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अब उत्तर से दक्षिण तक होंगे 'गंगा दर्शन', बनेंगे भव्य गंगा मंदिर, ये है एक्शन प्लान - भारत में गंगा के मंदिर

उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से निकल कर करोड़ों लोगों को जीवन देने वाली गंगा नदी हिंदू धर्म में अहम स्थान रखती है. गंगा को मां के रूप में पूजा जाता है. गंगा जल के बिना कोई शुभ कार्य शुरू नहीं किया जा सकता है. यही वजह है कि गंगा के प्रति लाखों की लोगों की आस्था जुड़ी है. गंगा तटों पर स्नान और अन्य कर्मकांडों के लिए दुनियाभर से लोग पहुंचते हैं. ऐसे में हरिद्वार गंगा सभा एक ऐसी पहल शुरू करने जा रही है, जो काफी खास है. खासकर वहां के लोगों के लिए जहां गंगा नहीं बहती है.

Haridwar Ganga Sabha
गंगा के मंदिर
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Published : Jun 29, 2023, 6:31 PM IST

Updated : Jun 29, 2023, 7:55 PM IST

अब उत्तर से दक्षिण तक होंगे 'गंगा दर्शन'

हरिद्वार (उत्तराखंड): मां गंगा को मोक्षदायिनी और जीवनदायिनी कहा जाता है. जहां-जहां से गंगा नदी गुजरती है, वहां-वहां जीवन को सींचती जाती है. करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक गंगा सदियों से यूं ही बह रही है. गंगोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा कई जल धाराओं और नदियों को लेकर आगे बढ़ती है, लेकिन जैसे-जैसे गंगा आगे बढ़ते हुए मैदानी इलाकों में पहुंचती है, वैसे-वैसे मैली होती जा रही है. जिससे गंगा की निर्मलता और अविरलता खतरे में है. जिसे देखते हुए हरिद्वार गंगा सभा ने एक पहल शुरू करने जा रही है. जिससे न केवल गंगा साफ होगी, बल्कि लोगों को गंगा के दर्शन भी होंगे.

Ganga Aarti in Haridwar
गंगा आरती का खूबसूरत नजारा

दरअसल, देश ही नहीं दुनिया से लोग गंगा में डुबकी लगाने और पूजा अर्चना करने आते हैं. इसके अलावा गंगा तटों पर हर साल धार्मिक आयोजन और अनुष्ठान होते हैं. मां गंगा के प्रति लोगों की आस्था कितनी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हरिद्वार हो या काशी हो या कोलकाता में श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा तट पर लाखों की तादाद में रोजाना पहुंचती है, लेकिन जो लोग मां गंगा के दर्शन से वंचित रहते हैं. ऐसे लोगों के लिए हरिद्वार की गंगा सभा एक भागीरथ प्रयास कर रही है. इसके तहत देश के अलग-अलग हिस्सों में मां गंगा के मंदिर के प्रति लोगों को जागरूक किया जाएगा. गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ इसके लिए पूरा रोड मैप तैयार कर काम में जुट गए हैं.
ये भी पढ़ेंः हरिद्वार के गंगा घाटों को अब ले सकते हैं गोद, पूरी करनी होगी ये शर्त, ऐसे करें अप्लाई

विभिन्न शहरों में बनाए जाएंगे भव्य गंगा मंदिरः देश के अन्य राज्यों में भगवान शिव, हनुमान या अन्य देवी-देवताओं के मंदिर काफी मिल जाते हैं, लेकिन ऐसे कम शहर हैं, जहां पर साक्षात गंगा नदी बहती हो या फिर मां गंगा की प्रतिमा या उनके जुड़े मंदिर दिखाई देते हों. गंगा के मंदिरों की संख्या बेहद गिनी चुनी है. हालांकि, ऋषिकेश, हरिद्वार, मुखबा, गंगोत्री और उत्तर प्रदेश के भरतपुर, मुक्तेश्वर समेत अन्य शहरों को छोड़ दें तो जहां से मां गंगा बहती है, उन राज्यों में इक्का-दुक्का मंदिर जरूर देखने को मिल जाते हैं.

Ganga Aarti
हरिद्वार में गंगा आरती

ऐसा नहीं है कि गंगा के प्रति उन लोगों की आस्था नहीं है, जहां से गंगा नदी नहीं बहती है. वहां के लोग एक लीटर गंगा जल लेकर जाते हैं तो महीनों तक बूंद-बूंद कर इस्तेमाल करते हैं. हर पूजा पाठ और अनुष्ठान में गंगा जल का विशेष महत्व है. उन्हीं को ध्यान में रखते हुए हरिद्वार गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ हरिद्वार के अलावा उत्तर प्रदेश के उन शहरों में भी जाकर मां गंगा के मंदिरों की स्थापना की अलख जगा रहे हैं, जहां लोगों में मां गंगा के प्रति आस्था है. इसके साथ ही पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी उनकी निरंतर बात हो रही है.

तन्मय वशिष्ठ कहते हैं गंगा घाटों पर भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है. लोग मां गंगा में कितनी आस्था रखते हैं, इसका अनुमान ऋषिकेश, हरिद्वार खासकर हरकी पैड़ी पहुंचने पर पता चलता है. इसी को ध्यान में रखते उन्होंने गंगा के मंदिर या अन्य मंदिरों में मां गंगा की मूर्ति स्थापित करने की योजना बनाई है. उन्होंने बताया कि तमिलनाडु के चेन्नई में गंगा जी का मंदिर बनाया जा रहा है. ऐसे में उन्होंने वहां के स्वामी से संपर्क किया. जिसके बाद मां गंगा के मंदिर को लेकर चर्चा हुई.

Shri Ganga Sabha Haridwar
श्री गंगा सभा हरिद्वार

तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि चेन्नई में गंगा मंदिर का काम भी शुरू हो गया है. ऐसे में उन्होंने लोगों को गंगा के मंदिरों के प्रति जोड़ने की ठानी. जिसके तहत मेरठ में 150 साल पुराने गंगा मंदिर को भव्य रूप देने के लिए वहां के लोगों से बातचीत की गई. लोगों ने उनकी बातों में हामी भरी. अब जल्द ही मेरठ में बड़ा और भव्य गंगा मंदिर का नया स्वरूप दिखाई देगा. इसी तरह पंजाब, हरियाणा और राजस्थान समेत महाराष्ट्र जैसे राज्य में भी बात चल रही है. इन राज्यों के लोग भी गंगा के मंदिर के प्रति बेहद रुचि ले रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः देश में गंगा की स्थिति ICU मरीज की तरहः गौतम राधाकृष्णन

उन्होंने बताया कि गंगा सभा की ओर से धार्मिक सहायता आदि दी जाएगी. उनका एक मकसद ये भी है कि गंगा की महत्वता को आने वाली पीढ़ी भी समझे और जब वो गंगा तटों पर जाएं तो साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें. उम्मीद है आने वाले कुछ सालों में देश के कई हिस्सों में मां गंगा के भव्य और सुंदर मंदिर देखने को मिलेंगे. जो लोग खास स्नान पर्वों पर मां गंगा के पास नहीं आ सकते है वो इन मंदिरों में पूजा अर्चना कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं. गंगा के मंदिरों में उतना ही फल मिलेगा, जितना गंगा तट पर डुबकी लगाने से मिलेगा.

हरिद्वार गंगा सभा क्या है? गंगा सभा हरिद्वार हरकी पैड़ी की देख रेख, गंगा आरती समेत साफ सफाई से लेकर तमाम व्यवस्थाएं देखती है. इसकी स्थापना साल 1916 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थी. तब से लेकर यह संस्था लगातार चल रही है. गंगा सभा सुबह और शाम मां गंगा की भव्य आरती करवाती है. इसके अलावा अन्य धार्मिक कार्यक्रम भी संपन्न करवाती है. बड़े आंदोलन के बाद इस संस्थान को अस्तित्व में लाया गया था. मौजूदा समय में गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम हैं. जबकि, तन्मय वशिष्ठ महामंत्री का पद संभाल रहे हैं.

Tanmay Vashistha
गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ

कई राज्यों से गुजरती है जीवनदायिनी मां गंगा: गंगा नदी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री ग्लेशियर (गौमुख) से निकलती है. गंगोत्री से लेकर देवप्रयाग तक यह नदी भागीरथी कहलाती है, जो देवप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलकर गंगा बनती है. जो उत्तराखंड, यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल राज्यों से होकर बहती है. गंगा नदी करीबन 2525 किलोमीटर का सफर तय गंगा सागर में समा जाती है. ऐसे में गंगा मंदिरों की भी स्थापना का प्लान तैयार किया जा रहा है. ताकि आने वाले समय में अन्य राज्य भी मां गंगा के दर्शन कर पुण्य कमा सकें.

बता दें हरिद्वार में हर साल लाखों की तादाद में लोग गंगा स्नान करने पहुंचते हैं. खास मौकों पर तो एक दिन में करीब 15 से 20 लाख लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं. सावन में शिव भक्तों की संख्या बीते कुछ सालों से तेजी से बढ़ी है. गंगा के आचमन और गंगा जल लेने के लिए भक्तों की संख्या तीन करोड़ तक पहुंच रही है. ये आंकड़ा केवल हरिद्वार शहर का है. जबकि, अन्य राज्य और धार्मिक स्थलों में ये आंकड़ा और भी बड़ा है.
ये भी पढ़ेंः जलीय जीवों ने कराया नमामि गंगे प्रोजेक्ट की सफलता का एहसास, PM की समीक्षा से पहले बड़ी खुशखबरी

अब उत्तर से दक्षिण तक होंगे 'गंगा दर्शन'

हरिद्वार (उत्तराखंड): मां गंगा को मोक्षदायिनी और जीवनदायिनी कहा जाता है. जहां-जहां से गंगा नदी गुजरती है, वहां-वहां जीवन को सींचती जाती है. करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक गंगा सदियों से यूं ही बह रही है. गंगोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा कई जल धाराओं और नदियों को लेकर आगे बढ़ती है, लेकिन जैसे-जैसे गंगा आगे बढ़ते हुए मैदानी इलाकों में पहुंचती है, वैसे-वैसे मैली होती जा रही है. जिससे गंगा की निर्मलता और अविरलता खतरे में है. जिसे देखते हुए हरिद्वार गंगा सभा ने एक पहल शुरू करने जा रही है. जिससे न केवल गंगा साफ होगी, बल्कि लोगों को गंगा के दर्शन भी होंगे.

Ganga Aarti in Haridwar
गंगा आरती का खूबसूरत नजारा

दरअसल, देश ही नहीं दुनिया से लोग गंगा में डुबकी लगाने और पूजा अर्चना करने आते हैं. इसके अलावा गंगा तटों पर हर साल धार्मिक आयोजन और अनुष्ठान होते हैं. मां गंगा के प्रति लोगों की आस्था कितनी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हरिद्वार हो या काशी हो या कोलकाता में श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा तट पर लाखों की तादाद में रोजाना पहुंचती है, लेकिन जो लोग मां गंगा के दर्शन से वंचित रहते हैं. ऐसे लोगों के लिए हरिद्वार की गंगा सभा एक भागीरथ प्रयास कर रही है. इसके तहत देश के अलग-अलग हिस्सों में मां गंगा के मंदिर के प्रति लोगों को जागरूक किया जाएगा. गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ इसके लिए पूरा रोड मैप तैयार कर काम में जुट गए हैं.
ये भी पढ़ेंः हरिद्वार के गंगा घाटों को अब ले सकते हैं गोद, पूरी करनी होगी ये शर्त, ऐसे करें अप्लाई

विभिन्न शहरों में बनाए जाएंगे भव्य गंगा मंदिरः देश के अन्य राज्यों में भगवान शिव, हनुमान या अन्य देवी-देवताओं के मंदिर काफी मिल जाते हैं, लेकिन ऐसे कम शहर हैं, जहां पर साक्षात गंगा नदी बहती हो या फिर मां गंगा की प्रतिमा या उनके जुड़े मंदिर दिखाई देते हों. गंगा के मंदिरों की संख्या बेहद गिनी चुनी है. हालांकि, ऋषिकेश, हरिद्वार, मुखबा, गंगोत्री और उत्तर प्रदेश के भरतपुर, मुक्तेश्वर समेत अन्य शहरों को छोड़ दें तो जहां से मां गंगा बहती है, उन राज्यों में इक्का-दुक्का मंदिर जरूर देखने को मिल जाते हैं.

Ganga Aarti
हरिद्वार में गंगा आरती

ऐसा नहीं है कि गंगा के प्रति उन लोगों की आस्था नहीं है, जहां से गंगा नदी नहीं बहती है. वहां के लोग एक लीटर गंगा जल लेकर जाते हैं तो महीनों तक बूंद-बूंद कर इस्तेमाल करते हैं. हर पूजा पाठ और अनुष्ठान में गंगा जल का विशेष महत्व है. उन्हीं को ध्यान में रखते हुए हरिद्वार गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ हरिद्वार के अलावा उत्तर प्रदेश के उन शहरों में भी जाकर मां गंगा के मंदिरों की स्थापना की अलख जगा रहे हैं, जहां लोगों में मां गंगा के प्रति आस्था है. इसके साथ ही पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी उनकी निरंतर बात हो रही है.

तन्मय वशिष्ठ कहते हैं गंगा घाटों पर भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है. लोग मां गंगा में कितनी आस्था रखते हैं, इसका अनुमान ऋषिकेश, हरिद्वार खासकर हरकी पैड़ी पहुंचने पर पता चलता है. इसी को ध्यान में रखते उन्होंने गंगा के मंदिर या अन्य मंदिरों में मां गंगा की मूर्ति स्थापित करने की योजना बनाई है. उन्होंने बताया कि तमिलनाडु के चेन्नई में गंगा जी का मंदिर बनाया जा रहा है. ऐसे में उन्होंने वहां के स्वामी से संपर्क किया. जिसके बाद मां गंगा के मंदिर को लेकर चर्चा हुई.

Shri Ganga Sabha Haridwar
श्री गंगा सभा हरिद्वार

तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि चेन्नई में गंगा मंदिर का काम भी शुरू हो गया है. ऐसे में उन्होंने लोगों को गंगा के मंदिरों के प्रति जोड़ने की ठानी. जिसके तहत मेरठ में 150 साल पुराने गंगा मंदिर को भव्य रूप देने के लिए वहां के लोगों से बातचीत की गई. लोगों ने उनकी बातों में हामी भरी. अब जल्द ही मेरठ में बड़ा और भव्य गंगा मंदिर का नया स्वरूप दिखाई देगा. इसी तरह पंजाब, हरियाणा और राजस्थान समेत महाराष्ट्र जैसे राज्य में भी बात चल रही है. इन राज्यों के लोग भी गंगा के मंदिर के प्रति बेहद रुचि ले रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः देश में गंगा की स्थिति ICU मरीज की तरहः गौतम राधाकृष्णन

उन्होंने बताया कि गंगा सभा की ओर से धार्मिक सहायता आदि दी जाएगी. उनका एक मकसद ये भी है कि गंगा की महत्वता को आने वाली पीढ़ी भी समझे और जब वो गंगा तटों पर जाएं तो साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें. उम्मीद है आने वाले कुछ सालों में देश के कई हिस्सों में मां गंगा के भव्य और सुंदर मंदिर देखने को मिलेंगे. जो लोग खास स्नान पर्वों पर मां गंगा के पास नहीं आ सकते है वो इन मंदिरों में पूजा अर्चना कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं. गंगा के मंदिरों में उतना ही फल मिलेगा, जितना गंगा तट पर डुबकी लगाने से मिलेगा.

हरिद्वार गंगा सभा क्या है? गंगा सभा हरिद्वार हरकी पैड़ी की देख रेख, गंगा आरती समेत साफ सफाई से लेकर तमाम व्यवस्थाएं देखती है. इसकी स्थापना साल 1916 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थी. तब से लेकर यह संस्था लगातार चल रही है. गंगा सभा सुबह और शाम मां गंगा की भव्य आरती करवाती है. इसके अलावा अन्य धार्मिक कार्यक्रम भी संपन्न करवाती है. बड़े आंदोलन के बाद इस संस्थान को अस्तित्व में लाया गया था. मौजूदा समय में गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम हैं. जबकि, तन्मय वशिष्ठ महामंत्री का पद संभाल रहे हैं.

Tanmay Vashistha
गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ

कई राज्यों से गुजरती है जीवनदायिनी मां गंगा: गंगा नदी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री ग्लेशियर (गौमुख) से निकलती है. गंगोत्री से लेकर देवप्रयाग तक यह नदी भागीरथी कहलाती है, जो देवप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलकर गंगा बनती है. जो उत्तराखंड, यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल राज्यों से होकर बहती है. गंगा नदी करीबन 2525 किलोमीटर का सफर तय गंगा सागर में समा जाती है. ऐसे में गंगा मंदिरों की भी स्थापना का प्लान तैयार किया जा रहा है. ताकि आने वाले समय में अन्य राज्य भी मां गंगा के दर्शन कर पुण्य कमा सकें.

बता दें हरिद्वार में हर साल लाखों की तादाद में लोग गंगा स्नान करने पहुंचते हैं. खास मौकों पर तो एक दिन में करीब 15 से 20 लाख लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं. सावन में शिव भक्तों की संख्या बीते कुछ सालों से तेजी से बढ़ी है. गंगा के आचमन और गंगा जल लेने के लिए भक्तों की संख्या तीन करोड़ तक पहुंच रही है. ये आंकड़ा केवल हरिद्वार शहर का है. जबकि, अन्य राज्य और धार्मिक स्थलों में ये आंकड़ा और भी बड़ा है.
ये भी पढ़ेंः जलीय जीवों ने कराया नमामि गंगे प्रोजेक्ट की सफलता का एहसास, PM की समीक्षा से पहले बड़ी खुशखबरी

Last Updated : Jun 29, 2023, 7:55 PM IST
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