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी यहां तेजी से सक्रिय हो रही है. ऐसे में कांग्रेस हरीश रावत को पंजाब में उलझाकर ज्यादा जोखिम मोल लेने की स्थिति में नहीं थी. अब जब हरीश रावत पंजाब प्रभारी और महासचिव पद से मुक्त कर दिए गए हैं तो अब हाईकमान की उम्मीद उत्तराखंड को लेकर बढ़ गई है.

उत्तराखंड में कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष होने के नाते इस बार चुनाव की कमान हरीश रावत के हाथ में ही है और उनके साथ उनके खास गणेश गोदियाल भी प्रदेश अध्यक्ष हैं. दोनों ने टिकटों के वितरण में भी अपनी भूमिका तय कर रखी है. कांग्रेस के चुनाव प्रचार समिति में भी ज्यादातर नेता हरीश कैंप के हैं.

पदमुक्त होने के बाद हरीश रावत का कहना है कि वो अब उत्तराखंड में कांग्रेस को मजबूत करने की दिशा में अपना पूरा ध्यान लगा सकते हैं.

रावत ने ये तो सोचा न होगा

पंजाब प्रभारी पद से हटाए गए हरीश रावत लगातार सोनिया गांधी और राहुल गांधी से यह आग्रह कर रहे थे कि उन्हें पंजाब से हटाकर उत्तराखंड पर फोकस करने दिया जाए. रावत ये जान गए थे कि उनके हाथ से पंजाब का झगड़ा शायद ही सुलझ पाए और यही कारण रहा कि पंजाब की लड़ाई सार्वजनिक होने से पहले ही हरीश रावत ने ये बात कह दी थी कि उन्हें पंजाब प्रभारी नहीं रहना.

लेकिन हरीश रावत को शायद ये मालूम नहीं था कि उनके हाथ से पंजाब का प्रभार तो जाएगा ही बल्कि उन्हें महासचिव जैसे बड़े पद से भी हटा दिया जाएगा. हरीश रावत भले ही इस बात को लेकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी का शुक्रिया अदा कर रहे हों, लेकिन विपक्षी पार्टियां इस बात को आने वाले समय में जरूर उठाएंगी.

यह भी पढ़ें- कांग्रेस ने हरीश रावत को पंजाब प्रभारी के पद से हटाया

Last Updated : Oct 23, 2021, 6:29 PM IST
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